Yogi vs Centre जारी है?
सेवा विस्तार की ‘सीएम सिफारिश’ और दिल्ली की ‘ना में जवाब’> Yogi vs Centre
Yogi vs Centre update
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते थे कि IAS मनोज सिंह को यूपी का मुख्य सचिव बने रहने दिया जाए।
चिट्ठी लिखी, दबाव डाला, पैरवी की – लेकिन
दिल्ली से जवाब आया – “थैंक यू, अगला भेजिए!”
यानि एक बार फिर योगी को मिला वही “संवैधानिक झटका”, जो डीजीपी प्रशांत कुमार के मामले में मिल चुका था।
DGP के बाद Chief Secretary – दोहरी ‘ना’ और खुली अदावत!Yogi vs Centre
पहले प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिला, अब मनोज सिंह भी टाटा-बाय-बाय!
मतलब दिल्ली की सत्ता की बंद गली में योगी की सिफारिशें धूल खा रही हैं।
तो सवाल उठता है –
क्या मोदी सरकार जान-बूझकर योगी के हर पसंदीदा अफसर को रिजेक्ट कर रही है?
या फिर ये ‘सिग्नल’ है कि “राज्य में भी अब केंद्र की चलेगी”?
SP गोयल बने मुख्य सचिव, लेकिन मनचाहा नहीं मिला योगी को>Yogi vs Centre
अब भले ही एसपी गोयल योगी के करीबी हों,
लेकिन उनकी ताजपोशी भी “चॉइस के बाद नहीं, चारा न बचने पर हुई”।
यानि जो एक्सटेंशन मांग रहे थे वो नहीं मिला, मजबूरी में गोयल साहब को बनाना पड़ा अगला सिपहसालार।
तो क्या योगी अब दिल्ली के लिए ‘अनकंट्रोल्ड CM’ हैं?
कई वरिष्ठ अफसरों की मानें तो योगी आदित्यनाथ अब बीजेपी हाईकमान की आंखों की किरकिरी बनते जा रहे हैं।
DGP की नियुक्ति में रार
Chief Secretary पर मतभेद
कानून व्यवस्था पर बार-बार केंद्र की घुड़की
और अब अफसरों की हर बड़ी पोस्टिंग में टांग फंसी दिल्ली की!
क्या यही संकेत नहीं कि दिल्ली को योगी की ‘स्वतंत्र सत्ता’ से जलन हो रही है?
फिर भी अडिग क्यों हैं योगी? क्या वजह है कि दिल्ली उन्हें हटा नहीं पाती?
यहां कहानी में आता है असली ट्विस्ट!
योगी जनता में सबसे ज्यादा लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं।
हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा – मोदी के बाद सबसे ज्यादा जनाधार।
कानून व्यवस्था से लेकर बुलडोज़र ब्रांड तक, खुद का अलग सत्ता ब्रह्मांड बना चुके हैं।
दिल्ली जानती है – योगी को छेड़ना मतलब 2029 की सियासत को खतरे में डालना।
इसलिए झटका दो, लेकिन कुर्सी मत हिलाओ!
कुर्सी सलामत, लेकिन खुदमुख्तारी पर शिकंजा>Yogi vs Centre
यानि सीएम कुर्सी तो बची रहेगी,
लेकिन अब हर निर्णय पर “दिल्ली की नज़र और स्वीकृति” जरूरी होगी।
योगी बाबा अब ‘मुख्यमंत्री’ तो हैं, लेकिन ‘पूर्ण स्वायत्त शासक’ नहीं रहे! ऐसा कहा जा सकता है।
अदावत जारी है, कुर्सी भी कायम है!
उत्तर प्रदेश में राजनीति की सबसे बड़ी कहानी अब ये नहीं कि
“कौन अफसर आया?”,
बल्कि ये है कि –
“योगी ने जिसे बुलाया, दिल्ली ने उसे भेजा नहीं!”
और फिर भी
योगी न टस से मस हो रहे हैं, न अपनी ‘स्वतंत्र सत्ता शैली’ छोड़ रहे हैं।
आगे देखना होगा कि, – पंचायत चुनाव से पहले क्या दिल्ली और योगी के बीच कोई नया धमाका होता है, या फिर दोनों चुपचाप एक-दूसरे को आंखें दिखाते रहेंगे?
Written by khabarilal.digital Desk
