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इजराइल-ईरान टकराव: Missile Attacks ने तेल अवीव और तेहरान को बनाया जंग का मैदान

तेल अवीव/तेहरान, 14 जून 2025: मध्य पूर्व में बारूद की बारिश हो रही है, और इजराइल-ईरान के बीच Missile Attacks ने दुनिया को युद्ध की आहट सुना दी है। शुक्रवार रात से शुरू हुआ यह खूनी ड्रामा दूसरे दिन भी थमने का नाम नहीं ले रहा। इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर दो बार बमबारी की, तो ईरान ने तेल अवीव पर मिसाइलों की बौछार कर दी। नतीजा? पिछले 24 घंटों में ईरान में 138 लोग मारे गए, जिसमें 9 परमाणु वैज्ञानिक और 20 से ज्यादा सैन्य कमांडर शामिल हैं। तेल अवीव में 3 लोगों की मौत और 90 से ज्यादा घायल। ये Missile Attacks  अब सिर्फ हमले नहीं, बल्कि दोनों देशों की दशकों पुरानी दुश्मनी का खुला नंगा नाच बन गए हैं। मानो दोनों कह रहे हों, “तू मारेगा, तो मैं तुझ पर भारी पड़ूंगा!”

Missile Attacks का खूनी खेल: दोनों तरफ तबाही

शुक्रवार सुबह 5:30 बजे इजराइल ने ईरान के नतांज़ और इस्फहान के परमाणु ठिकानों पर फाइटर जेट्स से हमला बोला। इस हमले में 78 लोग मारे गए, जिनमें 9 परमाणु वैज्ञानिक और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के बड़े कमांडर जैसे हुसैन सलामी शामिल थे। इजराइली PM बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे “ऑपरेशन थंडरबोल्ट” करार देते हुए कहा, “ईरान का परमाणु सपना हम कुचल देंगे!” रात 10:30 बजे इजराइल ने दूसरा हमला किया, जिसमें तेहरान के एक रिहायशी इलाके में 60 लोग मारे गए और 350 से ज्यादा घायल हुए। जवाब में, ईरान ने 150 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें तेल अवीव और यरुशलम की ओर दागीं। छह मिसाइलें तेल अवीव में गिरीं, एक हाई-राइज बिल्डिंग को तबाह करते हुए, जिसमें तीन लोग मारे गए। ईरान का दावा है कि उसकी एक मिसाइल इजराइल के रक्षा मंत्रालय पर गिरी, लेकिन इजराइल ने इसे “बकवास” बताया। नेतन्याहू को बंकर में शिफ्ट कर दिया गया है।

दुश्मनी की जड़ें: इजराइल-ईरान क्यों बने कट्टर दुश्मन

इजराइल और ईरान की यह दुश्मनी कोई आज की नहीं। 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान ने इजराइल को “छोटा शैतान” और अमेरिका को “बड़ा शैतान” करार दिया। इजराइल को लगता है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके वजूद को मिटाने की साजिश है, जबकि ईरान दावा करता है कि उसका कार्यक्रम बिजली और शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। लेकिन इजराइल, जिसके पास खुद परमाणु हथियार हैं, ईरान को यह हक नहीं देना चाहता। दूसरी तरफ, ईरान इजराइल को फिलिस्तीन के खिलाफ अत्याचार का प्रतीक मानता है और हिजबुल्लाह, हमास जैसे संगठनों को हथियार और पैसे देता है। 1990 के दशक से नेतन्याहू ईरान को “परमाणु खतरा” बताते रहे हैं। 2024 में ईरान की ड्रोन हमलों और इजराइल की हवाई बमबारी ने इस दुश्मनी को और हवा दी। अब missile attacks ने इसे पूर्ण युद्ध में बदल दिया है, और दोनों देश एक-दूसरे को सबक सिखाने की जिद में लगे हैं।

Missile Attacks आंकड़ों का हिसाब: तबाही का लेखा-जोखा

पिछले 24 घंटों में missile attacks ने भयंकर तबाही मचाई। ईरान में 138 मौतें (78 सुबह, 60 रात के हमले में), 350 से ज्यादा घायल, जिनमें 20 बच्चे शामिल हैं। तेल अवीव में 3 मौतें और 90 घायल। इजराइल ने 200 से ज्यादा फाइटर जेट्स और ड्रोन्स से ईरान के 100 से ज्यादा ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें नतांज़ और फोर्डो के परमाणु केंद्र शामिल हैं। ईरान ने 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से कुछ को इजराइल के आयरन डोम ने नाकाम किया। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने बताया कि नतांज़ में सेंट्रीफ्यूज को नुकसान पहुंचा, लेकिन रेडिएशन लेवल अभी सामान्य है। 2024 में दोनों देशों के बीच 5 बड़े टकराव हुए, जिनमें 300 से ज्यादा लोग मारे गए। यह 2025 का सबसे बड़ा टकराव है, और UN ने चेतावनी दी है कि यह क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है।

वैश्विक प्रतिक्रियाएँ: दुनिया की बेचैनी

दुनिया इस जंग को देखकर दम साधे बैठी है। UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने X पर लिखा, “युद्ध बंद करो, शांति को मौका दो!” रूस ने इजराइल के हमलों को “गैर-जिम्मेदार” बताया, जबकि अमेरिका ने इजराइल की मदद के लिए मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात किए। डोनाल्ड ट्रम्प ने X पर लिखा, “ईरान को परमाणु समझौता करना होगा, वरना सब तबाह हो जाएगा!” ईरान ने जवाब में कहा, “ये हमले आतंकवाद हैं, और हम जवाब अपनी मर्जी से देंगे।” तेहरान में हवाई अड्डे पर आग और धमाकों की खबरें हैं, और ईरान ने अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया। इजराइल में लोग सुपरमार्केट्स में राशन और पानी जमा कर रहे हैं, जैसे कोई महायुद्ध की आहट हो।

इजराइल-ईरान के बीच missile attacks ने मध्य पूर्व को बारूद के ढेर पर ला खड़ा किया है। परमाणु महत्वाकांक्षाएं, पुरानी दुश्मनी, और क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई ने इस टकराव को और भड़काया है। अगर कूटनीति ने जल्द हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह जंग पूरे क्षेत्र को निगल सकती है। सवाल यही है—क्या शांति की बांसुरी बजेगी, या मिसाइलों का शोर ही गूंजेगा?

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Anonymous
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6 months ago

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