Banke Bihari Corridor: वृंदावन में लाला से जुदाई का ‘विकास पर्व’ शुरू!

Banke Bihari Corridor: वृंदावन में लाला’ से जुदाई पर महासंग्राम का ऐलान

लोकेशन-मथुरा। संवाददाता-अमित शर्मा

Banke Bihari Corridor विवाद: वृंदावन की आत्मा दांव पर

Banke Bihari Corridor पर विवाद अब साधारण विरोध नहीं, बलिदान की हद तक पहुंच चुका है। सोमवार को वृंदावन की कुंज गलियों में वो नज़ारा देखने को मिला जिसे देखकर दिल्ली की दीवारें भी कांप उठें — गोस्वामी समाज की महिलाएं और स्थानीय व्यापारी सड़कों पर उतर आईं। कोई पोस्टर नहीं, कोई बैनर नहीं — सीधे खून से चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से गुहार लगाई: “हमें हमारे बिहारी जी से दूर मत करो!”

छोटे-छोटे बच्चे, बुज़ुर्ग महिलाएं, व्यापारी, सब मिलकर एक ही सुर में चिल्ला रहे थे — “लाला हमारा है, कॉरिडोर तुम्हारा!” लेकिन सरकार तो विकास के जुनून में लीन है। उन्हें न लाला दिख रहे, न ललित गलियां। उन्हें तो बस कोरिडोर के सपने में वोट बैंक के मरीचिका नज़र आ रही है।

Banke Bihari Corridor: श्रद्धा के नाम पर विकास का बुलडोज़र या लाला से दूरी की साज़िश?
Banke Bihari Corridor: श्रद्धा के नाम पर विकास का बुलडोज़र या लाला से दूरी की साज़िश?
दरअसल वृंदावन, जहां हर गली में श्रीकृष्ण की लीलाओं की गूंज सुनाई देती है, आज बांके बिहारी कॉरिडोर विवाद के भंवर में फंस गया है। ये पवित्र कुंज गलियां, जो सदियों से भक्ति की गवाह हैं, अब परंपरा और आधुनिकता की जंग का केंद्र बन गई हैं। 

Banke Bihari Corridor: दर्शन नहीं डिज़ाइन चाहिए सरकार को, भक्तों को नहीं

कल्पना कीजिए, वृंदावन की कुंज गलियों में टहलते हुए, जहां हर कदम तीर्थयात्रा सा लगता है, हर मोड़ पर राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी बयां होती है। अब सोचिए, इन गलियों को बुलडोजर से तोड़कर कंक्रीट का कॉरिडोर बना दिया जाए। यही डर गोस्वामी महिलाओं और व्यापारियों को सता रहा है, जिन्होंने खून से पत्र लिखकर अपनी बात रखी। उनकी मांग साफ है: हमें हमारे लाला (बांके बिहारी) से अलग न करो। उनका कहना है कि कॉरिडोर, जो भक्तों की सुविधा के लिए बनाया जा रहा है, वृंदावन के प्राचीन आकर्षण को छीन लेगा और इसे एक और साधारण पर्यटक स्थल बना देगा।
जब कुंज गलियों पर टूटा Banke Bihari Corridor का कहर – आस्था बनाम आर्किटेक्ट का महासंग्राम!
जब कुंज गलियों पर टूटा Banke Bihari Corridor का कहर – आस्था बनाम आर्किटेक्ट का महासंग्राम!

इंदौर से आई श्रद्धालु माधुरी सोनी ने तंज कसते हुए कहा, “हम ठाकुर जी के दर्शन करने आते हैं, कुंज गलियों में घूमते हैं। यहां VIP दर्शन की नहीं, भावना दर्शन की ज़रूरत है!” पर सरकार को भावना की भाषा समझ नहीं आती, उसे तो बस master plan, blueprint, और drone view पसंद है।

माधुरी बोलीं — “हम VIP नहीं हैं, न ही हमें एयर कंडीशन कॉरिडोर चाहिए। हमारे ठाकुर जी ने भी कभी एस्केलेटर से नहीं दौड़ा। फिर हम क्यों प्लास्टर की नकल में उनकी पूजा करें?” सच है, आस्था का असली ठिकाना इन कुंज गलियों में है, जहां नंगे पांव चलने से भक्त बनते हैं — न कि marble की ठंडी सीढ़ियों पर पिकनिक करने से।

सरकार कहती है भीड़ संभालनी है, पर भीड़ नहीं, श्रद्धा है यहां। और श्रद्धा को प्लानिंग से नहीं, सम्मान से संभाला जाता है। लेकिन लगता है, “विकास” के नाम पर आस्था की मिट्टी भी प्लॉटिंग में बिकेगी!

धर्म या डिज़ाइन? इंदौर के अमित सोनी का तगड़ा व्यंग्य

Banke Bihari Corridor -खून से लिखी चिट्ठी
Banke Bihari Corridor -खून से लिखी चिट्ठी,

अमित सोनी ने कहा — “अगर सफाई करनी है तो यमुना साफ़ करो, गंगा एक्सप्रेसवे से आस्था नहीं बहती साहब!”
उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “कॉरिडोर बना कर आप मंदिरों की आत्मा को कंक्रीट में दबा देंगे। बच्चा पूछेगा – ‘पापा ये कॉरिडोर क्या है?’ तो क्या जवाब देंगे? – ‘बेटा, यहीं लाला थे, अब फोटोकॉपी में दर्शन करो!’”

पुरानी गलियों को तोड़कर नया धर्म नहीं उगाया जा सकता। धर्म कोई ‘स्पा सेंटर’ नहीं जहां खुशबू और लाइटिंग से भक्ती आएगी।
धर्म पुरातनता से बनता है, प्लान पास कराने से नहीं। अमित का व्यंग्य सीधा दिल में उतरता है – “सरकार प्राचीनता बचा नहीं सकती, तो कम से कम उसे खत्म तो न करे!”

Vrindavan की आत्मा कुंज गलियों में है, न कि DPR की फाइल में!

Banke Bihari Corridor के नाम पर वृंदावन की आत्मा का पोस्टमार्टम किया जा रहा है। मंत्री जी कहते हैं, “व्यवस्था करनी है।” पर सवाल ये है कि किसके लिए? VIP की भीड़ रोकनी है तो VIP दर्शन बंद कीजिए, CCTV लगाइए, भीड़ प्रबंधन करिए — पर श्रद्धा को बिछा मत दीजिए!

Banke Bihari Corridor विवाद: वृंदावन की पवित्र गलियों पर संकट
Banke Bihari Corridor विवाद: वृंदावन की पवित्र गलियों पर संकट

हर गली में बिहारी जी की यादें बसी हैं। हर मोड़ पर कोई लीला हुई है। लेकिन लगता है, सरकार को लीला की जगह लीगल टेंडर ज़्यादा प्यारा है। कुंज गलियों को heritage घोषित करने की बजाय heritage bulldozer चलाने की तैयारी है।

क्या बच पाएंगी वृंदावन की कुंज गलियां?

जैसे-जैसे बांके बिहारी कॉरिडोर विवाद गरमाता जा रहा है, वृंदावन की कुंज गलियों का भविष्य अधर में लटका है। सरकार का दावा है कि कॉरिडोर व्यवस्था, सुरक्षा और समृद्धि लाएगा, लेकिन स्थानीय लोग और भक्त इससे सहमत नहीं। वे अपनी गलियां, अपनी विरासत, अपने लाला को अछूता चाहते हैं। ये विरोध, जो जुनून है, याद दिलाते हैं कि वृंदावन सिर्फ एक जगह नहीं, एक एहसास है, श्रीकृष्ण से जुड़ाव है, जिसे कोई कंक्रीट कॉरिडोर दोहरा नहीं सकता। क्या सरकार खून से लिखी इन गुहारों को सुनेगी, या वृंदावन की प्राचीन गलियां प्रगति की भेंट चढ़ जाएंगी? वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल कुंज गलियां अडिग हैं, हर हवा के झोंके में कृष्ण का नाम पुकारती हुईं।
#BankeBihariCorridor #VrindavanProtest #SaveKunjGaliyan #LalaKiLeela #VikasVsVishwas

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