
World War 3 News : ये घातक हथियार बदल देगा दुनिया का नक्शा ?
World War 3 News Update
21वीं सदी में युद्ध की परिभाषा पूरी तरह से बदल चुकी है। पहले जहां जंग के मैदानों में टैंकों की गड़गड़ाहट, मिसाइलों की गर्जना और फाइटर जेट्स की गर्जना सुनाई देती थी, अब उसकी जगह ले ली है ड्रोन ने। ये छोटे लेकिन घातक हथियार अब युद्धों में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। और कोई बड़ी बात नहीं ये घातक हथियार ही World War 3 में एक योद्धा बनकर उभरे ।
ड्रोन है नया योद्धा
ड्रोन तकनीक ने सैन्य रणनीति को नया रूप दे दिया है। अब एक सिपाही को दुश्मन की सीमा में भेजने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ड्रोन दुश्मन के इलाके में चुपचाप घुसते हैं, सटीक निशाना लगाते हैं और भारी तबाही मचाते हैं , वो भी बिना किसी सैनिक की जान को खतरे में डाले।
क्यों खतरनाक हैं ड्रोन?
ड्रोन की सबसे बड़ी ताकत है इसकी गोपनीयता, सटीकता और कम लागत। ये रडार को चकमा दे सकते हैं, बेहद कम आवाज़ करते हैं और टारगेट को एकदम सटीक तरीके से तबाह कर सकते हैं। पहले इनका उपयोग निगरानी के लिए होता था, लेकिन अब ये बम गिराने, मिसाइल लॉन्च करने, यहां तक कि आत्मघाती हमले करने में भी सक्षम हैं।
पाक ने भी किया था ड्रोन का प्रयोग
भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के दौरान, पाकिस्तान ने भी अपने मित्र देशों से उधार लेकर भारत पर ड्रोन से हमले किए थे. हालांकि भारत ने वक्त रहते पाकिस्तान के सभी हमलों को हवा में ही नाकाम कर दिखाया था. और पाकिस्तान की ड्रोन से जुड़ी तकनीक दुनिया के सामने खाक होती नज़र आई थी.
रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन का प्रदर्शन
2022 से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध ने ड्रोन की ताकत को दुनिया के सामने उजागर कर दिया। यूक्रेन जैसे छोटे देश ने सस्ते और कॉमर्शियल ड्रोन की मदद से रूस जैसे सैन्य महाशक्ति को बार-बार चुनौती दी। ड्रोन ने करोड़ों डॉलर के मिसाइल डिफेंस सिस्टम को असहाय बना दिया।
क्या मिसाइलें अब पुरानी हो गई हैं?
मिसाइलें आज भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनकी उच्च लागत, संचालन में जटिलता और मानव हानि का खतरा अब उन्हें ड्रोन की तुलना में कम प्रासंगिक बना रहा है। एक उन्नत मिसाइल सिस्टम जहां करोड़ों का खर्चा करता है, वहीं ड्रोन सस्ते और अधिक प्रभावी साबित हो रहे हैं।
तकनीक में होड़: कौन किससे आगे?
अमेरिका, चीन, रूस, भारत, इज़राइल और तुर्की जैसे देश अब ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित हथियारों पर अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं। भारत भी अपनी सैन्य क्षमताओं को ड्रोन आधारित बनाकर तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।
क्या तीसरा विश्व युद्ध तकनीकी होगा?
बदलती परिस्थितियों और बढ़ते तनाव को देखते हुए विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो वह पारंपरिक नहीं, बल्कि तकनीकी और साइबर आधारित होगा। ड्रोन, AI, रोबोटिक हथियार और साइबर अटैक अब भविष्य की जंग के नए हथियार बनते जा रहे हैं।
इज़राइल-गाज़ा संघर्ष, यूक्रेन युद्ध और ताइवान को लेकर अमेरिका-चीन विवाद , ये सभी घटनाएं इस बात का संकेत दे रही हैं कि भविष्य का युद्ध सिर्फ बंदूक और टैंक से नहीं, बल्कि कोड, कैमरा और क्लाउड से लड़ा जाएगा। और कोई बड़ी बात नहीं कि भविष्य में World War 3 हुई तो ये ड्रोन या फिर यूं कहें कि ये तेजी से बदलती तकनीक और उनसे चलने वाले हथियार ही World War 3 के हीरो के साथ-साथ World War 3 के खलनायक के तौर पर भी पहचाने जाएं ।