Haryana:शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम् पर सियासी हंगामा
हरियाणा विधानसभा(Haryana Assembly) के शीतकालीन सत्र के दौरान शुक्रवार को उस समय राजनीतिक माहौल गर्म हो गया, जब राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् पर चर्चा को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए। चर्चा की शुरुआत भले ही औपचारिक प्रस्ताव से हुई, लेकिन ये जल्द ही तीखी बहस और हंगामे में बदल गई।
चर्चा के प्रस्ताव से शुरू हुआ विवाद
शीतकालीन सत्र के दौरान बीजेपी विधायक घनश्याम दास ने वंदे मातरम् पर चर्चा कराने का प्रस्ताव रखा। विधानसभा अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। हालांकि, कांग्रेस विधायकों ने इस पर आपत्ति जताई और इसे गैर-जरूरी बताते हुए कहा कि सरकार अहम जनहित के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ये चर्चा करवा रही है।
कांग्रेस के विरोध के जवाब में बीजेपी विधायकों ने पलटवार किया, जिसके बाद सदन में नोक-झोंक शुरू हो गई और माहौल लगातार तनावपूर्ण होता चला गया।
Haryana के CM सैनी के बयान के बाद बढ़ा हंगामा
बहस उस समय और तेज हो गई जब मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अपने संबोधन में वंदे मातरम के ऐतिहासिक संदर्भ का जिक्र करते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना का नाम लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास में ये उल्लेख मिलता है कि वंदे मातरम् की कुछ पंक्तियों को लेकर आपत्तियां जताई गई थीं।
मुख्यमंत्री के इस बयान पर कांग्रेस विधायकों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया, वेल में आकर नारेबाजी की और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री लिखी हुई बातें पढ़ रहे हैं। इसके जवाब में सीएम सैनी ने कहा कि उनका वक्तव्य ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है, न कि किसी लिखित भाषण का हिस्सा।
स्पीकर का सख्त रुख, विधायक नेम
लगातार हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने अनुशासन बनाए रखने के लिए कांग्रेस के 9 विधायकों को नेम किया, जिनमें अशोक अरोड़ा, जस्सी पेटवाड़, बलराम दांगी, गीता भुक्कल, कुलदीप वत्स और विकास सहारण शामिल थे। स्पीकर ने निर्देश दिया कि नामित विधायक सदन से बाहर जाएं, अन्यथा उन्हें मार्शल के जरिए बाहर किया जाएगा।
कुछ समय बाद सभी नेम किए गए विधायक सदन से बाहर चले गए। इसके बाद नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने स्पीकर से अनुरोध किया कि विधायकों को वापस सदन में आने की अनुमति दी जाए, जिसे बाद में स्वीकार कर लिया गया।
वंदे मातरम् पर कांग्रेस का पक्ष
नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि वंदे मातरम् का सबसे पहले सम्मान कांग्रेस पार्टी ने किया और इसे अपनाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि संविधान सभा ने वंदे मातरम् को राष्ट्रगीत और जन-गण-मन को राष्ट्रगान का दर्जा दिया।
हुड्डा ने सवाल उठाया कि जब सभी दल वंदे मातरम् का सम्मान करते हैं, तो फिर इस पर विवाद और चर्चा की जरूरत क्यों है। उनका आरोप था कि सरकार जानबूझकर सदन का माहौल बिगाड़कर जनता के मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।
विपक्ष का आरोप – मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश
कांग्रेस विधायकों का कहना है कि वे अविश्वास प्रस्ताव और जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा चाहते थे, लेकिन सरकार ने वंदे मातरम् पर बहस कराकर सदन की कार्यवाही को भटका दिया। उनके अनुसार, ये पूरा घटनाक्रम राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था।
कंगाल Pakistan के इस इलाके में आम नागरिकों को हर रोज़ मिल रहा 7 ग्राम तक सोना, जानिए पूरी कहानी