 
                  Nitish Kumar के अलावा और कौन है ? उपराष्ट्रपति पद का दावेदार
Nitish Kumar News Update
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों को लेकर कयासबाज़ी का दौर शुरु हो गया है, अभी तक भले ही किसी उम्मीदवार का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन कई नामों की चर्चा है. इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) , राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह, जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा और दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना जैसे नाम शामिल हैं. बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल भी रेस में माने जा रहे हैं.
Nitish Kumar का बिहार पर फोकस
अगर बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उपराष्ट्रपति के चुनाव हुए तो इस बात को दरकिनार नहीं किया जा सकता की भारत का अगला उपराष्ट्रपति बिहार से ही हो, इस बात की संभावना सबसे ज्यादा रहेगी. ऐसी स्थिति में हरिवंश नारायण सिंह उपराष्ट्रपति पद के प्रबल दावेदार हो सकते हैं, क्योंकि वो भी बिहार से ताल्लुक रखते हैं, जबकि नीतीश कुमार की पहली पसंद और NDA की ज़रुरत के हिसाब फिलहाल नीतीश के लिए बिहार की राजनीति ही मुफीद है.
चुनाव आयोग करेगा तारीख का ऐलान
हाल ही में जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद देश में नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की चर्चा जोरों पर है. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सोमवार रात को इस्तीफा दिया, जिसे अगले दिन मंजूर कर लिया गया.

अब चुनाव आयोग ने इस खाली पद को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि ये चुनाव कैसे होगा और इसमें कौन-कौन सी बातें अहम हैं.
उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सांसद मिलकर करते हैं. इसे इलेक्टोरल कॉलेज कहते हैं, जिसमें दोनों सदनों के चुने हुए और मनोनीत सांसद वोट डाल सकते हैं. वोटिंग गुप्त होती है और इसमें सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम का इस्तेमाल होता है. यानी, सांसद अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को प्राथमिकता के आधार पर वोट देते हैं. चुनाव आयोग को ये चुनाव 60 दिनों के अंदर, यानी 19 सितंबर 2025 से पहले कराना होगा. इसके लिए मतदाता सूची तैयार करना, रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति और चुनाव की तारीखों का ऐलान जैसे काम शुरू हो चुके हैं.
संसद में कितने सांसद वोट डाल सकते हैं?
लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल की बसीरहाट सीट खाली है, तो 542 सांसद वोट डाल सकते हैं. वहीं, राज्यसभा में 245 सीटें हैं, जिनमें से 5 सीटें (4 जम्मू-कश्मीर और 1 पंजाब से) खाली हैं. इस तरह कुल 240 राज्यसभा सांसद वोट देंगे. दोनों सदनों को मिलाकर कुल 782 सांसद वोटिंग के लिए हैं. जीतने के लिए किसी उम्मीदवार को कम से कम 392 वोट चाहिए.
NDA की स्थिति मजबूत, विपक्ष के लिए चुनौती
लोकसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) के पास 293 सांसदों का समर्थन है, जबकि राज्यसभा में 129 सांसद उनके साथ हैं. यानी, कुल मिलाकर एनडीए के पास 422 वोट हैं, जो जीत के लिए जरूरी 392 वोटों से काफी ज्यादा है. इस हिसाब से एनडीए का उम्मीदवार आसानी से जीत सकता है. वहीं, विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के पास लोकसभा में 99 और राज्यसभा में 27 सांसद हैं. अगर विपक्ष एकजुट होकर निर्दलीय और छोटे दलों का समर्थन जुटा ले, तब भी उनके लिए एनडीए को टक्कर देना मुश्किल होगा.
क्या है आगे की राह?
जगदीप धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था, लेकिन उनके इस्तीफे के बाद अब नया उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है, तब तक राज्यसभा की सभापति की जिम्मेदारी डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह संभालेंगे. चुनाव आयोग जल्द ही तारीखों का ऐलान करेगा और उम्मीद है कि अगस्त के अंत तक देश को नया उपराष्ट्रपति मिल जाएगा. ये चुनाव न सिर्फ संवैधानिक रूप से अहम है, बल्कि ये भी दिखाएगा कि राजनीतिक दल कितनी एकजुटता और रणनीति के साथ इस मौके को भुनाते हैं.

 
         
         
        