 
                  भारत-रूस आर्थिक सहयोग को नई उड़ान: S. Jaishankar और Denis Manturov की मास्को में मुलाकात
S. Jaishankar’s Russia Visit Update
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने रूस की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा के दौरान मास्को में रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव (Denis Manturov) से मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) की 26वीं बैठक की सह-अध्यक्षता की, जिसमें व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर विस्तृत चर्चा हुई. ये यात्रा भारत और रूस के बीच लंबे समय से चली आ रही विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
बैठक का उद्देश्य और एजेंडा
जयशंकर की ये यात्रा डेनिस मंटुरोव के निमंत्रण पर हुई, जो रूस के उद्योग और व्यापार मंत्री भी हैं. IRIGC-TEC की 26वीं बैठक में दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ाने के नए रास्तों पर विचार-विमर्श किया. चर्चा में ऊर्जा क्षेत्र, विशेष रूप से रूस से भारत की तेल खरीद, कनेक्टिविटी, वित्त, सिविल एविएशन और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर जोर दिया गया. इसके अलावा, भारत-रूस व्यापार को राष्ट्रीय मुद्राओं में निपटाने और बाजार पहुंच जैसे मुद्दों पर भी बात हुई.

भारत और रूस के बीच व्यापार ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है. वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 40 बिलियन डॉलर को पार कर गया था, और 2023-24 में इसके 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. जयशंकर ने इस बैठक में भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई और दोनों देशों के व्यवसायों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया.
वैश्विक भू-राजनीति और तनाव
ये मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ तनाव देखा जा रहा है, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय सामानों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ और रूस से तेल खरीद के लिए 50% कुल टैरिफ लगाए जाने के बाद. जयशंकर की इस यात्रा में रूस से भारत की निरंतर ऊर्जा खरीद एक प्रमुख चर्चा का विषय रही. रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है, जिसका भारत के कुल तेल आयात में हिस्सा 2019-20 के 1.7% से बढ़कर 2024-25 में 35.1% हो गया है.

इसके अलावा, जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ भी मुलाकात की, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों के पूरे दायरे की समीक्षा की गई और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ. रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थिति स्पष्ट रही है, जिसमें भारत ने बार-बार बातचीत और कूटनीति के जरिए शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है.
भारत-रूस साझेदारी का महत्व
भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी दोनों देशों की विदेश नीति का एक मजबूत आधार रही है. इस यात्रा से पहले, जुलाई 2024 में मास्को में हुए 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन, अक्टूबर 2024 में कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात, और नवंबर 2024 में नई दिल्ली में IRIGC-TEC की 25वीं बैठक जैसे कई उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान हुए हैं. इन मुलाकातों ने दोनों देशों के बीच सहयोग को और गहरा किया है.
बिजनेस फोरम में S. Jaishankar
जयशंकर ने मास्को में भारत-रूस बिजनेस फोरम को भी संबोधित किया, जहां उन्होंने व्यापार और निवेश के नए अवसरों पर प्रकाश डाला. इसके अलावा, उन्होंने रूसी विद्वानों और थिंक टैंक प्रतिनिधियों के साथ भारत-रूस संबंधों और वैश्विक भू-राजनीति पर चर्चा की. उन्होंने मास्को के अलेक्जेंडर गार्डन में ‘टॉम्ब ऑफ द अननोन सोल्जर’ पर पुष्पांजलि अर्पित कर द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद सोवियत सैनिकों को श्रद्धांजलि दी.

भविष्य की योजनाएं
इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप देने पर भी चर्चा की, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर जल्द होने वाली है. इसके अलावा, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग को और मजबूत करने पर जोर दिया गया.
भारत और रूस की मजबूत दोस्ती
जयशंकर की मास्को यात्रा भारत और रूस के बीच आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का एक महत्वपूर्ण कदम है. वैश्विक तनावों और व्यापारिक चुनौतियों के बीच ये यात्रा दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि वे अपनी साझेदारी को और मजबूत करेंगे. भारत की कूटनीतिक रणनीति, जो संतुलन और स्वतंत्र विदेश नीति पर आधारित है, इस मुलाकात में स्पष्ट रूप से दिखाई दी.

 
         
         
        