GST में बदलाव का कैसे मिलेगा लाभ, जब मुनाफाखोरी रोधी व्यवस्था होगी सुस्त ?
GST News Update
सरकार ने हाल ही में GST 2.0 के तहत टैक्स दरों को सरल और कम कर दिया है। 12% और 28% के टैक्स स्लैब को हटाकर अब केवल 5%, 18% और 40% (कुछ विलासिता और हानिकारक वस्तुओं पर) की दरें लागू की गई हैं। दावा किया जा रहा है कि इससे दूध, दवाइयों, छोटे वाहनों, पैकेज्ड खाद्य पदार्थों जैसी रोजमर्रा की चीजें सस्ती होंगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इसका असली लाभ आम लोगों तक पहुंचेगा?
कंपनियां क्या फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएंगी?
2017 में GST लागू करते समय सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए मुनाफाखोरी रोधी (Anti-Profiteering) कानून लागू किया था कि कंपनियां कर कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को दें, न कि अपने मुनाफे को बढ़ाएं। लेकिन 1 अप्रैल 2025 से सरकार ने यह प्रावधान समाप्त कर दिया, यह मानते हुए कि अब ऐसी शिकायतें नहीं के बराबर हैं।
हालांकि, जमीनी हकीकत इससे अलग है। अक्सर देखा गया है कि जब सरकार GST घटाती है, कंपनियां उत्पादों की कीमतें कम नहीं करतीं, बल्कि मूल्य बढ़ाकर मुनाफा बढ़ा लेती हैं। इससे सरकार के फैसलों का लाभ केवल कॉरपोरेट सेक्टर को मिलता है, आम उपभोक्ता को नहीं।
क्या कहती हैं पुरानी मिसालें?
GST लागू होने के बाद, कई बड़ी कंपनियों पर मुनाफाखोरी के आरोप लगे:
- नेस्ले इंडिया: 2019 में मैगी और कॉफी की कीमतें कम न करने पर ₹90 करोड़ का जुर्माना।
- HUL (हिंदुस्तान यूनिलीवर): 2017 में टैक्स कम होने पर भी कीमतें न घटाने पर ₹380 करोड़ की कार्रवाई।
- डोमिनोज़: पिज्जा पर टैक्स घटने के बाद भी कीमतें जस की तस, ₹41 करोड़ की मुनाफाखोरी।
- मैकडॉनल्ड्स, लॉरियल, सैमसंग, एबॉट, होंडा जैसे ब्रांड्स पर भी ऐसे ही आरोप लगे।
इनमें से कई कंपनियों ने अदालतों में फैसलों को चुनौती दी, जिससे उपभोक्ताओं को वास्तविक लाभ नहीं मिल पाया।

अब कौन देखेगा मुनाफाखोरी?
पहले यह काम राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (NAA) करता था।
अब 2024 से यह जिम्मेदारी GST अपीलीय ट्रिब्यूनल (GSTAT) को दी गई है।
लेकिन इसकी प्रभावशीलता सीमित रही है।
- सुनवाई धीमी है
- कोई निगरानी या दंड की ठोस व्यवस्था नहीं है
- और सबसे बड़ी बात – उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी है
क्या एंटी-मुनाफाखोरी कानून फिर से आएगा?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि मुनाफाखोरी रोधी प्रावधानों को दोबारा, सीमित समय के लिए (संभवत: 2 साल), लागू किया जाए। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कारोबारी GST कटौती का लाभ जेब में रखने के बजाय उपभोक्ताओं तक पहुंचाएं।
GST बदलाव के बाद सख्त कदम की ज़रुरत
- GST दरें घटने से कीमतें सस्ती होनी चाहिए, लेकिन कंपनियों की मुनाफाखोरी के कारण यह फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंच रहा।
- सरकार ने निगरानी व्यवस्था हटा दी है, जिससे कंपनियों को खुली छूट मिल गई है।
- जब तक कोई कड़ा कानून और मजबूत निगरानी व्यवस्था नहीं होगी, तब तक GST कटौती का लाभ जनता तक पहुंचना मुश्किल है।
सरकार के अच्छे इरादे तभी सफल होंगे, जब उनका लाभ आखिरी ग्राहक तक पहुंचे — और इसके लिए मुनाफाखोरी पर सख्त नियंत्रण जरूरी है।
