क्या Rohit Sharma को रिटायर करने की साजिश है Bronco Test ? BCCI के फैसले पर उठे सवाल
Bronco Test & Rohit Sharma Connection
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के हालिया फिटनेस टेस्ट “ब्रोंको टेस्ट” (Bronco Test) को लेकर क्रिकेट जगत में विवाद खड़ा हो गया है। कई पूर्व खिलाड़ियों और जानकारों का मानना है कि यह टेस्ट सिर्फ खिलाड़ियों की फिटनेस मापने का तरीका नहीं, बल्कि कुछ सीनियर खिलाड़ियों को टीम से बाहर करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। सबसे ज्यादा चर्चा में हैं भारतीय वनडे कप्तान रोहित शर्मा, जिन्हें लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या BCCI इस टेस्ट के बहाने उन्हें वनडे क्रिकेट से रिटायर करने की दिशा में बढ़ रहा है?
क्या है Bronco Test ?
ब्रोंको टेस्ट एक हाई-इंटेंसिटी रनिंग टेस्ट है, जिसमें खिलाड़ी को बिना रुके 20, 40 और 60 मीटर की शटल रन करनी होती है – और यह एक सेट होता है। ऐसे 5 सेट लगातार पूरे करने होते हैं और 6 मिनट के अंदर लगभग 1200 मीटर की दूरी तय करनी होती है।
इस टेस्ट का उद्देश्य खिलाड़ियों की एरोबिक क्षमता और फील्ड पर रनिंग एफिशिएंसी को जांचना है। यह खासकर तेज गेंदबाज़ों की फिटनेस सुधारने के लिए लाया गया है, लेकिन अब यह सभी खिलाड़ियों पर लागू हो रहा है।
Rohit Sharma पर क्यों उठे सवाल ?
भारत के वनडे कप्तान रोहित शर्मा इस समय 38 वर्ष के हैं और 2027 वर्ल्ड कप तक उनकी उम्र 40 पार हो जाएगी। ऐसे में उनकी फिटनेस को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं, हालांकि उनके प्रदर्शन ने हमेशा आलोचकों को चुप कराया है।

लेकिन पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी का कहना है कि यह ब्रोंको टेस्ट असल में रोहित जैसे खिलाड़ियों को टीम से बाहर करने का एक तरीका हो सकता है। तिवारी ने कहा:
“मुझे लगता है कि यह टेस्ट रोहित शर्मा जैसे सीनियर खिलाड़ियों को रिटायरमेंट की ओर धकेलने के लिए लाया गया है। सभी जानते हैं कि रोहित सबसे फिट खिलाड़ी नहीं हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन उन्हें टीम से बाहर नहीं होने देता। ब्रोंको टेस्ट इस स्थिति को बदल सकता है।”
ब्रोंको टेस्ट कब और क्यों लाया गया?
यह टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बाद लागू किया गया, जिसमें भारत की फील्डिंग और फिटनेस दोनों कमजोर नजर आई। खासकर तेज गेंदबाजों जैसे आकाश दीप, प्रसिद्ध कृष्णा और बुमराह की फिटनेस पर सवाल उठे।
नए स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स और हेड कोच गौतम गंभीर की सहमति के बाद यह टेस्ट BCCI के बेंगलुरु स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में लागू किया गया है।
मनोज तिवारी का बड़ा दावा
मनोज तिवारी ने यह भी कहा कि:
“जैसे 2011 वर्ल्ड कप के बाद यो-यो टेस्ट लाया गया था, वैसे ही अब ब्रोंको टेस्ट आया है। उस समय गंभीर, सहवाग और युवराज जैसे खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे, फिर भी फिटनेस के बहाने उन्हें धीरे-धीरे टीम से बाहर किया गया। अब वही स्क्रिप्ट दोहराई जा रही है।”
फिटनेस टेस्ट की जरूरत या साजिश?
हालांकि ब्रोंको टेस्ट का उद्देश्य खिलाड़ियों की फिटनेस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाए रखना है, लेकिन इसकी टाइमिंग और लक्ष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं:
- यह टेस्ट अचानक क्यों लाया गया?
- इसे खासकर सीनियर खिलाड़ियों पर क्यों लागू किया जा रहा है?
- क्या यह टेस्ट चयन का पैमाना बनेगा, या सिर्फ एक आकलन प्रक्रिया रहेगी?
BCCI की ओर से लागू किया गया ब्रोंको टेस्ट एक सकारात्मक पहल भी हो सकता है और एक रणनीतिक कदम भी। जहां एक ओर यह खिलाड़ियों को उच्चतम स्तर की फिटनेस की ओर प्रेरित करता है, वहीं दूसरी ओर इसका उपयोग कुछ खिलाड़ियों को बाहर करने के “मानदंड” के रूप में भी देखा जा रहा है।
क्या रोहित शर्मा इस नई चुनौती को पार कर 2027 वर्ल्ड कप तक टीम इंडिया की अगुवाई करेंगे? या फिर यह फिटनेस टेस्ट उनकी विदाई का कारण बन जाएगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
