 
                  Waqf Amendment Act:2025 – वक्फ संशोधन एक्ट पर केंद्र सरकार के जवाब से SC होगा संतुष्ट?

Waqf Amendment Act:2025, जी हां जिसे लेकर हिंदुस्तान में एक अलग तरह की हवा बह रही है। ये हवा समाज को दो वर्गों में बांट रही है। पहला वर्ग है जो वक्फ संशोधन का समर्थन कर रहे हैं।वहीं दूसरा वर्ग इसे मुस्लिम समाज के लिए अहितकर बता रहा है। इस वर्ग में कई सियासी दल और मुस्लिम संगठन भी शामिल हैं। ये सभी वक्फ कानून में संशोधन को मुस्लिम समाज में दखल मान रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का दिया गया दिशा निर्देश भी इसी ओर इशारा कर रहा है। लेकिन केंद्र सरकार अपने फैसले को सही बताते हुए इस पर किसी भी तरह के रोक का विरोध कर रही है।जिस पर सोमवार यानि कल एक बार फिर सुनवाई होनी है।

पिछली दो सुनवाई में क्या हुआ ?
वक्फ संशोधन एक्ट के संसद पारित होते ही मानों सुप्रीम कोर्ट में इसका विरोध करने वालों की बाढ़ आ गई।कई मुस्लिम नेताओं ने इस कानून को रद्द करने और पहले जैसी व्यवस्था लागू करने की मांग की है। इस कानून के विरोध में कई जगहों पर विरोध—प्रदर्शन भी हुए। पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद इस मामले में खासा चर्चित रहा। जहां पुलिस को भी प्रदर्शनकारियों ने नहीं बख्शा। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर अब तक दो बार सुनवाई हो चुकी है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कानून की मुख्य दो पहलुओं को लागू करने से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने भी कहा था कि जब तक कोर्ट अगला आदेश पारित नहीं कर देती,तब तक वो वक्फ बाई यूजर और वक्फ की संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं करेगा। इसके साथ ही सेंट्रल वक्फ काउंसिल बोर्ड में किसी तरह की नियुक्ति भी नहीं करेगा। हालांकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया है।केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि, संसद से पारित किसी कानून पर अदालत का रोक लगाना सही नहीं है, और जहां तक ‘वक्फ बाई यूजर’ को लेकर जो बदलाव किये गए हैं, वो प्रावधान भी पूरी तरह सही हैं।

तीन जजों की बेंच करेगी सुनवाई
सोमवार को तीन जजों की बेंच इसकी सुनवाई करेगी। इस सुनवाई में उन याचिकाओं की भी सुनवाई होगी, जिन्हें पहले की दो सुनवाईयों के दौरान शामिल नहीं किया गया था। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी इसमें शामिल है। इस याचिका को नाम वक्फ संशोधन एक्ट 2025 नाम दिया गया है।

सोमवार को SC पर रहेगी सबकी नजर
पहलगाम हमले के बाद हालांकि इस मुद्दे पर शोर थोड़ा कम सुनाई दे रहा है। लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र के हलफनामे को खारिज कर दिया जाता है । या फिर उसे संतोषजनक नहीं माना जाता है। तो ये केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका हो सकता है।अब देखना होगा की माननीय सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या फैसला सुनाती है।

 
         
         
         
        