
Yamuna Water-बांके बिहारी कॉरिडोर का विरोध कर रही गोस्वामी समाज की महिलाओं ने सासंद हेमामालिनी को युमना पर घेरा
मथुरा से रिपोर्ट। संवाददाता-अमित शर्मा
वृंदावन की गलियों से सांसद महोदया के लिए खुली चुनौती उठी है – ‘अगर इतनी श्रद्धा है तो 40 दिन यमुना जल(Yamuna Water)पीकर दिखाओ, वरना कॉरिडोर का राग छोड़ दो।’
बांके बिहारी मंदिर अधिग्रहण और प्रस्तावित ट्रस्ट के खिलाफ गोसाईं परिवार की महिलाएं अब कमर कस चुकी हैं।
गेट नंबर 1 पर हर रोज हो रहा पाठ अब सियासत की किताब का सबसे कड़ा अध्याय बन चुका है।
“Yamuna Water पिएं हेमा जी, फिर बताइए क्या वाकई वृंदावन में विकास चाहिए था या इलाज!”
नीलम गोस्वामी ने मीडिया के सामने खुले शब्दों में कहा –
“40 दिन यमुना जल पी लें सांसद महोदया, अगर पेट ठीक रहा तो हम खुद दुकानें सौंप देंगे सरकार को। नहीं तो आइंदा वोट मांगने मत आना।”
वृंदावन में अब ये सिर्फ आंदोलन नहीं, एक सामाजिक ताव है – जो गोस्वामी परिवार की बेटियों ने संभाला है।
अब आइए जरा जिस यमुना नदी को लेकर हेमामालिनी को गोस्वामी समाज की महिलाए घेर रही हैं, उसकी सच्चाई से भी आपको अवगत करा देते हैं-
Yamuna Water:यमुना की बदबू: आंकड़े चीख रहे, सरकार सो रही!
यमुना, जिसे ब्रजवासी मां कहते हैं, आज गटर बन चुकी है। आंकड़ों की जुबानी:
Yamuna Water:सरकार ने क्या किया?
हेमा मालिनी: यमुना प्रेम या चुनावी जुमला?
Yamuna Water:क्या किया?
हेमा मालिनी अब ब्रज की सांसद हैं या मायानगरी की ब्रांड एंबेसडर?
महिलाओं की शिकायत दो टूक है –
“जब यमुना सूख रही थी, तब हेमा जी कहां थीं? अब कॉरिडोर बना कर फोटो खिंचवाने की जल्दी में हैं। पहले Yamuna Water का हाल देखो, फिर विकास की तस्वीर बनाओ।”
दक्षा गोस्वामी ने व्यंग्य करते हुए कहा –
“कभी घाट पर उतरकर सासें लेना मुश्किल है, और सांसद कहती हैं, तीर्थ सुधार रहे हैं! पहले नाक बंद करना बंद कीजिए, फिर ब्रज सुधारिए।”
हेमा मालिनी जवाब दें!बांके बिहारी कॉरिडोर विरोध अब वृंदावन की आत्मा की लड़ाई है। गोस्वामी महिलाओं ने हेमा मालिनी को ललकारा है—यमुना का पानी पीकर दिखाएं, वृंदावन की गलियों में टहलें। लेकिन सवाल यही है: क्या सांसद महोदया सिर्फ ट्वीट और पौधे लगाकर निकल लेंगी? या यमुना की गंदगी और ब्रजवासियों का गुस्सा उन्हें जवाब देने पर मजबूर करेगा?यमुना बदबू मार रही, कॉरिडोर की आड़ में गलियां मिटने की कगार पर, और जनता पूछ रही—हेमा जी, वादों का क्या हुआ? चूरन खत्म, अब हिसाब दो!
“दो कमरे का फ्लैट? 400 साल पुरानी दुकान की जगह?“
प्रशासन की पेशकश पर महिलाओं का दर्द छलक गया –
“दो कमरे का सरकारी फ्लैट देकर हमारी पीढ़ियों की पहचान खरीदना चाहते हो? बिहारी जी सिर्फ मंदिर में नहीं, हमारी आत्मा में बसे हैं।”
हेमा मालिनी के लिए ये वृंदावन अब रेड कार्पेट नहीं, रेड अलर्ट बन चुका है।
जिस Yamuna Water को सालों से अनदेखा किया गया,
अब वही राजनीति की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।गोसाईं महिलाएं कह रही हैं – “यमुना साफ नहीं, और सपने कॉरिडोर के दिखा रहे हो?”
सांसद महोदया, ये वृंदावन है, यहां जनता की आस्था गूंगी नहीं होती – जवाब देती है।