 
                  Vrindavan News: मंगला आरती में हावी रहा वीआईपी कल्चर, श्रद्धालुओं को मिली सिर्फ धक्के और ठोकरें !
Vrindavan News: जन्माष्टमी के पावन अवसर पर बांके बिहारी मंदिर में हुई मंगला आरती इस बार श्रद्धा और भक्ति से अधिक वीआईपी कल्चर की भेंट चढ़ गई। मंदिर प्रबंधन और ज़िला प्रशासन की कार्यशैली इस मामले में सवालों के कटघरे में आ गई है। मंगला आरती के दौरान आलम यह रहा कि जहां अफसरों, नेताओं और उनके परिजनों को सहज प्रवेश मिला, वहीं स्थानीय श्रद्धालु और सेवायत तक मंदिर के बाहर खड़े रह गए।

पास 600, प्रवेश 3000 से अधिक
आरोप है कि मंदिर प्रबंधन और ज़िला प्रशासन ने मंगला आरती के लिए मात्र 600 पास जारी करने का दावा किया था, लेकिन हकीकत में तीन हजार से ज्यादा लोगों को भीतर जाने दिया गया। आरोप है कि इसमें प्रशासनिक अधिकारी, पुलिसकर्मी, नेता और उनके परिजन प्रमुख रूप से शामिल थे। कई सेवायतों ने यहां तक आरोप लगाया कि उन्हें पास होने के बावजूद रोक दिया गया और उनकी महिलाओं को तो पास जारी ही नहीं किए गए।
श्रद्धालुओं के साथ धक्का-मुक्की
आरोप है आधी रात को आरती के समय मंदिर गलियों को बैरिकेडिंग कर पूरी तरह बंद कर दिया गया। बाहर खड़े श्रद्धालुओं को पुलिस ने जबरन पीछे धकेला। जो लोग किसी तरह भीतर घुसने की कोशिश करते दिखे, उन्हें पुलिस ने खदेड़ दिया। इसी अफरातफरी में न्यायालय के एक जज भी लौटने लगे, लेकिन पहचान होने पर उन्हें भीतर भेजा गया।
वीआईपी और सुरक्षाकर्मियों की एंट्री पर सवाल
स्थानीय लोगों और सेवायतों का कहना है कि जब पास 600 बनाए गए थे, तो फिर तीन हजार लोग कैसे अंदर पहुंचे? सवाल यह भी है कि हर वीआईपी के साथ पहुंचे छह-छह पुलिसकर्मी भी भीतर कैसे घुसे? यह पूरा घटनाक्रम मंदिर में लगे सीसीटीवी कैमरों में दर्ज है, लेकिन कार्रवाई की उम्मीद कम ही दिख रही है।
कथित पैसों का खेल
इस बीच यह चर्चा भी गर्म रही कि चौकी पुलिस ने कुछ श्रद्धालुओं से पास के नाम पर मोटी रकम वसूली। आरोप है कि दुबई से आए चार श्रद्धालुओं को 21 हजार रुपये लेकर पास दिए गए, वहीं स्थानीय स्तर पर 5-5 हजार रुपये में पास बेचे गए।

दो पास से पांच लोग अंदर
गेट नंबर चार पर तैनात एक पुलिसकर्मी ने अपने पांच परिजनों को केवल दो पास दिखाकर अंदर कराया। जांच करने वाला पुलिसकर्मी खुद वही था, लिहाजा उसके परिजन बिना रोक-टोक आरती का आनंद ले पाए।

श्रद्धालुओं में आक्रोश
मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह, जिलाधिकारी सीपी सिंह, एसएसपी श्लोक कुमार और मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण समेत कई बड़े अधिकारी और उनके परिजन आरती में शामिल रहे, जबकि बाहर खड़े स्थानीय श्रद्धालु और बृजवासी पुलिस-प्रशासन की इस मनमानी पर नाराजगी जताते रहे। सेवायतों ने इसे भक्तों के अधिकारों का हनन बताया और सवाल उठाया कि आखिर बांके बिहारी की मंगला आरती में स्थानीयों और सेवायतों को ही क्यों बाहर रखा गया?

बांके बिहारी मंदिर की मंगला आरती, जो हर साल आस्था और भक्ति का केंद्र रहती है, इस बार अफसरशाही और वीआईपी संस्कृति के दबाव में खो गई। श्रद्धालुओं के लिए केवल धक्के, बैरिकेड और पुलिस की ठोकरें रह गईं, जबकि चुनिंदा चहेते आराम से आरती का आनंद लेते रहे।

 
         
         
        