 
                  Vrindavan News: श्री रंगनाथ मंदिर में आस्था का संगम
Vrindavan News Update
Vrindavan News: धार्मिक नगरी वृंदावन के दक्षिणात्य शैली में निर्मित विशालतम श्री रंगनाथ मंदिर में श्रावण पूर्णिमा एवं रक्षाबंधन के पावन अवसर पर गज ग्राह लीला का भव्य आयोजन किया गया। गरुण वाहन पर विराजमान भगवान रंगनाथ की जयकारों से पूरा मंदिर परिसर भक्तिमय वातावरण में गूंज उठा ।
क्या है मान्यता और पौराणिक गाथा
श्रावण पूर्णिमा के इस पर्व पर मंदिर में हर वर्ष की भांति गज ग्राह लीला का मंचन किया गया। पौराणिक मान्यता के अनुसार, सतयुग में एक बार एक गज (हाथी) जलाशय में स्नान कर रहा था, तभी जल के भीतर छिपे ग्राह (मगरमच्छ) ने उस पर हमला कर दिया। ग्राह ने गज को मजबूती से पकड़ लिया और पानी के भीतर खींचने लगा। कई प्रयासों के बाद भी जब गज खुद को छुड़ा नहीं पाया, तो उसने व्याकुल स्वर में भगवान रंगनाथ को पुकारा।

सुदर्शन चक्र से ग्राह का वध
भक्त की करुण पुकार सुनकर भगवान रंगनाथ बिना चरण पादुका धारण किए, गरुण पर सवार होकर तत्काल पहुंचे। उन्होंने सुदर्शन चक्र से ग्राह का वध कर उसे मोक्ष प्रदान किया और अपने भक्त गज को मुक्त किया। यह लीला भक्त और भगवान के अटूट संबंध तथा रक्षा के भाव का प्रतीक मानी जाती है।

भगवान रंगनाथ की भव्य सवारी निकली
शनिवार को परंपरा के अनुसार, स्वर्ण निर्मित गरुण वाहन पर सवार सुदर्शन चक्रधारी भगवान रंगनाथ की भव्य सवारी गर्भगृह से निकलकर पूर्वी द्वार स्थित पुष्करणी तक पहुंची। वहां मंदिर के श्री महंत गोवर्धन रंगाचार्य स्वामी जी ने भगवान का पाठ किया, जिसके पश्चात गज ग्राह लीला का मंचन आरंभ हुआ। लगभग आधा घंटे तक चले इस अद्भुत प्रदर्शन के अंत में भगवान ने ग्राह का वध कर भक्त की रक्षा की। मंदिर परिसर में “भगवान रंगनाथ की जय” के जयकारे गूंजते रहे। इसके बाद भगवान की कुंभ आरती हुई और सवारी पुनः मंदिर में भ्रमण करते हुए गर्भगृह में लौट आई।

मंदिर की स्थापना के समय से हो रहा मंचन
मंदिर के चक्रपाणि मिश्रा ने बताया कि श्री रंगनाथ मंदिर में प्रतिदिन किसी न किसी उत्सव का आयोजन होता है, इसी कारण इसे ‘दिव्यदेश’ कहा जाता है। गज ग्राह लीला का मंचन मंदिर की स्थापना के समय से ही होता आ रहा है, जो यह दर्शाता है कि भगवान अपने भक्तों की पुकार पर तुरंत उनकी रक्षा के लिए आते हैं। ये आयोजन न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आस्था, विश्वास और भक्ति का अद्वितीय अनुभव भी है।

 
         
         
         
        