 
                  वृंदावन में ठाकुर जानकी वल्लभ लाल ने दिए भव्य फूल बंगले में दर्शन… गुरुदेव के तिरोभाव महोत्सव में संतों ने दी श्रद्धांजलि. भगवत प्राप्ति के महत्व पर गहन चर्चा.
संवाददाता : अमित शर्मा, मथुरा
Mathura : वृंदावन के पवित्र श्रीधाम में केसी घाट स्थित ठाकुर श्री जानकी वल्लभ मंदिर में बैकुंठवासी गुरुदेव स्वामी श्री भगवानदासाचार्य महाराज का 26वां तिरोभाव महोत्सव बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया गया… इस अवसर पर ठाकुर श्री जानकी वल्लभ लाल को भव्य फूल बंगले में विराजमान किया गया और झूलन महोत्सव का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों ने ठाकुर जी को झूले पर झुलाकर पुण्य अर्जित किया. साथ ही एक विद्वत संगोष्ठी में देश भर से आए संतों ने गुरुदेव को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके जीवन व शिक्षाओं पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में भक्ति, गुरु-शिष्य परंपरा और भगवत प्राप्ति के महत्व पर गहन चर्चा हुई.
विद्वत संगोष्ठी और संतों की श्रद्धांजलि

महोत्सव के हिस्से के रूप में आयोजित विद्वत संगोष्ठी में देश भर से आए प्रमुख संतों ने गुरुदेव स्वामी भगवानदासाचार्य के जीवन, उनकी भक्ति और शिष्यों के प्रति उनके योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए. संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रयागराज के लक्ष्मी नारायण मंदिर के Swami Ghanshyamacharyaji ने की. जगतगुरु स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा, “गुरुदेव भगवानदासाचार्य की कृपा के बिना भगवत प्राप्ति संभव नहीं है. गुरु की शरण में जाने से ही शिष्य का कल्याण होता है. सभी को एक सच्चे गुरु की शरण लेनी चाहिए”. सुग्रीव किला पीठाधीश्वर स्वामी विशेष प्रपन्नाचार्य महाराज ने गुरुदेव को साक्षात भगवत स्वरूप बताते हुए कहा, “वे मन की बात जान लेते थे और शरण में आए हर भक्त का कल्याण करते थे. हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें उनके तिरोभाव महोत्सव में शामिल होने का अवसर मिला”.
महोत्सव की विशेषताएं

फूल बंगले और झूलन महोत्सव – ठाकुर श्री जानकी वल्लभ लाल को फूलों से सजे भव्य बंगले में विराजमान किया गया. भक्तों ने ठाकुर जी को झूले पर झुलाकर और हजारों भक्ति भजनों के साथ उत्सव में हिस्सा लिया. मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी रोशनी और फूलों से सजाया गया था, जिसने वातावरण को और भी दिव्य बना दिया.
संतों की उपस्थिति – संगोष्ठी में गोविंद दास महाराज, रामनारायण पुजारी, रघुनाथ आचार्य, मुकेश शास्त्री, मुकुंद, पीयूष, गोवर्धन, रामभद्र, सुधीर, श्रीनिवास, महेश अग्रवाल, और राम अवतार नारसरिया जैसे कई प्रमुख संत और भक्त शामिल हुए.
गुरुदेव की शिक्षाएं – संतों ने गुरुदेव के जीवन से प्रेरणा लेने और भक्ति मार्ग पर चलने का संदेश दिया. उन्होंने गुरुदेव की शिक्षाओं को याद करते हुए कहा कि वे भक्तों को हमेशा भगवत भक्ति और सत्संग की ओर प्रेरित करते थे.

 
         
         
        