Vrindavan Flower Bungalow Festival

Vrindavan Flower Bungalow Festival: श्री रंगनाथ मंदिर में फूल बंगले की अलौकिक छटा, भक्तों का सैलाब

Vrindavan Flower Bungalow Festival में ठाकुर गोदारंगमन्नार की अलौकिक सज्जा, भक्तों की जय-जयकार से गूंजा वृंदावन

Vrindavan Flower Bungalow Festival:वृंदावन की पवित्र धरती पर 18 जून 2025 को  भक्ति का ऐसा समां बांधा कि हर दिल भगवान रंगनाथ की लीलाओं में डूब गया। श्री वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख श्री रंगनाथ मंदिर में साल में एक बार सजने वाले अद्वितीय फूल बंगले में ठाकुर गोदारंगमन्नार की मनमोहक छवि ने भक्तों के मन को मोह लिया। जैसे ही बुधवार की शाम दर्शन खुले, “रंगनाथ भगवान की जय” की गूंज से मंदिर परिसर आनंदमय हो उठा। विविध सुगंधित फूलों और केले के पत्तों से सजा बंगला, कृतिम यमुना और गोवर्धन पर्वत की छवि, और नाव की अलौकिक कारीगरी ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह दृश्य सिर्फ आंखों का सुख नहीं, बल्कि आत्मा को भक्ति के रस में डुबोने वाला अनुभव था। 
Vrindavan Flower Bungalow Festival
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Vrindavan Flower Bungalow Festival: फूल बंगले का महत्व और भक्ति का उत्सव

l -श्री रंगनाथ मंदिर में फूल बंगला भगवान को गर्मी से शीतलता प्रदान करने का प्रतीक है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण कुंज, लताओं और फूलों के बीच अपनी लीलाएं रचाते थे। इसी परंपरा को जीवित रखते हुए, वैष्णव संप्रदाय में ठाकुर जी को फूलों के बंगले में विराजमान किया जाता है, जिससे उनकी शीतलता और भक्ति की मधुरता भक्तों तक पहुंचे। यह उत्सव भगवान रंगनाथ और माता गोदा (आंडाल) के दिव्य प्रेम का प्रतीक है, जहां भगवान दूल्हे के रूप में और गोदा उनकी दुल्हन के रूप में पूजे जाते हैं।

Vrindavan Flower Bungalow Festival
Vrindavan Flower Bungalow Festival
इस बार, नामचीन केले के पत्तों पर वैष्णव संतों की छवियां उकेरकर कला और भक्ति का अनुपम संगम प्रस्तुत किया  गया था। स्वर्ण गरुण स्तंभ के पास उमड़ी भक्तों की भीड़ ने ठाकुर जी की जय-जयकार की, और कृतिम यमुना सरोवर में गोवर्धन पर्वत की छवि के साथ नाव की कारीगरी ने सभी का मन मोह लिया। यह सज्जा न केवल भगवान की लीलाओं को जीवंत करती है, बल्कि भक्तों को उनकी निकटता का अहसास भी कराती है।

फूल बंगले की परंपरा और अन्य मंदिरों में इसका आयोजन

Flower Bungalow Festival की परंपरा वृंदावन के श्री रंगनाथ मंदिर में विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जो 1851 में निर्मित उत्तर भारत का सबसे बड़ा मंदिर है। यह द्रविड़ शैली में बना है और श्रीरंगम के रंगनाथस्वामी मंदिर से प्रेरित है। फूल बंगला उत्सव हर साल चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) में ब्रह्मोत्सव के दौरान आयोजित होता है, जिसमें भगवान को रथ पर फूलों के बंगले में ले जाया जाता है।
Vrindavan Flower Bungalow Festival
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वृंदावन के अन्य मंदिरों में भी फूल बंगले की परंपरा प्रचलित है। बांके बिहारी मंदिर में अप्रैल से अगस्त तक 100 से अधिक दिनों तक फूल बंगला सजाया जाता है, जिससे ठाकुर जी को गर्मी से राहत मिले। श्री राधारमण मंदिर में भी ग्रीष्मकाल में फूल बंगले की सज्जा की जाती है, जहां भगवान राधारमण की मनमोहक छवि को फूलों से सजाया जाता है। प्रेम मंदिर और राधा वल्लभ मंदिर में जनमाष्टमी और होली जैसे त्योहारों पर फूलों की सजावट विशेष आकर्षण का केंद्र होती है, जिसमें राधा-कृष्ण की मूर्तियों को फूलों से सजाया जाता है। निधिवन मंदिर में रासलीला के समय फूलों और पत्तियों की सजावट भगवान की लीलाओं को जीवंत करती है। ये परंपराएं भक्ति और प्रकृति के सामंजस्य को दर्शाती हैं, जहां फूल भगवान के प्रति प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक बनते हैं।

भक्ति और कला का संगम

 Flower Bungalow Festival न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि भक्ति, कला, और परंपरा का अनुपम मेल है। श्री रंगनाथ मंदिर में फूल बंगले की अलौकिक छटा ने भक्तों को ठाकुर गोदारंगमन्नार के चरणों में लीन कर दिया। वृंदावन की पवित्र गलियों में यह उत्सव हर साल भक्तों के दिलों को भक्ति के रंग में रंग देता है। क्या आपने कभी इस फूल बंगले के दर्शन किए हैं? अपनी भक्ति की कहानी कमेंट में साझा करें, और ऐसी ही आध्यात्मिक खबरों के लिए हमारी वेबसाइट को बुकमार्क करें!

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