Vrindavan Electric Shock Incident

वृंदावन परिक्रमा मार्ग में करंटकांड! मीटर लगाते दो विद्युत कर्मियों की मौत, जिम्मेदार कौन?

Vrindavan Electric Shock Incident में परिक्रमा मार्ग पर मीटर लगाते वक्त 11 हजार केवीए लाइन में अचानक सप्लाई चालू होने से दो बिजली कर्मी करंट से झुलसकर मर गए। तीसरे की जान बची, पर परिजनों ने लापरवाही के खिलाफ जाम लगाकर हंगामा किया। बिजली विभाग के अफसरों की जवाबदेही पर सवाल खड़े हैं।

✍️ Written by: Khabrilal.Digital Desk

“शटडाउन के नाम पर लापरवाही, सप्लाई चालू कर दी — और दो घरों में लौट आई अर्थी!”

मथुरावृंदावन की परिक्रमा का पुण्य कमाने वाले रास्ते में इस बार बिजली विभाग ने मौत का मीटर जोड़ दिया! शुक्रवार को परिक्रमा मार्ग पर मीटर लगाने गए तीन विद्युत कर्मचारी ज़िंदा तारों में उलझकर करंट से झुलस गए। दो की जान मौके पर ही चली गई, तीसरे की किस्मत ने दम साध लिया — वरना उसकी भी चिता आज जल चुकी होती।

ये हादसा पागल बाबा बिजली घर क्षेत्र का है, जहां सहायक अभियंता ऋषभ शर्मा की देखरेख में मीटर विभाग की टीम ललिता आश्रम के पास 11 हजार केवीए की लाइन पर मीटर फिट कर रही थी। शटडाउन यानी बिजली सप्लाई बंद करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं साहब की थी — मगर कागज पर बिजली बंद थी, हकीकत में तारों में मौत दौड़ रही थी!

⚡ सप्लाई चालू, जानें खत्म! Vrindavan Electric Shock Incident

कहा जाता है कि शटडाउन लिया गया था। लेकिन अचानक किस फरिश्ते ने बटन दबा दिया कि 11 हजार केवी की लाइन में करंट दो बदन झुलसा गया? बालाजीपुरम के विनोद और हरेंद्र ने घर से निकले तो रोटी कमाने — लौटे तो लकड़ी पर लदने। तीसरे साथी की जान तो बच गई लेकिन सवाल बचा —
“आख़िर किसने सप्लाई चालू की? और क्यों?”

जाम, हंगामा और जवाबदेही का शटर डाउन- Vrindavan Electric Shock Incident

घटना के बाद बिजली विभाग के अफसरों की घिग्घी बंध गई। मृतकों के परिजनों ने सांय 7 बजे बिजली घर कैंट पर जाम लगा दिया — लाशों पर रोने से ज़्यादा जरूरी था अफसरों को जगाना। पुलिस मौके पर पहुंची, समझाया-बुझाया लेकिन जनता पूछ रही है —
“ऋषभ शर्मा साहब! शटडाउन कागज पर था या ज़मीन पर?”

सिस्टम का करंट- Vrindavan Electric Shock Incident

बिजली विभाग में ठेकेदारी, लापरवाही और ऊपर से ‘देखरेख का खेल’ — जब तक मरने वाला कोई मज़दूर होता है तब तक सिस्टम को फर्क नहीं पड़ता। अब दो परिवार उजड़ गए, परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है — अफसर अपनी फाइलों में मुआवज़ा ढूंढ रहे हैं। किसी ने पूछा कि करंट से झुलसने से पहले सुरक्षा किट थी या नहीं? शायद नहीं — क्योंकि मौत सस्ती है, मीटर महंगे हैं।

 खबरीलाल की दो टूक: Vrindavan Electric Shock Incident

“परिक्रमा में लोग पाप धोते हैं — बिजली विभाग ने वहीं करंट का पाप जोड़ दिया।
जिम्मेदार कौन? शटडाउन पर दस्तखत किसके? और चालू किसके इशारे पर हुआ?”

जवाब ढूंढने में वक्त लगेगा। अफसर तब तक बयान देंगे, परिजन जाम लगाएंगे, पुलिस पन्ने पलटेगी — लेकिन जिनके घर के चूल्हे बुझ गए, वो अब शटडाउन के भरोसे कब तक जीएंगे?

संवाददाता-अमित शर्मा,मथुरा

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