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Vrindavan Corridor Protest के बीच बांके बिहारी मंदिर की गलियों में गूंजा समाजवादी समर्थन। राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने गोस्वामियों को दिया खुला समर्थन, बोले—”सरकार विरासत मिटाने पर आमादा है।”
रिपोर्ट: अमित शर्मा
वृंदावन: बांके बिहारी मंदिर के गलियारों से अब सिर्फ शंख और भजन की आवाज़ें नहीं आ रहीं, अब यहां सियासत का शोर भी गूंजने लगा है। Vrindavan Corridor Protest अब एक स्थानीय आस्था का मुद्दा नहीं रहा, ये बन गया है दिल्ली तक गूंजता सियासी आंदोलन।
सोमवार को जब समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन मंदिर की गलियों में गोस्वामियों के बीच पहुंचे, तो माहौल वैसा हो गया जैसे कोई चुनावी सभा हो। नारे भी थे, श्रद्धा भी और साथ में नाराज़गी का ऐसा दरिया जो बहकर सीधे लखनऊ और दिल्ली तक जाने को आतुर था।
सपा का आशीर्वाद: “जहां बाबा, वहां समाजवाद भी”
Rajya Sabha MP Support Vrindavan की इस तस्वीर में सांसद सुमन ने न सिर्फ गोस्वामियों का हाल जाना, बल्कि मंच से साफ किया—”जहां गोस्वामी खड़े हैं, वहीं सपा भी खड़ी है।” उन्होंने कहा, “सरकार विकास के नाम पर वृंदावन की पहचान मिटा रही है। कुंज गलियां अगर चली गईं, तो ब्रज नहीं बचेगा, सिर्फ पत्थरों का कॉम्प्लेक्स रह जाएगा।”

उनके इस बयान के बाद गोस्वामियों और स्थानीय व्यापारियों में सपा को लेकर कुछ राहत की भावना देखी गई। वहीं कुछ लोग इसे ब्रज की राजनीति में सपा की सधे कदमों से एंट्री भी मान रहे हैं।
गोस्वामी बोले: ‘हमारे साथ बांके बिहारी हैं, बाकी तो मेहमान हैं’
Vrindavan Corridor Protest– नीलम गोस्वामी ने साफ कहा, “रामजी लाल सुमन सिर्फ सांसद नहीं, आज हमारे दर्द के भागीदार बनकर आए हैं। ये हमारे आंदोलन को मजबूती देगा।”
वहीं श्यामा गोस्वामी ने थोड़े भावुक लहजे में कहा—”बांके बिहारी जी ने ही हमें रास्ता दिखाया। आज अगर सपा हमारे साथ है, तो ये भी उनकी कृपा से ही संभव है।”
Vrindavan Corridor Protest-कॉरिडोर का कॉन्फ्यूजन: विकास या विनाश?
सरकार कॉरिडोर बनाना चाहती है ताकि सुविधाएं बढ़ें, लेकिन जिनके नाम पर ये सुविधा आनी है, वही पूछ रहे हैं—”किससे पूछकर?”
प्रशासनिक अधिकारी मीटिंग पर मीटिंग कर चुके हैं, लेकिन Vrindavan Corridor Protest की आग बुझने का नाम नहीं ले रही।
Vrindavan Corridor Protest-क्या ब्रज की गलियां सियासी चौपाल बनेंगी?
राज्यसभा सांसद के साथ पहुंचे सपा जिला अध्यक्ष वीरेंद्र यादव, महानगर अध्यक्ष रितु गोयल, पार्षद मुन्ना मलिक, अशोक कुमार, अंकित वार्ष्णेय, राघवेंद्र ठाकुर, अंगद सिंह, साहुल खान, नीरज शर्मा सहित कई नेता इस बात के संकेत दे रहे हैं कि अब ये आंदोलन सिर्फ गोस्वामियों का नहीं रहा—अब ये सियासी एजेंडा बन गया है।
सरकार कह रही है—“विकास चाहिए”, गोस्वामी कह रहे हैं—“विरासत नहीं खोएंगे”, और जनता पूछ रही है—“क्या दोनों नहीं हो सकता?”
Vrindavan Corridor Protest अब कॉरिडोर से ज़्यादा एक टकराव बन गया है—जहां एक तरफ सरकार के पास बजट और बुलडोज़र है, वहीं गोस्वामियों के पास बांके बिहारी का नाम और बृजवासियों की आस्था।
और इस बीच राजनीति कहती है—“जहां भीड़ हो, वहीं वोट हैं।”

 
         
         
         
        