 
                  Vrindavan Corridor Protest-वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के विरोध में ब्रजवासी, गोस्वामी समाज और सेवायतों का अनोखा शंखनाद और अनशन जारी है। 197 मंदिरों के अधिग्रहण की आशंका ने इस आंदोलन को आस्था और अस्तित्व की लड़ाई बना दिया है। ये केवल प्रदर्शन नहीं, ब्रज की आत्मा की पुकार है—जिसे अब सत्ता अनसुनी नहीं कर सकती।
मथुरा | वृंदावन | 24 जून 2025 | रिपोर्ट: अमित शर्मा
Vrindavan Corridor Protest : जब शंखनाद बना विरोध की आवाज़
शांति की भूमि वृंदावन में शंखनाद गूंज रहा है। कोई युद्ध नहीं, पर रणभूमि तैयार है—जिसका मकसद है एक ही, बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के खिलाफ आवाज़ उठाना। गोस्वामी समाज की महिलाएं करीब 27 दिनों से तपस्विनी बनकर धरना दे रही हैं। मंगलवार को शंखध्वनि के साथ प्रदर्शन हुआ, जिसमें हर एक स्वर ने सत्ता के इरादों को चुनौती दी।

Vrindavan Corridor Protest: महिलाओं की चेतावनी, ‘शंखध्वनि से होगा विनाश’
प्रदर्शन कर रही नीलम गोस्वामी कहती हैं—“कॉरिडोर रूपी राक्षस का विनाश अब निश्चित है। शंख की ध्वनि से जहां देवताओं का आवाहन होता है, वहीं इस बार ये ध्वनि ब्रज के रक्षक स्वयं बांके बिहारी जी को पुकार रही है।” उनके स्वर में भक्ति भी थी, और गुस्से की गूंज भी। ये आवाज़ें सत्ता की गलियों तक जरूर गूंज रही हैं।
Brij Temple Acquisition: 197 मंदिरों पर खतरे की तलवार
सरकार का इरादा साफ दिख रहा है। वृंदावन कॉरिडोर के नाम पर ब्रज के 197 मंदिरों को अधिग्रहण की योजना बताई जा रही है। गोस्वामी समाज से जुड़े सेवायतों का कहना है—“यह सिर्फ भूमि नहीं, हमारी आस्था का हरण है। अगर ये कॉरिडोर बनता है तो हमारी संस्कृति, विरासत और जीवनशैली हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगी।”

Vrindavan Protest News: सेवा को तपस्या में बदला सेवायतों ने
कॉरिडोर के विरोध में सेवायत गोस्वामियों का भी शांतिपूर्ण क्रमिक अनशन गेट नंबर 2 के पास जारी है। सुबह भजन, दोपहर में पाठ और शाम को गूंजते शंख—यह धरना नहीं, ब्रज संस्कृति की जीवंत प्रत्यक्षता है। ये वे लोग हैं जो अपनी पीढ़ियों से बांके बिहारी की सेवा कर रहे हैं, और आज उन्हीं को हटाने की कोशिश हो रही है।
Vrindavan Corridor Controversy: ‘हिंदू की सरकार’ से हिंदू ही घायल
श्रद्धा खंडेलवाल का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने कहा—“हमने इस सरकार को हिंदुओं की सरकार मानकर स्वीकार किया था। पर अब लगता है, हमारे सपनों पर खंजर इसी सत्ता से चला है। यह कॉरिडोर सिर्फ मंदिर की जमीन नहीं ले रहा, बल्कि हमारे बच्चों की छत, और हमारी पहचान भी छीन रहा है।”
Brij Heritage UnderThreat: ब्रजवासी एकजुट, लेकिन सत्ता खामोश
व्यापारी, तीर्थ पुरोहित, और स्थानीय लोग—सबका स्वर एक है। “हम उजड़ने नहीं देंगे। यह कॉरिडोर नहीं, ब्रज विनाश योजना है।” लेकिन सरकार अभी तक खामोश है। सत्ता की इस चुप्पी को ब्रजवासी सरकार की सहमति मान रहे हैं।
Vrindavan Corridor Protest : शांतिपूर्ण धर्मयुद्ध का आह्वान
इस आंदोलन में न कोई पत्थर चल रहा, न कोई नारेबाज़ी हो रही। बस शंखनाद, आरती और मंत्रोच्चार है। ये विरोध किसी क्रांति से कम नहीं। ये आंदोलन सत्ता से टकराने की वो पुकार है, जो बिना तलवार के भी तीखी है।

 
         
         
         
        