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Vrindavan Corridor Protest को मिला वैष्णव किन्नर अखाड़े का समर्थन, गोस्वामी समाज बोला – ठाकुर जी ने भेजा है अपना दूत!
Vrindavan Corridor Protest में उतरीं हिमांगी सखी – बोले मन की बात सुनी जाए
Vrindavan Corridor Protest आज 49वें दिन पहुंच गया, और इस बार आंदोलन को मिली एक आध्यात्मिक चिंगारी – वैष्णव किन्नर अखाड़ा की जगद्गुरु स्वामी हिमांगी सखी।
पहले उन्होंने बांके बिहारी के दर्शन किए, फिर गोस्वामी समाज की महिलाओं के साथ मंदिर गेट नंबर-1 पर भजन कीर्तन में बैठ गईं।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने प्रधानमंत्री को याद दिलाया – “मोदी जी, जब आप ‘मन की बात’ करते हैं, कभी ब्रजवासियों की भी सुनिए। यहां ठाकुर जी की परंपरा को कॉरिडोर से नहीं, संवाद से बचाइए।”
Vrindavan Corridor Protest: ठाकुर जी का न्याय 29 जुलाई को तय करेगा दिशा

गोस्वामी समाज की महिला प्रतिनिधि श्यामा गोस्वामी ने हिमांगी सखी का स्वागत करते हुए कहा –
“आज ठाकुर जी स्वयं किन्नर महामंडलेश्वर के रूप में हमारे बीच आए हैं। अब हमें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट में ठाकुर जी की जीत होगी, और कॉरिडोर के नाम पर धंधा करने वालों की हार।”
29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई को आंदोलन का टर्निंग पॉइंट बताया जा रहा है।
श्रीबिहारी जी की नगरी में यह विश्वास अब भजन से ज्यादा आंदोलन में गूंज रहा है।
Vrindavan Corridor Protest: कोरिडोर नहीं, ब्रज की आत्मा चाहिए
नीलम गोस्वामी और पूजा गोस्वामी ने सरकार को कड़ा संदेश देते हुए कहा –
“विकास के नाम पर विनाश बंद करो। भक्त दर्शन के लिए आते हैं, रियल एस्टेट कॉरिडोर देखने नहीं। कुंज गलियों की आत्मा को मत कुचलिए। योगी जी, समाधान चाहिए– ‘सज्जा’ नहीं।”
यह आवाज़ अब वृंदावन की हर गली में गूंज रही है –
कोरिडोर नहीं चाहिए, ठाकुर जी की परंपरा चाहिए।
Vrindavan Corridor Protest: क्या विकास के नाम पर विरासत से ठगी हो रही है?
सवाल अब सिर्फ कॉरिडोर का नहीं रहा। सवाल है — आखिर किससे पूछकर हो रहा है ये तथाकथित “विकास”?
जब ना गोस्वामी समाज को विश्वास में लिया गया, ना स्थानीय व्यापारियों को, ना ही लाखों श्रद्धालुओं से राय ली गई, तो फिर किसके कहने पर बन रहा ये ईंट-पत्थर का साम्राज्य?

क्या ठाकुर जी को कॉरिडोर चाहिए, या फिर श्रद्धा से भरी कुंज गलियां?
ब्रजवासियों का कहना है– “धरोहर को पर्यटन केंद्र मत बनाओ, मंदिर को मॉल मत बनाओ।”
Vrindavan Corridor Protest: किसकी सेवा, किसका स्वार्थ?
सरकार भले ही इसे सुविधाओं का विस्तार बताए, मगर विरोध कर रहे गोस्वामियों की बातों में कुछ और ही दर्द है।
उनका कहना है – “जब ठाकुर जी को किसी सुविधा की ज़रूरत ही नहीं, तब ये कॉरिडोर किसके लिए?”
असल में यहां सेवा के नाम पर सत्ता की छाया लंबी होती जा रही है। सवाल उठता है – क्या ये सेवा भाव है या ठेकेदारों के लिए रास्ता साफ़ करने वाला भाव?
वैष्णव किन्नर अखाड़े की एंट्री ने संघर्ष को नया मोड़ दे दिया है।
जब आस्था का प्रतिनिधित्व करने वाले किन्नर महामंडलेश्वर भी विरोध में आ जाएं, तो सत्ता को अपनी रेखाएं दोबारा खींचनी चाहिए।
Vrindavan Corridor Protest: सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले आस्था का अल्टीमेटम!

अब ब्रजवासी सिर्फ गुहार नहीं लगा रहे, वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ठाकुर जी के दरबार में दस्तक दे रहे हैं।
29 जुलाई को जो सुनवाई होनी है, उसमें सिर्फ कागज़ के दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भक्तों की आंखों का पानी और धड़कते दिलों की आहटें भी होंगी।
गोस्वामी समाज की महिलाओं का विश्वास है – “ठाकुर जी के दरबार से जो न्याय मिलेगा, वही असली फैसला होगा।”
और अब जब आस्था के मैदान में स्वामी हिमांगी सखी जैसी शख्सियत उतर आई हैं, तो साफ है – यह आंदोलन अब लोकल नहीं, राष्ट्रीय विमर्श बन चुका है।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: अमित शर्मा
📍 लोकेशन: मथुरा, यूपी
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