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Urea Black Marketing in Sambhal – किसानों की जेब पर डाका
संभल जिले के बहजोई कस्बे में Urea Black Marketing का ऐसा खेल सामने आया है, जिसने किसानों को लहूलुहान कर दिया। 266 रुपये का यूरिया खाद का कट्टा दुकानदार 320 से 400 रुपये में बेच रहा था। ऊपर से चालाकी ये कि दुकान पर न तो फर्म का नाम लिखा है, न कोई डिस्प्ले। यानी “नमोनेटर रेट” से नहीं, “ब्लैक मार्केटिंग रेट” से बिक्री। अब बेचारा किसान करे तो क्या करे – खेत बचाए या जेब?
Viral Video of Over Rate Urea Sale

इस धंधे का सच तब सामने आया जब Over Rate Urea Sale Video Viral हुआ। वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे खाद विक्रेता 266 रुपये की जगह 400 रुपये में यूरिया खाद का कट्टा थमा रहा है। वायरल वीडियो देखकर किसान आगबबूला हैं, लेकिन विभागीय अफसर “जैसे देख कर भी अनदेखा कर रहे हों।” यही है असली Urea Black Marketing जहां कानून कागज पर और ब्लैक मार्केट असल जिंदगी में हावी है।
Agriculture Department’s Role in Urea Scam
सबसे बड़ा सवाल है कृषि विभाग का। दो दिन पहले अधिकारी दुकान पर जांच करने पहुंचे थे, लेकिन वही पुरानी कहानी – “खाना पूर्ति, चाय-नाश्ता और वापसी।” न कोई एफआईआर, न कोई कार्यवाही। किसान दबी जुबान में कह रहे हैं कि Urea Black Marketing अफसरों की मिलीभगत से हो रही है। वरना वायरल वीडियो के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं? मुख्यमंत्री योगी और डीएम संभल के आदेशों को अफसर बगलें झांककर ठेंगा दिखा रहे हैं।
Farmers’ Anger Over Urea Black Marketing

किसानों का कहना है कि यह Urea Scam उनकी फसलों पर सीधा हमला है। पहले मौसम ने धोखा दिया, अब बाजार और प्रशासन ने। किसान यूरिया के लिए लाइन में लगते हैं, लेकिन दुकानदार ओवररेट में बेचते हैं। अफसरों के संरक्षण में यह खेल चलता रहा तो किसान आंदोलन से लेकर सड़क तक उतरने को मजबूर होंगे।
Bahjoi Fertilizer Shop Exposed
घोटाले का अड्डा बना है बहजोई कोतवाली क्षेत्र की अनाज मंडी गेट नंबर-1 की दुकान। वीडियो वायरल होने के बावजूद न दुकान सील हुई, न दुकानदार पर मुकदमा दर्ज हुआ। यानी साफ है – नियम सिर्फ किताब में लिखे हैं, और जेबें भरने का खेल दुकान से लेकर विभाग तक हर तरफ जारी है। यही है “किसानों की मजबूरी बनाम अफसरों की मंशूरी।
Urea Black Marketing in Sambhal – System Failure or Nexus?
यह सवाल अब हर किसान पूछ रहा है – आखिर क्यों 266 रुपये की चीज 400 रुपये में मिल रही है? क्या यह महज सिस्टम की नाकामी है या फिर एक संगठित गिरोह? जब खाद के नाम पर डाका पड़ रहा है और अफसर मूकदर्शक हैं, तो किसान किससे उम्मीद करें? यह Urea Black Marketing सिर्फ ब्लैक मार्केटिंग नहीं, बल्कि पूरे प्रशासन की विश्वसनीयता पर काला धब्बा है।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: रामपाल सिंह
📍 लोकेशन: संभल, यूपी
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