उत्तर प्रदेश में पढ़ाई अब ‘लाभ का सौदा’ नहीं रही, बच्चों की किताबें सरकार को इन्कलाब लगती हैं, इसलिए UP Schools Shutdown हो रहे हैं | जसपुरा, बाँदा जैसे ग्रामीण इलाकों के 33 स्कूल एक झटके में बंद! सरकारी आंकड़े बता रहे हैं “मॉडल स्कूल”, लेकिन असलियत है – शिक्षा से सरकार की दुश्मनी | अब शिक्षा नहीं, सिर्फ स्लोगन पढ़िए – “बेटा, विकास ढूंढने मत जाना… स्कूल वहीं पड़े हैं, बस ताले लग गए हैं!”
📚 किताबें इन्कलाब करती हैं, इसलिए बंद हैं UP के स्कूल
उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा “क्रांतिकारी” कदम उठाया है कि गांवों के लोग अपनी स्लेट-किताब छोड़कर सिर पीट रहे हैं, और बच्चे गणित की जगह मैराथन की प्रैक्टिस में जुट गए हैं। योजना का नाम? स्कूल मर्जर!
दरअसल उत्तर प्रदेश की राजनीति अब “शिक्षा से विकास” नहीं, “स्कूल से सन्नाटा” की दिशा में चल रही है। UP Schools Shutdown एक नई योजना नहीं, बल्कि सत्ता की एक ‘चुपचाप क्रांति’ है, जिसमें बच्चों के भविष्य पर सरकारी मोहर से ज्यादा ताला लगता है।
एक टीचर, एक स्कूल… और सरकार का ‘विकास’
उत्तर प्रदेश के 5695 परिषदीय स्कूलों में सिर्फ एक-एक शिक्षक हैं। सोचिए! एक कमरे में अकेला बच्चा नहीं, अकेला मास्टर जी हैं, जो विज्ञान भी पढ़ाएं, गणित भी, छुट्टी भी कराएं, और झाड़ू भी लगाएं।
साल 2023-24 में यूपी सरकार ने 6000 से अधिक स्कूलों को मर्ज या बंद करने का प्रस्ताव रखा था। 2024-25 में यह संख्या 7000 के पार जाने वाली है। अब इस फैसले में जसपुरा ब्लॉक, बाँदा भी शामिल है, जहां 33 स्कूलों को ताला लगाने का आदेश है।
UP Schools Shutdown-जसपुरा में जलजला: 33 स्कूलों का अंत?
बांदा जिले के जसपुरा ब्लॉक में सपा नेता पुष्पेंद्र चुनाले ने हल्ला मचाया कि 33 प्राथमिक और जूनियर स्कूलों—जैसे संदेश पुरवा, भुइयारानी, गाजीपुर, और दीनदयाल डेरा—पर ताला लगने वाला है। X पर चल रही चर्चाओं ने तो आग में घी डाल दिया, दावा किया गया कि यूपी में 27,764 स्कूल बंद होने की कगार पर हैं। लेकिन रुकिए, आंकड़ों की सैर करते हैं। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (UDISE) 2023-24 के मुताबिक, यूपी में 1.3 लाख प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने 2,000 स्कूलों को, जिनमें छात्र संख्या 10-15 से कम थी, मर्ज या बंद किया है। 27,764 का आंकड़ा? शायद किसी ने ट्वीट में थोड़ा मसाला डाल दिया होगा।
UP Schools Shutdown-बांदा के 33 विद्यालयों पर लगेंगे ताले!
जसपुरा में इन 33 स्कूलों के बंद होने से बच्चों को 5-7 किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ाई के लिए जाना पड़ सकता है। नतीजा? आधे से ज्यादा बच्चे शायद स्कूल ही छोड़ दें। रसोइयों और सहायकों की नौकरियां भी खतरे में हैं। माता-पिता पूछ रहे हैं, “हमारे बच्चे कहां पढ़ेंगे?” जवाब में सरकार कहती है, “मर्जर, मर्जर!” यानी कम छात्र वाले स्कूलों को पास के स्कूलों में मिलाकर मुख्यमंत्री मॉडल कम्पोजिट स्कूल बनाएंगे। सुनने में तो शानदार है, लेकिन जब “पास” का मतलब 5 किलोमीटर हो, तो छह साल का बच्चा क्या पढ़ाई करेगा, या जंगल सफारी का आनंद लेगा?
UP Schools Shutdown-स्कूल मर्ज नहीं करने की अपील
हालांकि बांदा के बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि, जिन विद्यालयों को मर्ज किया जा रहा है, उन्हें किसी दूसरी पंचायत में नहीं भेजा जा रहा है। और इस संबंध में अभिभावकों और पंचायत प्रधान से भी सहमति ली जा रही है। उन्होंने इस बात को अफवाह बताया कि, विद्यालयों के मर्ज होने से बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी, और उन्हें शिक्षा के लिए बहुत दूर जाना होगा।
🧩 Model School या Model बंदी?
सरकार दावा करती है कि वह “मॉडल स्कूल” बना रही है, लेकिन आंकड़े बहुत कम बोलते हैं:
वादा
हकीकत (2024-25)
928 स्कूलों को “मॉडल” बनाने का वादा
केवल 184 स्कूलों का काम पूरा
15,000 स्कूलों में ICT लैब का वादा
3000 स्कूलों तक ही पहुँच
हर ब्लॉक में एक English Medium School
70% ब्लॉक में अभी तक नहीं
तो सवाल उठता है: अगर हर गांव में करोड़ों का स्कूल पहले से है, तो मॉडल स्कूल के नाम पर गांव का स्कूल क्यों बंद?
UP Schools Shutdown-बांदा के 33 विद्यालयों पर लगेंगे ताले!
मॉडल स्कूल: सपना या धोखा?
यूपी सरकार का दावा है कि वो शिक्षा को चमकाने के लिए मुख्यमंत्री मॉडल कम्पोजिट स्कूल बना रही है। जनवरी 2025 में कैबिनेट ने 27 जिलों में इन स्कूलों को मंजूरी दी, जिनमें 7,409 स्कूलों में स्मार्ट क्लास, 5,258 में ICT लैब, और 1,265 जर्जर स्कूल भवनों का कायाकल्प शामिल है। लखनऊ में एक “स्टेट-लेवल डिजिटल स्टूडियो” भी बनेगा। साथ ही, 34 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को अपग्रेड किया जा रहा है। वाह, क्या बात है! लेकिन 1.3 लाख स्कूलों के सामने ये आंकड़े चींटी के पैरों जितने छोटे हैं। ग्रामीण इलाकों में जहां बिजली और इंटरनेट सपना हैं, वहां स्मार्ट क्लास का ढोल पीटना ऐसा है जैसे बिना सड़क के फरारी दौड़ाने की बात करना।
यूपी की शिक्षा: चॉक, चटाई, और चिंता
यूपी की शिक्षा व्यवस्था का हाल देखें तो ASER 2023 की रिपोर्ट दिल दहला देती है। ग्रामीण यूपी में कक्षा 5 के सिर्फ 28.8% बच्चे कक्षा 2 की किताब पढ़ सकते हैं, और 26.4% ही बुनियादी जोड़ना-घटाना हल कर पाते हैं। 5,695 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है । शिक्षक-छात्र अनुपात कई जगह 40:1 है, जबकि RTE एक्ट 30:1 की सिफारिश करता है। फिर भी, सरकार स्कूल बंद करके “सुधार” लाने की जिद में है। यह ऐसा है जैसे टूटी नाव को ठीक करने के लिए उसकी पतवार फेंक दी जाए।
UP Schools Shutdown-बांदा के 33 विद्यालयों पर लगेंगे ताले!
लेकिन यूपी सरकार के पास उपलब्धियों का पिटारा भी है। 2017 से अब तक 1,000 नए स्कूल खोले गए, 1.2 लाख शिक्षकों की भर्ती हुई, और 18,381 स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू हुईं। 1.6 करोड़ बच्चों को मुफ्त यूनिफॉर्म, किताबें, और जूते-मोजे दिए गए। 2025-26 सत्र के लिए हर छात्र के अभिभावक को 1200 रुपये DBT के जरिए दिए गए। लेकिन जब ग्रामीण बच्चे स्कूल पहुंचने के लिए जूते घिस रहे हों, तो ये आंकड़े रैली में तालियां बटोरने वाले नारे जैसे लगते हैं—शोर बहुत, असर कम।
UP Schools Shutdown-शिक्षा या सैर-सपाटा?
यूपी सरकार के इस मर्जर प्लान ने ग्रामीण यूपी को स्कूल ट्रेकिंग रियलिटी शो में बदल दिया है। छह साल के बच्चे बैग उठाकर जंगल, खेत, और कीचड़ भरे रास्तों से स्कूल की ओर बढ़ रहे हैं। माता-पिता सोच रहे हैं, “पढ़ाई हो न हो, फिटनेस तो पक्की हो जाएगी!” और मजेदार बात? स्कूल बंद करने वाली सरकार ने शिक्षकों की डिग्री फ्रेम करने के लिए 11.26 करोड़ रुपये खर्च किए, ताकि क्लासरूम में उनकी तस्वीरें टंग सकें। क्योंकि अगर बच्चे पढ़ नहीं पाए, तो कम से कम शिक्षक की डिग्री तो देख लें
UP Schools Shutdown-क्रांति या पलायन?
तो, असली कहानी क्या है? यूपी सरकार का स्कूल मर्जर प्लान शिक्षा को नष्ट करने की साजिश कम, बल्कि टूटी-फूटी व्यवस्था पर नौकरशाही पैबंद ज्यादा है। लेकिन इसका अंजाम? हजारों ग्रामीण बच्चे स्कूल से बाहर, शिक्षक बेरोजगार, और अभिभावक निराश। मॉडल स्कूल और स्मार्ट क्लास का सपना अच्छा है, लेकिन जसपुरा जैसे गांवों के लिए ये सपना गाय के सामने लैपटॉप रखने जैसा है। अगर सरकार इस “मर्ज-और-भूल जाओ” रणनीति पर फिर से विचार नहीं करती, तो ये किताबों से शुरू होने वाली क्रांति को विद्रोह में बदल सकती है। जरूरी ये है कि, स्कूलों को मर्ज करने की बजाय शिक्षा बजट बढ़ाया जा। क्योंकि अगर किताबें इंकलाब लाती हैं, तो बंद स्कूल बगावत को जन्म दे सकते हैं।