UP सरकार के स्पष्ट संकेत, सपत्ति की जानकारी नहीं देने वाले सरकारी कर्मचारियों को होगा बड़ा नुकसान!
उत्तर प्रदेश (UP Government) सरकार ने राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को चल-अचल संपत्ति का पूरा विवरण समय पर जमा करने के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि जो भी कर्मचारी 31 जनवरी 2026 तक मानव संपदा पोर्टल पर अपनी संपत्ति का ब्योरा अपलोड नहीं करेगा, उसका प्रमोशन स्थायी रूप से रोक दिया जाएगा। इतना ही नहीं, ऐसे कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई भी अनिवार्य रूप से होगी।
UP में मानव संपदा पोर्टल पर जानकारी अपलोड करना अनिवार्य
मुख्य सचिव एस.पी. गोयल द्वारा जारी निर्देशों के बाद सभी विभागाध्यक्षों को आदेश दिया गया है कि 1 फरवरी 2026 के बाद होने वाली किसी भी विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक में उन्हीं कर्मचारियों का नाम शामिल किया जाएगा, जिन्होंने संपत्ति विवरण समय पर अपलोड किया होगा। जिन कर्मचारियों ने ये जानकारी अपडेट नहीं की, उनके नाम सूची से हटा दिए जाएंगे।
UP में 8 लाख से अधिक कर्मचारियों पर कार्रवाई की आशंका
प्रदेश में 8 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी तैनात हैं। सरकार कई बार नोटिस और चेतावनी जारी कर चुकी है, लेकिन हजारों कर्मचारी अब भी अपना विवरण अपलोड नहीं कर रहे। इस बार सरकार ने इसे अंतिम चेतावनी बताते हुए स्पष्ट कर दिया है कि 31 दिसंबर 2025 तक अर्जित हर प्रकार की संपत्ति का विवरण देना अनिवार्य है।

किस-किस संपत्ति का ब्योरा देना होगा?
कर्मचारियों को निम्न सभी प्रकार की संपत्ति की जानकारी देनी होगी—
- घर, प्लॉट और दुकान
- टू-व्हीलर/फोर-व्हीलर सहित वाहन
- बैंक बैलेंस
- फिक्स्ड डिपॉजिट, बीमा और निवेश
- किसी भी प्रकार की चल या अचल संपत्ति
मानव संपदा पोर्टल 1 जनवरी 2026 को खुल जाएगा और 31 जनवरी 2026 रात 12 बजे तक ही ब्योरा अपलोड किया जा सकेगा।
कौन होंगे छूट के पात्र?
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि केवल वही कर्मचारी छूट के पात्र होंगे, जिन्हें पहले से नियमों के अनुसार छूट मिलती रही है। नए आदेश में किसी भी नई श्रेणी को राहत नहीं दी गई है। उच्च अधिकारियों के अनुसार, अब तक कई कर्मचारी इसे औपचारिकता मानते थे, लेकिन स्थायी प्रमोशन रोकने के आदेश के बाद विभागों में हड़कंप मच गया है।
सरकार का उद्देश्य: पारदर्शिता और जवाबदेही
राज्य सरकार का मानना है कि डिजिटल तरीके से संपत्ति का रिकॉर्ड रखने से पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी। इसलिए सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने कर्मचारियों को समय पर विवरण भरने के लिए जागरूक करें। ये कदम प्रशासनिक प्रणाली में जवाबदेही और साफ-सुथरे शासन की दिशा में बड़ा सुधार माना जा रहा है।

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