 
                                                      
                                                UP Flood में तबाही
UP Flood में तबाही: गंगा का पानी घरों में, मंत्री अब ठेठ मैदान में!
UP Flood-गंगा मैया अब आरती नहीं, आफ़त दे रही हैं! यूपी में बाढ़ ने ऐसा कहर मचाया है कि काशी से लेकर संगम तक हर ओर पानी ही पानी नजर आ रहा है। प्रयागराज और वाराणसी में गंगा ने सारे लिहाज़ तोड़ दिए हैं, अब घर, घाट और गलियाँ सब पानी में समा गए हैं। जलस्तर खतरे की रेखा से ऊपर, और सरकार अब ‘टीम-11’ को मैदान में उतार चुकी है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने 12 बाढ़ प्रभावित जिलों में मंत्रियों को “24×7 ड्यूटी” पर भेज दिया है। आदेश है – “जिले से बाहर गए तो समझो मंत्री नहीं!” अब देखना यह है कि मंत्री साहब बाढ़ में नाव चलाते दिखेंगे या फ़ोटो खिंचवा कर निकल लेंगे?
Ganga Water Level का कहर: डूबे घाट, गंगा ने पार किया खतरे का निशान। UP Flood
वाराणसी में गंगा ने 71.4 मीटर तक छलांग लगाई है, जबकि खतरे का निशान 71.2 है। मतलब अब गंगा सिर्फ बह नहीं रही, बहा भी रही है। श्मशान घाट डूब चुके हैं, अंतिम संस्कार अब नाव पर होगा या स्टीमर पर, ये सरकार बताएगी।
प्रयागराज में एक लाख से ज्यादा घरों में पानी घुस गया है। लोग छतों पर हैं, नावें अब सड़क के ट्रैफिक की जगह ले रही हैं। गूगल मैप भी कंफ्यूज़ है – ‘घर दिखाएं या घाट?’
Flood Alert in UP: 71 जिलों में बारिश का तांडव, सड़कें बनीं तालाब
लखनऊ में सुबह-सुबह पानी ने अपनी ताकत दिखाई – सिर्फ एक घंटे की बारिश और पूरा शहर झील में तब्दील! कन्नौज और कासगंज में रिकॉर्ड बारिश, और मौसम विभाग ने 71 जिलों के लिए रेड अलर्ट दे डाला है। 7 जिलों को तो “बहुत भारी बारिश” का ख़ास पैग़ाम मिला है।
ऐसे में सवाल उठता है – क्या यूपी अब स्मार्ट सिटी से ‘स्वीमिंग सिटी’ बनने की राह पर है?
Prayagraj Flood: नाव के सहारे नोटबुक, छतों पर पढ़ाई। UP Flood
प्रयागराज में अब स्कूल खुले हैं, मगर जमीन पर नहीं — छतों पर! बच्चे नाव से स्कूल जा रहे हैं, और शिक्षकों को तैरकर अटेंडेंस लेना पड़ रहा है। शहर की सड़कों पर ऐसा सन्नाटा है जैसे बोर्ड के एग्जाम में टाइम कम और सवाल ज़्यादा हों। मगर प्रशासन को भरोसा है – सब ‘नियंत्रण में’ है, बस थोड़ी ‘गहराई’ ज़्यादा है।
Boat Politics: मंत्री नाव में, पब्लिक पानी में
टीम-11 के मंत्री कैमरे के सामने बोटिंग करते दिख रहे हैं, और कैमरे के बाहर पब्लिक बाढ़ में तड़प रही है। किसी मंत्री ने नया रेनकोट लॉन्च कर दिया, किसी ने छाता घुमा कर बता दिया कि वो तैयार हैं। सोशल मीडिया पर ट्रेंड चल पड़ा है – “जल-योगी मॉडल”, जिसमें हर बात का समाधान है – नाव, छाता और प्रेस नोट!
UP Rainfall Alert: मौसम विभाग बना ‘फॉरवर्डिंग यूनिट’। UP Flood
मौसम विभाग अब सरकारी व्हाट्सएप ग्रुप की तरह हो गया है – हर दिन अलर्ट भेज रहा है, पर न कोई तैयारी बदलती है न व्यवस्था। 71 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी है, लेकिन जल निकासी व्यवस्था 71 साल पीछे अटकी हुई है। लोग पूछ रहे हैं – अलर्ट का क्या करें? खाना पकाएं या नाव बनाएं?
जनता की हालत: बाढ़ से ज़्यादा बयान से डूबे हैं। UP Flood
बाढ़ तो कुदरत की मार है, मगर नेताओं के बयान सुनकर जनता और डूब जाती है। कोई कह रहा है “स्थिति नियंत्रण में है”, तो कोई बोल रहा “बड़ी बात नहीं है, हर साल होता है।” जनता सोच रही है – जब सरकार की तैयारी इतनी ही बहाव में है, तो नाम क्यों “आपदा प्रबंधन” है, “आपदा स्वीकृति विभाग” रख लो।

 
         
         
         
        