
Jalkal Party उन्नाव
“उन्नाव जलकल दफ्तर में ‘दारू दिवस’?—अब बोतलें मिलीं, तो तनख्वाह उड़नछू!”
उन्नाव-“काम के बाद पार्टी ज़रूरी है…”
लगता है उन्नाव की गंगाघाट नगर पालिका के जलकल कार्यालय(Jalkal Party) के कर्मियों ने ये कथन दिल से अपना लिया। पानी की पाइपलाइनें भले सूख जाएं, लेकिन दफ्तर में जाम छलकते रहना चाहिए – यही तो है असली ‘विकास मॉडल’ !
Jalkal Party:30 मई को रानी अहिल्या बाई होल्कर की जयंती कार्यक्रम के बाद, जलकल विभाग के दफ्तर में जो ‘अहिल्यात्मक’ उत्सव मनाया गया, वो सोशल मीडिया पर ‘झूमते वीडियो’ के रूप में वायरल(Jalkal Party) हो गया। कहां तो लोग सोचते हैं कि सरकारी दफ्तरों में फाइलें धूल खा रही होती हैं, लेकिन नहीं जनाब, उन्नाव में सरकारी दफ्तरों की फाइलें धूल नहीं खाती, बल्कि बोतलों को ठंडा करती हैं।
Jalkal Party:अब बोतलें दे रही पार्टी की गवाही:
वायरल वीडियो में शराब की बोतलें ऐसी सजी थीं मानो ‘जलकल विभाग’ नहीं, कोई हाई-प्रोफाइल क्लब हो(Jalkal Party)। फर्क बस इतना था कि डीजे की जगह सरकारी कार्यालय का घिसा पंखा बज रहा था और बार टेंडर की जगह बाबू जी खड़े थे।
अब बताइए, जब सरकारी दफ्तर खुद ही ‘मिनी बार’ बन जाए, तो फिर कर्मचारियों को किसी क्लब में जाकर पैसा खर्च करने की क्या जरूरत!

Jalkal Party: EO साहब की तगड़ी ‘एक्शन फिल्म’:
सरकारी कर्मचारियों की इस ऑफिस पार्टी (Jalkal Party)का वीडियो जैसे ही वायरल हुआ, हर तरफ हंगामा खड़ा हो गया! बात EO साहब तक भी पहुंच गई। अब क्या करें ,मामला सोशल मीडिया पर छा गया था, दूसरे ऑफिस के कर्मचारी सोच रहे थे कि, क्या मौज है, इस ऑफिस के कर्मचारियों की। अब तक EO साहब समझ चुके थे कि, कार्रवाई का डंडा चलाना जरूरी है, नहीं तो बात दूर तक चली जाएगी। लिहाजा ऐसी सजा दी जिसकी कर्मचारियों ने भी कल्पना नहीं की थी..दंडात्मक कार्रवाई के नाम पर कर्मचारियों का केवल वेतन रोक दिया!
वाह साहब! न सस्पेंड, न FIR, न धारा 144 – बस “पगार पर पहरा” लगाकर न्याय कर दिया गया। जलकल विभाग के बाबू अब सोच रहे होंगे – तन्ख्वाह गई कोई बात नहीं, अगली बार होशियारी से सारा काम करेंगे!”किसी को कुछ पता नहीं चलेगा!
जांच कमेटी: सरकारी स्क्रिप्ट का क्लासिक क्लाइमेक्स!
अब EO साहब ने जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। कमेटी की मीटिंग, मीटिंग की फाइलें, फाइलों की नोटिंग और फिर “जांच अभी जारी है” वाला सरकारी पंच। ये दौर तो लंबा चलेगा! तब तक बोतलें अपना ‘गवाहनामा’ देती रहेंगी और मेजों के नीचे पड़े ग्लास अपना मौन व्रत निभाएंग
वेतन रोको नीति – नई मिसाल:
“वेतन काटो और सब कुछ माफ़!” – लगता है यह नीति अब सरकारी कर्मचारियों की नई आचार संहिता बनने वाली है। अगली बार कोई बाबू घूस ले, या फाइल दबा दे – वेतन काट लो, बाकी सब जायज़!