Tulsigarhi couple suicide--यूपी के डिबाई थाना क्षेत्र के तुलसीगढ़ी गांव से दिल तोड़ देने वाली घटना सामने आई है, जहां Tulsigarhi couple suicide ने रिश्तों और जिम्मेदारियों को फांसी के फंदे और ज़हर की बोतल के हवाले कर दिया।
संवाददाता: सुरेंद्र सिंह भाटी, बुलंदशहर
23 जून 2025:
Tulsigarhi couple suicide –बुलंदशहर के डिबाई थाना क्षेत्र का तुलसीगढ़ी गांव आज एक ऐसी त्रासदी का गवाह बना, जिसने हर सुनने वाले के दिल को झकझोर दिया। एक पति-पत्नी, जिनके दो मासूम बच्चे हैं, ने जिंदगी को अलविदा कह दिया। पहले पत्नी विमलेश ने जहरीला पदार्थ खाकर जान दी, और फिर पति दिगंबर ने फांसी का फंदा गले में डालकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। ये डिबाई तुलसीगढ़ी ट्रैजेडी न सिर्फ एक परिवार का अंत है, बल्कि समाज के सामने कई सवाल छोड़ गई। आखिर ऐसा क्या हुआ कि दो जिंदगियां एक साथ बुझ गईं? और वो दो बच्चे, जो अब अनाथ हो गए, उनका क्या होगा?
🌟 बुलंदशहर suicide case: ज़हर, फांसी और वो दो जो कभी लौटेंगे नहीं
सोमवार का दिन तुलसीगढ़ी गांव के लिए काला दिन बन गया। गांव के रहने वाले दिगंबर, जो नोएडा में किसी कंपनी में काम करते थे, छुट्टी लेकर अपने घर आए थे। उनकी पत्नी विमलेश और दो बच्चे उनके साथ थे। लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि विमलेश ने जहरीला पदार्थ खा लिया। ये खबर दिगंबर के लिए बिजली-सा झटका थी। बताया जाता है कि इसके बाद दिगंबर ने भी फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। परिजनों को जब इसकी भनक लगी, तो घर में कोहराम मच गया। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि एक खुशहाल-सा दिखने वाला परिवार यूं बिखर जाएगा।
Tulsigarhi couple suicide-पुलिस और फोरेंसिक का एक्शन
घटना की सूचना मिलते ही डिबाई थाना पुलिस और फोरेंसिक टीम तुलसीगढ़ी पहुंची। मौके पर सबूत जुटाए गए, और दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। पुलिस ने शुरुआती जांच शुरू की, लेकिन अभी तक मौत के सटीक कारणों का पता नहीं चल सका। स्थानीय थाना प्रभारी ने बताया, “हम हर पहलू से जांच कर रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और परिजनों के बयान से ही साफ होगा कि ये कदम क्यों उठाया गया।” मगर सवाल तो वही—क्या जांच से वो दर्द सामने आएगा, जो इस दंपति को इस हद तक ले गया?
Bulandshahr suicide case-गांव में मातम, बच्चे अनाथ
तुलसीगढ़ी गांव में मातम पसरा है। दिगंबर और विमलेश के दो बच्चे, जिनकी उम्र अभी खेलने-कूदने की है, अब अनाथ हो गए। पड़ोसियों का कहना है कि दंपति के बीच कभी-कभी छोटी-मोटी नोकझोंक होती थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं दिखा जो इतना बड़ा कदम उठाने की वजह बने। एक बुजुर्ग ने आंसुओं के बीच कहा, “दिगंबर तो मेहनती था, नोएडा में अच्छा कमा रहा था। विमलेश भी बच्चों का ध्यान रखती थी। फिर ऐसा क्या हुआ?” गांव वाले अब उन मासूम बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
Tulsigarhi couple suicide-समाज पर सवाल
डिबाई तुलसीगढ़ी ट्रैजेडी सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि समाज के सामने एक आईना है। आखिर क्यों लोग इतने हताश हो रहे हैं कि जिंदगी को बोझ समझने लगते हैं? बुलंदशहर में हाल के दिनों में आत्महत्या के कई मामले सामने आए हैं। कभी दहेज उत्पीड़न, कभी घरेलू कलह, और अब ये अज्ञात कारण! क्या हमारा समाज इतना असंवेदनशील हो गया कि कोई अपनी तकलीफ बयां भी न कर सके? और वो बच्चे, जो मां-बाप के बिना रह गए, क्या समाज उनकी जिम्मेदारी लेगा, या ये बस एक और खबर बनकर रह जाएगी?
Bulandshahr suicide case-जिंदगी का गड्ढा!
जिंदगी की सड़क पर गड्ढे तो सबके सामने आते हैं, लेकिन तुलसीगढ़ी में तो पूरा परिवार ही उस गड्ढे में समा गया! जल निगम सड़कों पर गड्ढे खोदता है, और जिंदगी समाज में। विमलेश और दिगंबर ने जो कदम उठाया, वो सिर्फ उनका फैसला नहीं, हमारे समाज की नाकामी का सबूत है। नोएडा की चमक-दमक में काम करने वाला दिगंबर अपने गांव में अंधेरा छोड़ गया।
Tulsigarhi couple suicide-जांच और सवाल
पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन सवाल कई हैं। क्या ये घरेलू कलह थी? आर्थिक तंगी? या कोई और दबाव? पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जहर और फांसी की पुष्टि हो सकती है, मगर दिलों में छुपा दर्द कौन जांचेगा? परिजनों का कहना है कि दंपति के बीच कोई बड़ा विवाद नहीं था, फिर भी ये कदम क्यों? क्या विमलेश का जहर खाना और दिगंबर का फांसी लगाना एक-दूसरे से जुड़ा था, या ये महज संयोग? पुलिस को इन सवालों के जवाब ढूंढने होंगे, वरना ये त्रासदी सिर्फ एक फाइल में बंद हो जाएगी।
Tulsigarhi couple suicide–आगे क्या?
डिबाई तुलसीगढ़ी ट्रैजेडी ने न सिर्फ तुलसीगढ़ी, बल्कि पूरे बुलंदशहर को झकझोर दिया है। सामाजिक संगठन अब बच्चों के भविष्य के लिए कदम उठाने की बात कर रहे हैं। लेकिन सवाल है—क्या ये सिर्फ दिखावा होगा, या सचमुच कोई बदलाव आएगा? बुलंदशहर में आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं सरकार और समाज के लिए चेतावनी हैं। क्या हम मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक समस्याओं, और सामाजिक दबावों पर खुलकर बात करेंगे, या बस खबरें पढ़ते रहेंगे? तुलसीगढ़ी के उन दो बच्चों की आंखों में जवाब ढूंढिए, शायद कुछ सवाल हल हो जाएं।