 
                  Truth of Smart City : फिरोजाबाद के सच ने शर्मसार किया!
यूपी का फिरोजाबाद – जिसे स्मार्ट सिटी का तमगा हासिल है – उसी फिरोजाबाद में आधे घंटे की बारिश ने नगर निगम की पोल खोलकर रख दी। सड़कों पर पानी नहीं, बल्कि नाकामी का सैलाब बहता नजर आया। मुख्य मार्ग से लेकर गली-मोहल्ले तक, शहर पानी-पानी हो गया। स्कूली बच्चे गंदे पानी में डुबकी लगाते हुए स्कूल पहुंचे, तो कहीं खुले मैनहोल ने मौत का जाल बिछा दिया। फिरोजाबाद के रहने वाले चेतन बंसल गौशाला से अपनी बेटी के साथ घर लौट रहे थे – उसी दौरान वो नगर निगम के निकम्मेपन के खुले मैनहोल के शिकार हो गए। बारिश के पानी से भरे खुले मैनहोल में उनका स्कूटर समा गया। जान तो बच गई लेकिन पिता-पुत्री को चोटें आई हैं। लेकिन अपने निकम्मेपन और नाकामी पर नगर निगम को फर्क नहीं है। अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।
करोड़ों रुपये की स्मार्ट सिटी परियोजना का ढोल पीटने वाले प्रशासन ने नालों की सफाई तक नहीं कराई। सवाल यह है कि जब बारिश की पहली बूंद ही शहर को डुबो दे, तो स्मार्ट सिटी का ढोंग क्यों?
विपक्षी पार्टी के नेता शारिक सलीम ने नगर निगम को कुंभकर्ण की नींद में सोया हुआ बताया।
स्थानीय लोग चीख-चीखकर कह रहे हैं कि निगम के अधिकारी दबाव में काम करते हैं
लेकिन जनता की तकलीफ पर कोई ध्यान नहीं।
सड़कों पर पानी, मैनहोल में खतरा, और प्रशासन की चुप्पी—यह है फिरोजाबाद की स्मार्ट सिटी की हकीकत।
Truth of Smart City : मैनहोल में जिंदगी और प्रशासन को शर्म नहीं आती
फिरोजाबाद की बारिश और नगर निगम के नाकारापन की वजह से चेतन बंसल ने खबरीलाल डिजिटल के रिपोर्टर से दर्द बताया। कहा – “मैनहोल खुला था, पानी भरा था, कुछ दिखा नहीं। बेटी साथ थी – स्कूटर समेत मैनहोल में गिर गए। लेकिन प्रशासन को शर्म नहीं आती, स्मार्ट सिटी का नारा लगाते हैं, लेकिन सड़कें तो देखो!”
फिरोजाबाद की बारिश में सरकारी दावे धुल गए तो विपक्ष बहते पानी में सियासत चमकाने लगा। नगर निगम में विपक्षी पार्टी के पार्षद शारिक सलीम ने सरकार और नगर निगम को कोसते हुए कहा- “नगर निगम की नींद नहीं टूट रही। करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन नाले जाम हैं, सड़कें टूटी हैं। स्मार्ट सिटी का सपना जनता के लिए कबाड़ बन गया है।”
Truth of Smart City : फिरोजाबाद की स्मार्ट सिटी सिर्फ कागजों में?”
फिरोजाबाद में आधे घंटे की बारिश ने स्मार्ट सिटी के दावों की पोल खोलकर रख दी। करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद नगर निगम जलनिकासी जैसी बुनियादी समस्या का समाधान नहीं कर सका – जिसके चलते शहर जलमग्न हो गया और खुले मैनहोल में पिता-पुत्री हादसे का शिकार हो गए।

सरकार से सवाल है कि आखिर कब तक जनता को इस लापरवाही की कीमत अपनी जान और तकलीफ से चुकानी पड़ेगी? नगर निगम की कथित “कुंभकर्णी नींद” और अधिकारियों की दबाव में काम करने की मजबूरी के बहाने कब तक चलेंगे? यह लचर व्यवस्था और बुनियादी सुविधाओं की बदहाली स्मार्ट सिटी के नाम पर जनता के साथ धोखा नहीं तो और क्या है?
Written by khabarilal.digital Desk
संवाददाता: मुकेश कुमार बघेल
लोकेशन: फिरोजाबाद, यूपी
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