Alaska Meeting 2025: Putin ने रखीं सख्त शर्तें, Trump बोले- ज़ेलेंस्की से बात करो !
अलास्का शिखर सम्मेलन (Alaska Summit 2025) में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) आमने-सामने आए। तीन घंटे लंबी इस मुलाकात से दुनिया को उम्मीद थी कि Russia-Ukraine War पर कोई ठोस रास्ता निकलेगा। लेकिन परिणाम उल्टा रहा—यूक्रेन सीजफायर (Ukraine Ceasefire) पर सहमति नहीं बन पाई।
इस असफलता के पीछे पांच बड़े कारण बताए जा रहे हैं। आइए जानते हैं Inside Story—
1. पुतिन का अडिग रुख – “यूक्रेन रूस का हिस्सा”
2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद पुतिन का लक्ष्य कुछ ही दिनों में कीव की सरकार गिराना था। हालांकि यह संभव नहीं हुआ, लेकिन रूस अब भी यूक्रेन के 22% हिस्से पर कब्जा रखे हुए है।
पुतिन मानते हैं कि आधुनिक यूक्रेन रूस की देन है और उसका स्वतंत्र अस्तित्व संदिग्ध है। यही वजह है कि वे किसी भी शांति समझौते में नरमी दिखाने को तैयार नहीं।

2. जनता से हमदर्दी, लेकिन ज़ेलेंस्की से नाराजगी
पुतिन बार-बार कहते हैं कि उन्हें यूक्रेन की जनता से कोई शिकायत नहीं है, बल्कि समस्या राष्ट्रपति जेलेंस्की की सरकार से है। वे विद्रोही क्षेत्रों को पहले ही स्वतंत्र मान्यता दे चुके हैं। पुतिन की नजर में असली समस्या कीव की मौजूदा सरकार है, जिसे वे “नशेड़ी गिरोह” बताते हैं।

3. केवल Putin की शर्तों पर ही युद्धविराम
रूस का रुख साफ है कि जंग तभी रुकेगी जब उसकी शर्तें मानी जाएं। इनमें शामिल हैं:
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यूक्रेन नाटो से दूरी बनाए रखे।
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रूस की विदेश और रक्षा नीति पर पकड़ बनी रहे।
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पश्चिमी देशों के प्रतिबंध हटाए जाएं।
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जब्त की गई रूसी संपत्तियां लौटाई जाएं।
स्पष्ट है कि ये शर्तें पश्चिमी देशों और यूक्रेन दोनों को स्वीकार नहीं।
4. वार्ता का झुकाव – अमेरिका-रूस रिश्तों पर
अलास्का मुलाकात में यूक्रेन मुद्दा पीछे छूट गया और बातचीत का बड़ा हिस्सा अमेरिका-रूस रिश्तों पर केंद्रित रहा।
पुतिन ने अगली बैठक मॉस्को में करने का प्रस्ताव दिया और ट्रंप ने भी इसे खारिज नहीं किया। साफ है कि रूस वार्ता का इस्तेमाल अमेरिका के साथ रिश्ते सुधारने के लिए कर रहा है।
5. तनावपूर्ण माहौल और सीमित प्रेस कॉन्फ्रेंस
समिट तीन घंटे चला, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस महज 12 मिनट की रही। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि ट्रंप केवल 3.3 मिनट ही बोल पाए। आमतौर पर प्रेस में हावी रहने वाले ट्रंप का यह बदला हुआ अंदाज कई सवाल खड़े करता है।
फॉक्स न्यूज के मुताबिक बैठक का माहौल तनावपूर्ण रहा, जबकि पुतिन ने इसे “रचनात्मक” बताया।
पुतिन का बड़ा दावा – “अगर 2022 में Trump राष्ट्रपति होते तो युद्ध नहीं होता”
अलास्का समिट के दौरान पुतिन ने कहा कि अगर 2022 में ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति होते तो Ukraine War शुरू ही नहीं होता। यह बयान न सिर्फ मौजूदा अमेरिकी प्रशासन पर हमला था, बल्कि ट्रंप के साथ दोस्ताना रिश्ते का संकेत भी।

मॉस्को में अगली मुलाकात
पुतिन ने अगली बैठक मॉस्को में करने का सुझाव दिया है। ट्रंप ने कहा कि भविष्य की वार्ता में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को शामिल किया जा सकता है। इससे साफ है कि अब जिम्मेदारी जेलेंस्की पर डाली जा रही है कि वे पुतिन से सीधे बातचीत करें।
अब आगे क्या होगा ?
अलास्का शिखर सम्मेलन से यह स्पष्ट हो गया कि Russia-Ukraine Ceasefire Deal अभी दूर है। पुतिन अपनी शर्तों से पीछे नहीं हट रहे और ट्रंप वार्ता की जिम्मेदारी जेलेंस्की पर डाल रहे हैं।
अब दुनिया की निगाहें मॉस्को में होने वाली अगली बैठक पर टिकी हैं। सवाल वही है—क्या सच में शांति का रास्ता निकलेगा या यह युद्ध और लंबा खिंचेगा?
