Trump ने क्यों दी Turkey को सजा? कारण समझिए !
चीन की ‘विक्ट्री परेड’ में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को एक मंच पर देख अमेरिका और Trump का गुस्सा अब तुर्की (Turkey) पर फूट पड़ा है। अमेरिका में तुर्की को F-35 जैसे अत्याधुनिक हथियार बेचने पर रोक लगाने की तैयारी चल रही है। इस संबंध में अमेरिकी संसद (कांग्रेस) में कई प्रस्ताव पेश किए गए हैं, जिनका मकसद तुर्की को कड़े संदेश देना है।
Turkey पर Trump की सख्ती क्यों?
तुर्की को लेकर अमेरिका की नाराजगी कोई नई नहीं है। 2019 में तुर्की द्वारा रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। अमेरिका ने उस वक्त भी तुर्की को F-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया था और उस पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए थे।
अब एक बार फिर तुर्की के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जा रहा है। अमेरिकी सांसदों का आरोप है कि:
- तुर्की ने ग्रीस की हवाई सीमा का उल्लंघन किया है,
- रूस, चीन और ईरान जैसे देशों से सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है,
- तुर्की का आतंकवादी संगठन हमास से भी संबंध है,
- और तुर्की उत्तर साइप्रस पर अवैध कब्जा जमाए हुए है।
अमेरिका की ताजा शर्तें क्या हैं?
नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट (NDAA) 2026 पर चर्चा के दौरान तुर्की के खिलाफ कई संशोधन प्रस्तावित किए गए। रिपब्लिकन सांसद गस बिलिराकिस और डेमोक्रेट ब्रैड श्नाइडर ने मिलकर जो संशोधन पेश किया है, उसमें स्पष्ट किया गया है कि:
“जब तक व्हाइट हाउस यह प्रमाणित नहीं करता कि तुर्की हमास को समर्थन नहीं दे रहा, इजराइल को सैन्य खतरा नहीं बना रहा, और रूस, चीन, ईरान या उत्तर कोरिया से सैन्य सहयोग नहीं कर रहा — तब तक उसे F-35 जैसे हथियार नहीं बेचे जाएंगे।”
साथ ही, अन्य सांसदों ने यह भी मांग की है कि अमेरिका के विदेश, रक्षा और वित्त मंत्रालय मिलकर तुर्की और हमास के रिश्तों की जांच करें और उसकी रिपोर्ट कांग्रेस में पेश की जाए।

क्या Turkey में मौजूद हैं हमास के नेता?
अमेरिकी सांसदों का यह भी आरोप है कि हमास के कई शीर्ष नेता तुर्की में रह रहे हैं, और यहां तक कि वे तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोआन से भी मिल चुके हैं। अमेरिका जहां हमास को एक आतंकी संगठन मानता है, वहीं तुर्की के कुछ कदम अमेरिका को असहज कर रहे हैं।
इजराइल की भूमिका भी अहम
इस पूरे घटनाक्रम में इजराइल की सक्रियता भी महत्वपूर्ण रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका से तुर्की को F-35 न बेचने की अपील कई बार की है। दरअसल, इजराइल लंबे समय से यह चाहता है कि उसके पड़ोसी देशों के पास अमेरिका जैसे आधुनिक हथियार न हों, ताकि क्षेत्र में उसका सैन्य वर्चस्व बना रहे।
तुर्की के लिए बढ़ी मुश्किलें
इस फैसले से तुर्की की रणनीतिक स्थिति पर असर पड़ना तय है। NATO सदस्य होने के बावजूद, तुर्की की रूस और चीन से बढ़ती नजदीकी, अमेरिका को चिंतित कर रही है। ऐसे में हथियार बिक्री पर रोक लगाकर अमेरिका न केवल तुर्की को चेतावनी दे रहा है, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी कूटनीतिक स्थिति को भी फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
Trump, Turkey और भविष्य की संभावनाएं
पुतिन-जिनपिंग-किम की तिकड़ी ने जहां अमेरिका की रणनीतिक चिंताओं को बढ़ाया है, वहीं तुर्की जैसे देशों पर उसका गुस्सा फूटता नजर आ रहा है। हथियार बिक्री पर रोक जैसे कदम यह साफ करते हैं कि अमेरिका अब अपने सहयोगियों से भी कड़ा हिसाब मांगने को तैयार है। आने वाले समय में तुर्की की विदेश नीति और अमेरिका से रिश्तों में क्या बदलाव आता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
