Triumph: प्रयागराज के इरफान-शिवांग की जीत ने अमेरिका में लहराया भारत का परचम
Triumph: प्रयागराज के इरफान पठान और शिवांग मिश्रा ने वर्ल्ड पुलिस गेम्स में मेडल जीतकर भारत और प्रयागराज का मान बढ़ाया।इनकी दोस्ती और संघर्ष युवाओं के लिए मिसाल है।
Triumph की उड़ान: भदोही के इरफान ने तोड़ा गरीबी का ताला
सपनों की कोई कीमत नहीं होती, और अगर हौसला हो तो गरीबी भी घुटने टेक देती है। भदोही के इरफान पठान की कहानी यही चीख-चीखकर बताती है। सब्जी बेचने वाले पिता का बेटा, जिसके पास न जूते थे, न खेल का सामान, मगर दिल में था तिरंगे को शिखर पर पहुंचाने का जुनून। वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स 2025 में अमेरिका के अलबामा में इरफान ने जब पदक जीता, तो वो सिर्फ मेडल नहीं था—वो था गरीबी पर Triumph की गूंज। भदोही की तंग गलियों से निकलकर, खाने की थाली छोड़कर, इरफान ने मुक्कों से दुनिया को बताया कि सपने वो नहीं जो सोते वक्त देखे जाते हैं, बल्कि वो जो सोने न दें। यूपी पुलिस में भर्ती होने के बाद भी उनकी मेहनत रुकी नहीं, और आज वो प्रयागराज की शान बन चुके हैं।
शिवांग और इरफान की अटूट जोड़ी

प्रयागराज के करछना तहसील के डाभी गांव का शिवांग मिश्रा और भदोही का इरफान पठान—दो अलग-अलग मिट्टी, मगर एक ही जज़्बा। मदन मोहन मालवीय स्टेडियम की धूल में पसीना बहाते हुए दोनों की दोस्ती पक्की हुई। शिवांग, जिसके पिता CISF से रिटायर्ड हैं और भाई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, ने गांव की गलियों से निकलकर अपने दम पर रास्ता बनाया। जब इन दोनों ने एक साथ यूपी पुलिस जॉइन की, तो सपना भी एक हो गया—देश के लिए गौरव लाना। वर्ल्ड पुलिस गेम्स 2025 में शिवांग के दो रजत और एक कांस्य पदक ने दिखाया कि Triumph सिर्फ जीत नहीं, बल्कि उस दोस्ती की ताकत है जो मुश्किलों को हंसते हुए पार कर देती है। इनकी जोड़ी ने न सिर्फ मेडल जीते, बल्कि लाखों युवाओं के दिलों में हौसला भी बोया।
प्रयागराज में ढोल-नगाड़ों का जश्न

जब इरफान और शिवांग मेडल लेकर प्रयागराज लौटे, तो मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में मानो पूरा शहर उमड़ पड़ा। ढोल-ताशों की थाप, फूल-मालाओं की बारिश, और बच्चों के नृत्य ने इस Triumph को ऐतिहासिक बना दिया। दोनों ने मंच से एक-दूसरे की तारीफों के पुल बांधे। इरफान ने कहा, “शिवांग मेरी रीढ़ हैं, उनके बिना मैं शायद टूट जाता।” और शिवांग ने जवाब दिया, “इरफान का हौसला देखकर मुझे लगा कि गरीबी तो बस एक बहाना है।” ये दोस्ती सिर्फ स्टेडियम तक नहीं, बल्कि हर उस युवा के दिल तक पहुंची है, जो अपने सपनों को सच करने की जिद रखता है। प्रयागराज ने अपने इन बेटों को सीने से लगाया, और पूरे देश को गर्व करने का मौका दिया।
Triumph की प्रेरणा: गांव से ग्लोबल मंच तक

इरफान और शिवांग की कहानी सिर्फ मेडल जीतने की नहीं, बल्कि उस भारत की है, जहां गांव की मिट्टी में सपने पलते हैं। भदोही की तंग गलियों में सब्जी का ठेला लगाने वाले पिता का बेटा और डाभी के अनुशासित परिवार का बेटा—दोनों ने साबित किया कि Triumph संसाधनों से नहीं, हौसले से आता है। इरफान की आर्थिक तंगी और शिवांग की कड़ी मेहनत ने मिलकर एक ऐसी कहानी लिखी, जो हर युवा को बताती है कि रास्ते मुश्किल हो सकते हैं, मगर मंजिल नामुमकिन नहीं। वर्ल्ड पुलिस गेम्स में इनके पदकों ने न सिर्फ यूपी पुलिस की शान बढ़ाई, बल्कि पूरे देश को गर्व से सीना चौड़ा करने का मौका दिया।
Triumph का भविष्य: क्या कहता है ये जज़्बा?
इरफान और शिवांग की जोड़ी अब सिर्फ प्रयागराज या यूपी की नहीं, बल्कि पूरे भारत की प्रेरणा बन चुकी है। इनके मेडल सिर्फ धातु के टुकड़े नहीं, बल्कि उस जिद और जुनून की कहानी हैं, जो गरीबी, अभाव और मुश्किलों को धूल चटा देती हैं। सवाल ये है कि क्या ये Triumph सिर्फ एक कहानी बनकर रह जाएगी, या फिर देश के लाखों युवाओं को अपने सपनों के लिए लड़ने की हिम्मत देगी? यूपी पुलिस के इन सितारों ने दिखा दिया कि खाकी सिर्फ कानून की रक्षा नहीं करती, बल्कि खेल के मैदान में भी देश का परचम लहरा सकती है। अब बारी सरकार और समाज की है कि ऐसे सितारों को और मौके दे, ताकि भदोही और डाभी जैसे गांवों से और भी इरफान और शिवांग निकलें।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता:नन्हे सिंह
📍 लोकेशन: प्रयागराज, यूपी
🗓️ तारीख: 12 जुलाई 2025
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