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जखनियां-गाजीपुर रेलखंड पर Train Accident का खतरा टल गया लेकिन यात्रियों ने गर्मी में जो भुगता वो सवाल खड़े करता है कि रेलवे की सुरक्षा कितनी पुख्ता है? ओवरहेड तारों के टूटने से लेकर मरम्मत की देरी तक, हर सवाल पर रेलवे का ऑटो कट सिस्टम जवाब कब देगा?
Train Accident: ओवरहेड तार टूटे, ट्रेन थमी – मुसाफिरों ने काटी तपिश में घंटों की सजा
Train Accident: जखनियां-गाजीपुर में बचे कई परिवार
जखनियां-गाजीपुर रेलखंड पर मंगलवार की सुबह Train Accident होते-होते बचा। ओवरहेड इलेक्ट्रिक तारों ने DMU ट्रेन के मुसाफिरों की किस्मत का टेस्ट लेने की ठान ली थी। लेकिन शुक्र है रेलवे के ऑटो कट सिस्टम का, जिसने वक्त रहते करंट को झटका दे दिया और मुसाफिरों को बड़ा झटका देने से बचा लिया।
🚂 Train Accident: मुसाफिरों की सांसें अटकी, छांव बनी आस
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जब छह पोलों के तार टूटकर ट्रेन पर गिरे तो पहले जोरदार आवाज हुई, फिर ट्रेन झटके से रुकी। तपती धूप में लोग ट्रेन से उतरकर पेड़ों की छांव तलाशते दिखे। महिला यात्री बच्चों को गोद में लेकर पसीना पोछती रहीं, तो बुजुर्ग सिर पर गमछा बांधकर धूप से लड़ते रहे। रेल मंत्रालय कहां था? इसका जवाब खुद मुसाफिर ही ढूंढ रहे हैं।
🔧 Train Accident: अफसरों की नींद खुली, मरम्मत में घंटों की मशक्कत

Train Accident की खबर पर आनन-फानन में सादात स्टेशन मास्टर ने औड़िहार और मऊ से टावर वैगन मंगवाए। रेलवे इंजीनियर और मैकेनिक पहुंच तो गए, लेकिन तार जोड़ने में घंटों लग गए। इधर ट्रेन में बैठे यात्री उमस में बेहाल होते रहे। कई यात्री हारकर प्राइवेट वाहन पकड़कर निकल लिए। बाकी रेलवे के भरोसे गर्मी में उबलते रहे।
🏃♂️ Train Accident: Diesel Engine बना सहारा
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि टूटे ओवरहेड तारों की मरम्मत में आधा दिन लग सकता है। ऐसे में ट्रेन को डीजल इंजन से खींचने की तैयारी हुई। शुक्र मनाइए कि Train Accident ने किसी को जिंदा जला नहीं दिया। सवाल यह भी है कि छह-छह पोल के तार ऐसे कैसे टूट जाते हैं? जवाब देने कोई तैयार नहीं।
Train Accident: कौन जिम्मेदार?
ग्रामीणों और यात्रियों ने राहत की सांस तो ली, लेकिन रेलवे की लापरवाही पर उंगलियां भी उठीं। ट्रैक पर Accident जैसी स्थिति रोज-ब-रोज क्यों? रखरखाव के नाम पर मोटी रकम कहां उड़ जाती है? और अगर ऑटो कट सिस्टम फेल होता तो? ये सवाल रेलवे बोर्ड से लेकर रेल मंत्री तक पहुंचने चाहिए, वरना अगली बार खुशकिस्मती काम न आई तो खबर ट्रेन से ज्यादा ताबूतों की होगी।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता: सुनिल गुप्ता
📍 लोकेशन: गाजीपुर, यूपी
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