
9 साल की अनाया ने माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा
Tiranga On Mount Everest. हरियाणा के बच्चे बने सबसे कम उम्र के पर्वतारोही. नशे के खिलाफ लिया संकल्प, Mount Everest पर फहराया तिरंगा
Chandigarh : 30 अप्रैल को हमने आपको एक खबर दिखाई थी जिसमें दो मासूम बच्चों ने नशे के खिलाफ एक मुहिम शुरू की और चंडीगढ़ से माउंट एवरेस्ट तक के मुश्किल सफल की शुरुआत की थी. अगर आप चाहें तो Mount Everest पर क्लिक करके उस खबर को भी पढ़ सकते हैं. अब उसी खबर में बड़ा अपडेट ये है कि दोनों नन्हे बच्चों ने Mount Everest पर तिरंगा फहराते हुए अपना संकल्प पूरा कर लिया है. जी हां बिलकुल सही पढ़ रहे हैं आप… हरियाणा के कुरुक्षेत्र की रहने वाली महज़ 9 साल की अनाया सौदा ने अपने बुलंद हौंसले और मेहनत से इतिहास रच दिया है. इस छोटी सी बच्ची ने नेपाल में -12 डिग्री के तापमान में 130KM लंबी ट्रैकिंग पूरी करते हुए Mount Everest के बेस कैंप पर Tiranga फहराया है. छोटी उम्र में इतना बड़ा कारनामा करने वाले अनाया और आर्यन Haryana के सबसे कम उम्र के पर्वतारोही बन गए हैं. बच्चों ने ये अभियान ड्रग्स के खिलाफ समर्पित किया और युवाओं को नशे से दूर रहने का बेहतरीन संदेश भी दिया. ये ट्रैकिंग पूरी करने के बाद 26 मई को Haryana CM Nayab Singh Saini ने बच्चों को चंडीगढ़ में सम्मानित किया.
बुआ से मिली की प्रेरणा, एक साल से की तैयारी

5वीं क्लास में पढ़ने वाली अनाया को mountaineering का शौक अपनी बुआ ममता सौदा से मिला जो कि Haryana Police में DSP के पद पर कार्यरत हैं. DSP ममता सौदा खुद भी Mount Everest फतह कर चुकी हैं. ममता सौदा के पति राजेश पर्वतारोहियों को ट्रेनिंग देने का काम करते हैं. अनाया जब भी अपनी बुआ से मिलती थी तो वो उनसे एवरेस्ट पर चढ़ने की किस्से कहानियां सुनाने को कहती थीं. इन बातों ने नन्ही अनाया के मन में भी पहाड़ चढ़ने का सपना जगा दिया. जिसके बाद एक दिन उसने खुद बुआ के आगे Mount Everest की चढ़ाई करने की बात रखी. परिवार जन बताते हैं कि पिछले साल के फरवरी महीने से आनाया ने ट्रैकिंग की तैयारी शुरू कर दी थी. बच्ची की मां रूपाली सौदा रोज सुबह उसे 5 बजे जगा कर जिम ले जाती थीं. वहां अनाया हल्की फिल्की एक्सरसाइज करती और फिर ट्रेडमिल पर दौड़ती थी. अपने स्कूल टाइम के बाद बच्ची शाम को साइकिल चलाती और दौड़ लगाती थी. घर लौटते समय मां साइकिल चलाती थीं और अनाया दौड़ लगाते हुए उनके पीछे आती थी. इसी के साथ बुआ और फूफा यानि राजेश और ममता भी बच्ची को मानसिक रूप से मजबूत कर रहे थे. इसी के साथ से बर्फ में ट्रैकिंग करने, Oxygen की कमी या अचानक बदलने वाले मौसम से निपटने के बारे में समझाया करते थे.
अनाया के छोटे भाई आर्यन ने दिया साथ

आप ये जान कर हैरान होंगे कि इस हैरतअंगेज़ कारनामे को अंजाम देने में अनाया का छोटा भाई 8 साल आर्यन भी उसके साथ गया था. आर्यन, अनाया कि बुआ ममता सौदा का बेटा है. दोनों बच्चों को राजेश सौदा ने खुद ट्रेनिंग दी थी. 30 अप्रैल को पूरा परिवार दिल्ली से Nepal की राजधानी काठमांडू के लिए रवाना हुआ था. 1 मई को सभी लोग लुकला पहुंचे जहां से Everest Base Camp की ट्रैकिंग शुरू होती है. 3 मई से उन्होंने ट्रैकिंग शुरू की… जो कि रोज़ सुबह 6 बजे उठकर करीब 8 से 10 घंटे की करनी होती थी. यानि दोनों छोटे बच्चे हर दिन करीब 10 किलोमीटर का सफर तय करते थे. Mount Everest का रास्ता बेहद पथरीला और संकरा था. कई जगहों पर तो रस्सियों का सहारा भी लेना पड़ता था. रास्ते में कई बार बारिश और ओले गिरने की वजह से ट्रैकिंग रोकनी भी पड़ती थी. ट्रैकिंग के दौरान Oxygen की कमी भी लगातार महसूस होती थी. लेकिन बच्चों ने हिम्मत नहीं हारी. लुकला में टेंपरेचर -7 डिग्री था जो बेस कैंप तक पहुंचते-पहुंचते -12 तक चला गया था. खाने के लिए ये सब लोग चॉकलेट, ड्राईफ्रूट और फ्रूट्स साथ लेकर गए थे जिससे उन्हे एनर्जी मिलती रही.
नशे के खिलाफ नन्हे-मुन्नों की सबसे बड़ी जंग

परिजनों की मानें को एवरेस्ट पर ट्रैकिंग के दौरान ठंड इतनी ज्यादा थी कि नन्ही अनाया की स्किन बर्न हो गई. उसके मुंह का स्वाद चला गया… हल्का बुखार भी हो गया था लेकिन बच्ची अपने संकल्प को लेकर आगे बढ़ती गई. अनाया के पिता महेश सौदा ने ट्रैकिंग से पहले उसका मेडिकल करवाया था. साथ में पेट दर्द, खांसी-जुकाम और बुखार की दवाएं दी गई थीं. बताते हैं कि कई बार दवाइयां खाकर बच्चों ने अपनी यात्रा पूरी की. 3 मई को शुरू हुई यात्रा आखिरकार 14 मई को अपने आखरी पढ़ाव पर पहंची. 14 मई की सुबह 8 बजे गोरखशेप से बच्चों ने अपनी अंतिम चढ़ाई शुरू की. ये आधा किलोमीटर का रास्ता ज्यादा कांटो भरा था. -12 डिग्री तापमान, पत्थरीले रास्ते और बर्फ के बीच अनाया और आर्यन ने सुबह 11 बजे एवरेस्ट बेस कैंप पर पहुंचकर तिरंगा फहराया. इस तरह दोनों बच्चों ने करीब 130 किलोमीटर की दुनिया की सबसे मुश्किल ट्रैकिंग पूरी की. इतनी छोटी उम्र में ये कारनामा कर दोनों बच्चों ने वाकई इतिहास रच दिया. ना सिर्फ परिवार को बल्कि पूरे देश को इतने छोटे बच्चों पर गर्व होना चाहिए जो नशे के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़े सितारे बनकर उभरे हैं. अनाया और आर्यन के बुलंद हौंसलों को खबरलील का सलाम.