
Israel-Iran war से परमाणु संकट का खतरा बढ़ा
Israel-Iran war News Update
इजरायल और ईरान के बीच जारी तनाव अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है. और Israel-Iran war की ख़बर पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बनी हुई. इसका असर केवल मध्य पूर्व तक ही नहीं रहेगा, पूरे विश्व पर इस युद्ध का प्रभाव पड़ने की आशंका है, हर व्यक्ति की नजरें इस संकट पर टिकी हैं, हर कोई सोच रहा है कौन होगा इसका अगला शिकार ?
सूत्रों के अनुसार, इजरायल ने ईरान की नतान्ज न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला किया है, जहां देश का मुख्य यूरानियम संवर्धन किया जाता था, साथ ही, इजरायल ने इस्फाहान पर भी हमला किया, इजरायल के हमले का लक्ष्य ईरान की परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाना था, इजरायल का दावा है कि ये केंद्र परमाणु हथियार बनाने का काम कर रहे थे, इजरायल के दावों और आरोपों का ईरान ने जोरदार खंडन किया है.
IAEA ने किया सतर्क
परमाणु ऊर्जा पर नजर रखने वाली संस्था IAEA ने भी ईरान के परमाणु ठिकानों पर हुए हमले पर चिंता जाहिर की है, IAEA प्रमुख राफेल ग्रोसी ने कहा, न्यूक्लियर साइट पर हमला केवल एक देश या एक क्षेत्र तक ही नहीं रहता, इसका असर पूरे विश्व पर फैलने का खतरा रहता है, ग्रोसी ने ये भी बताया कि उनके निरीक्षक ईरान के परमाणु केंद्र पर नज़र रख रहे हैं.
रेडियोधर्मी रिसाव का खतरा बढ़ा
परमाणु केंद्र पर हमला होने या उनके क्षतिग्रस्त होने पर रेडियोधर्मी पदार्थ फैलने का खतरा मतलब रेडियोधर्मी रिसाव का खतरा बढ़ जाता है, और अगर ऐसा होता है तो इससे हजारों लोगों की जान पर संकट आ जाएगा, साथ ही पर्यावरण पर इसका असर दशकों तक रहेगा, परमाणु हमले या रिसाव होने पर एक बड़े विस्फोट की भी आशंका बढ़ जाती है, जिसका प्रभाव असंतुलन पैदा कर सकता है.
चेर्नोबिल, फुकुशिमा, मैजाक ने देखी त्रासदी
परमाणु हादसे का दर्द यूक्रेन के चेर्नोबिल ने 1986 में महसूस किया था, जहां एक रिएक्टर में धमाका हुआ था, जिसके कारण 30 लोगों की मौत हो गई थी. रेडियो धर्मी रिसाव के कारण हजारों लोगों ने घर छोड़ दिया, साथ ही कैंसर सहित अनेक बीमारियों ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी थी.
साल 2011 में जापान के फुकुशिमा दाइची परमाणु सयंत्र में भी रेडियोधर्मी रिसाव हुआ था, दरअसल भूकंप और सुनामी ने वहां पर परमाणु संकट पैदा कर दिया था. सुनामी और भूकंप के प्रभाव से तीन रिएक्टर नष्ट हो गए थे, रेडियोधर्मी पदार्थ समुद्र तक जा पहुंच थे, जिसके चलते आस-पास रहने वाले हजारों लोगों को घर छोड़ना पड़ गया था.
साल 1957 में सोवियत संघ (रूस) के मैजाक परमाणु संयंत्र में बड़ा हादसा हुआ था. मैजाक परमाणु संयंत्र में एक रेडियोधर्मी कूड़े के ढेर में विस्फोट हो गया था, इस हादसे ने 200 लोगों की जान ले ली, 10 हजार लोगों का विस्थापन हुआ, साथ ही 1,000 वर्ग किलोमीटर का इलाका प्रभावित हुआ, बाद में इस इलाके का नाम “ईस्ट-उरल रेडियोएक्टिव ट्रेस” रखा गया. मैजाक परमाणु संयंत्र को PO Mayak के नाम से भी जाना जाता है.
कुल मिलाकर साफ है कि अगर ईरान की न्यूक्लियर साइट पर कोई हादसा होता है या फिर रेडियोधर्मी रिसाव होता है तो इसका असर लंबे वक्त तक रहने वाला है.