The bad road of Bhakar : भकार में सिस्टम की नाकामी का नंगा नाच
फिरोजाबाद जिले के जसराना विधानसभा क्षेत्र के भकार गांव में ग्रामीण आज भी विकास के वादों और जनप्रतिनिधियों की बेरुखी के बीच जूझ रहे हैं। बारिश का पानी यहां आफत बनकर बरसता है, जो सड़कों को गड्ढों में तब्दील कर देता है। नंदपुर से भकार तक का रास्ता इतना बदहाल है कि बारिश में यह पूरी तरह बंद हो जाता है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, मरीजों को सिर पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है, और गांव में कोई वाहन चालक आने को तैयार नहीं। ग्रामीणों की जिंदगी नारकीय हो चुकी है, लेकिन न तो जनप्रतिनिधियों को उनकी सुध है और न ही प्रशासन को उनकी चिंता।

ग्रामीण सुरेंद्र सिंह का दर्द छलकता है जब वे बताते हैं कि मरीजों को सिर पर उठाकर ले जाना पड़ता है – क्योंकि कोई वाहन गांव तक नहीं पहुंचता।
श्रुति देवी कहती हैं- “पिछले 10 साल से सड़क की हालत जस की तस है। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते – स्कूल वैन तक गांव नहीं आती।”
डॉ. मुलायम सिंह का गुस्सा तब और भड़कता है जब वे बताते हैं कि शादी के लिए रिश्ते तक नहीं आते – क्योंकि कोई इस बदहाल रास्ते से गांव आने को तैयार नहीं।
राम सिंह कहते हैं- भकार गांव के लोग विधायक और सांसद के चक्कर लगाते लगाते थक गए। 2 साल से समस्याएं बता रहे हैं – विधायक और सांसद कहते हैं काम करवा देंगे। लेकिन हुआ आज तक कुछ नहीं।
राजेंद्र सिंह रात के समय मरीजों को अस्पताल ले जाने की असंभव चुनौती का जिक्र करते हैं
राकेश पानी निकासी की बदइंतजामी पर सवाल उठाते हैं।
ग्रामीणों ने कई बार शिकायती पत्र दिए, लेकिन सुनवाई शून्य। अब तो वे आगामी चुनावों के बहिष्कार की चेतावनी दे रहे हैं।

The bad road of Bhakar : सिस्टम की नाकामी का खुला खेल
पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता मनोज पुंडीर का जवाब सुनकर हंसी और गुस्सा दोनों आता है। वे कहते हैं कि भकार डूब क्षेत्र में आता है, जहां सिरसा नदी, जेड़ा झाल, इटावा ब्रांच, कानपुर ब्रांच और मीठे पानी की नहर ओवरफ्लो होकर सड़कों को बर्बाद कर देती हैं। सवाल यह है कि क्या यह जानकारी 70 साल बाद मिली? अगर डूब क्षेत्र की समस्या इतनी पुरानी है – तो अब तक समाधान क्यों नहीं हुआ? पीडब्ल्यूडी ने 2025-26 की कार्य योजना में सड़क को शामिल किया है, लेकिन यह आश्वासन पहले भी कई बार सुना जा चुका है। क्या यह सिर्फ समय टालने की कवायद है? क्या ग्रामीणों की तकलीफ का कोई मोल नहीं?
The bad road of Bhakar : जनप्रतिनिधियों की चुप्पी, प्रशासन की लापरवाही
भाजपा हो या सपा – दोनों ने भकार गांव को सिर्फ वोटबैंक समझा। विधायक सचिन यादव और सांसद अक्षय यादव पर ग्रामीणों का गुस्सा साफ झलकता है। क्या जनप्रतिनिधियों का काम सिर्फ चुनाव जीतना और कुर्सी संभालना है? गांव की सड़कें, जलभराव की समस्या और बुनियादी सुविधाओं का अभाव क्या उनके एजेंडे में शामिल नहीं? प्रशासन भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता रहा है। पीडब्ल्यूडी के आश्वासनों का क्या, जो हर बार हवा में उड़ जाते हैं? यह सिस्टम की नाकामी नहीं – तो और क्या है?
फिरोजाबाद का Bhakar गांव सरकार से पूछ रहा सवाल
- आखिर भकार गांव की सड़कों को ठीक करने में 70 साल से क्या अड़चन है?
- क्या डूब क्षेत्र का बहाना ग्रामीणों की तकलीफ को अनदेखा करने का लाइसेंस है?
- जनप्रतिनिधि गांव क्यों नहीं आते? क्या उनकी गाड़ियां गड्ढों में फंस जाएंगी?
- पीडब्ल्यूडी के आश्वासन कब हकीकत में बदलेंगे?
- क्या ग्रामीणों को अपने हक के लिए चुनाव बहिष्कार जैसा कदम उठाना पड़ेगा?
