Tez Raftar Vehicles: बुलंदशहर कांवड़ मार्ग पर तेज रफ्तार वाहनों की चेकिंग
तेज रफ्तार Vehicles पर पुलिस का हंटर
Tez Raftar Vehicles: बुलंदशहर में कांवड़ मार्ग पर जो गाड़ियां फर्राटा भरती थीं, उन पर खुर्जा पुलिस ने सीधा ब्रेक लगा दिया। श्रद्धालुओं की सुरक्षा का हवाला देकर पुलिस ने ऐसी रफ्तार पर चालान का हंटर चला दिया कि कई ड्राइवरों की जेब में से पेट्रोल से ज्यादा पैसे निकल गए। सीओ खुर्जा पूर्णिमा सिंह ने कमान खुद संभाली — लेकिन सवाल ये भी है कि पुलिस पूरे साल ऐसे ही तगड़ी रहती तो सड़क हादसे यूं चाय की प्याली में नहीं गिरते!
Tez Raftar Vehicles का चालान, चेतावनी और चूना
Tez Raftar Vehicles: पुलिसिया आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि इस ऑपरेशन में 25 से ज्यादा ओवरस्पीड वाहनों के लाखों के चालान काट दिए गए — अब बताइए, सड़क पर उड़ने वाले अब उधार मांग कर पेट्रोल भरवाएंगे। इसके अलावा करीब 50 चालकों को ‘अबकी माफ करो मालिक’ वाली तर्ज पर चेतावनी देकर छोड़ा गया। सवाल वही — जब रफ्तार पकड़नी ही थी तो पहले क्यों नहीं पकड़ी? सड़क पर सीओ साहिबा दिखीं तो सबके ब्रेक लग गए — बाकी दिन? राम भरोसे!

Tez Raftar Vehicles पर Police की सख्ती या दिखावा?
Tez Raftar Vehicles: खुर्जा नगर थाना क्षेत्र के अगवाल कट पर NH34 के इस ‘स्पेशल शो’ में पुलिसिया ड्रामा पूरा चला। श्रद्धालुओं की आड़ में चालान का कड़वा घूंट पिलाया गया। सीओ पूर्णिमा सिंह का फरमान है कि आगे भी ऐसे ही चेकिंग चलेगी — चलिए भैया, जनता तो यही चाहेगी कि ये अभियान रुकने ना पाए! लेकिन सवाल फिर वही — हादसे रोकने का ये एक हफ्ते का शो है या पुलिस की ‘चालान वसूली योजना’?
Tez Raftar Vehicles पर डंडा जरूरी, सिस्टम पर भी!

Tez Raftar Vehicles: तेज रफ्तार पर ब्रेक लगाना सही है, लेकिन सिस्टम की सुस्त चाल पर कौन चालान काटेगा? सड़कें गड्ढों से भरी हैं, रात को लाइट गायब — पुलिस रात में भी गश्त पर निकले तो चालान के साथ सड़कों की मरम्मत का भी चालान लिखे! श्रद्धालु तो सुरक्षित रहेंगे ही, जनता भी सुकून में रहेगी। वर्ना यह चेकिंग अभियान भी एक फोटो खिंचवाओ योजना बनकर रह जाएगा।
चालान से सड़कें सुधरेंगी या जेब?

Tez Raftar Vehicles: बुलंदशहर की सड़कें यूं ही शेर की मांद नहीं बनीं — कभी खड्डों में गाड़ी लटकती है तो कभी रफ्तार पर रोक लगाने वाले साइन बोर्ड गायब मिलते हैं। अब पुलिस को अचानक याद आया कि कांवड़ यात्रा में सड़क हादसे न हों, तो भाई साहब चालान मार-मार कर वाहनों को सीधा कर रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि चालान से क्या सड़कें गड्ढा मुक्त हो जाएंगी? क्या ट्रैफिक सिग्नल जिंदा हो जाएंगे? क्या हाईवे पर कांवड़ियों के लिए पैदल पटरियां बन जाएंगी? असली इलाज है सिस्टम की स्पीड बढ़ाना, वरना ये चालान भी वही सरकारी ‘रोजगार गारंटी योजना’ बनकर रह जाएंगे जिसमें जनता की जेब से सरकार के खजाने में चुपचाप चढ़ावा चढ़ता रहेगा। सीओ पूर्णिमा सिंह के इस अभियान को जनता सलाम कर रही है — पर दुआ यही है कि ये बुलंदशहर पुलिस की ‘वसूली यात्रा’ न बन जाए!
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता:सुरेंद्र सिंह भाटी
📍 लोकेशन: बुलंदशहर, यूपी
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