Banda Tender Scam फिर चर्चा में है। निविदा का बॉक्स खुलने से पहले ही खेल बंद कर दिया गया। ठेकेदारों की लाइन लगी रही, फाइलों ने दरवाजे नहीं खोले, और ईओ साहब ने ठेकेदारों को मजाक में उड़ा दिया।
टेण्डर के नाम पर ताला | Tender Scam!
बांदा में नगर पालिका हो और घोटाला न हो — ये तो मुंगेरीलाल का सपना है! Tender Scam! की नई किस्त में इस बार 28 कामों का ठेका भी VIP ट्रीटमेंट पा गया — कागजों में ही कैद रहा। ठेकेदार बेचारे गेट पर बैठे, अंदर से जवाब आया — ‘खुलेंगे भी, या नहीं… देखते हैं!’
सफदर अली Vs सेटिंग | Tender Scam!
कभी बड़े-बड़े नेताओं की बारात में ‘राजदार’ रहे सफदर अली जब टेण्डर लेने पहुंचे तो पटल प्रभारी ने टाइमपास करा दिया। ‘अभी नहीं, थोड़ी देर बाद।’ फिर ‘थोड़ी देर बाद’ भी खत्म — और आखिर में टाइम ओवर!
सफदर अली का आरोप है कि नगर पालिका ने टेंडर बिक्री की प्रक्रिया को ही “फिक्स” कर लिया। 30 जून को टेंडर खरीदने की आखिरी तारीख थी, और 1 जुलाई को निविदा बॉक्स में डालकर दोपहर 3 बजे खोलने का समय था। लेकिन सुबह से ही ठेकेदारों को टेंडर फॉर्म देने में आनाकानी की गई। अली का कहना है कि पटल प्रभारी ने उन्हें टहलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और जब तक घड़ी ने 2 बजा दिए, तब तक टेंडर का कोई अता-पता नहीं था। सफदर बोले — ये Tender Scam है, CM साहब तक आवाज जाएगी।
अप्रैल से जून, सेटिंग वही
Tender Scam! कोई नया एपिसोड नहीं। अप्रैल में 13 काम निकले थे — 12 एक दरबार में समर्पित। अब 28 काम — और वही चाल! अंदर से चर्चा है — ‘गंगा में नहाकर भी जो आदत न बदले, वही असली खिलाड़ी!’ नगरकोष की सेहत पर पुरानी आदत फिर भारी पड़ रही है।
ईओ साहब का ‘हाजिर-जवाब’
जब मीडिया ने ईओ श्रीचंद्र चौधरी से पूछा — ‘भाई साहब, टेण्डर क्यों नहीं बिके?’ तो जवाब मिला — ‘आपको भी लेना है क्या?’ अब इसे सरकारी व्यंग्य कहिए या सरकारी गुंडई — ठेकेदार तो हक्का-बक्का। ईओ बोले — ‘लंच टाइम में कोई चला गया होगा, जांच करा देंगे।’ उधर ठेकेदार कह रहे — जांच से पहले ही टेण्डर बिक चुके हैं!
Tender Scam में जनता की खिचड़ी
शहर में गली-गली चर्चा है — Tender Scam! अब बांदा नगर पालिका की पहचान बन गया है। शिकायत हो या धरना, कोई असर नहीं। हर बार कोई नया ठेकेदार, नई अर्जी — और अंदरखाने की बिसात वैसी की वैसी। सवाल वही — कौन पकड़ेगा इस खेल को? कौन खोलेगा टेण्डर के ताले?
सफदर बोले — ‘CM तक जाऊंगा!’
सफदर अली ने नगर पालिका अध्यक्षा के प्रतिनिधि तक बात पहुंचाई — उधर से जवाब मिला — ‘मुझे पालिका के काम से मतलब नहीं!’ बस फिर क्या — सफदर बोले, ‘अब देखो CM साहब क्या करते हैं!’ ठेकेदारों की मांग — निविदा बिक्री फिर से खुले, पारदर्शी तरीके से बिके — लेकिन बांदा में पारदर्शिता भी तो सेटिंग से पूछकर आती है!
अब सवाल
तो भाई — Tender Scam! में टेण्डर बिकेगा या नाम बिकेगा? सफदर की आवाज सुनी जाएगी या फाइलों में दबा दी जाएगी? और जनता? जनता तो कहेगी ही — ये पब्लिक है… सब जानती है!
