Sugarcane Innovation Baghpat:बागपत के युवा किसान रूपेन्द्र ने गन्ने की पेमेंट न मिलने की कड़वाहट को अपने हुनर से मीठी क्रांति में बदल दिया। गन्ने के रस से बनाई कोल्ड कॉफी, आइसक्रीम और लड्डू — और वो भी ट्रैक्टर ट्रॉली पर चलती फिरती दुकान से!
Baghpat के युवा किसान रूपेन्द्र की ‘Sugarcane Innovation’ ने रच दिया मिशाल
रिपोर्ट: विवेक कौशिक | बागपत।20जून 2025
बागपत के खेतों में सिर्फ गन्ना नहीं उगता, यहां उम्मीदें भी उगती हैं। और जब वो उम्मीदें जमीनी हकीकत से टकराकर नई राह बनाती हैं, तो उसे कहते हैं — ‘देसी इनोवेशन का स्वदेशी ब्रह्मास्त्र’।
यह कहानी है रूपेन्द्र, एक छोटे किसान की, जिसने ‘गन्ने के भुगतान’ जैसी कड़वी समस्या का मीठा हल ढूंढ निकाला।
गन्ना सिर्फ चीनी नहीं, चमत्कार भी बन सकता है

जहां बागपत का किसान गन्ने की पेमेंट के लिए धरना देता है, वहीं रूपेन्द्र ने गन्ने से कोल्ड कॉफी, लड्डू, आइसक्रीम और चटनी बनाकर अपनी किस्मत ही नहीं, जिले की सोच भी बदल दी।
रूपेन्द्र बताते हैं कि उनके पास बड़ी ज़मीन नहीं, लेकिन बड़ी सोच जरूर थी। समय पर भुगतान न मिलने से अक्सर घर में राशन की तंगी हो जाती थी। तब उन्होंने फैसला किया — “अब गन्ने को बेचना नहीं, ब्रांड बनाना है।”
🚜 Sugarcane Innovation Baghpat-जब ट्रैक्टर बना Taste Point
पैसे नहीं थे दुकान खोलने के लिए। लेकिन देसी किसान जुगाड़ में भी माहिर होता है। रूपेन्द्र ने अपने खेती के ट्रैक्टर-ट्रॉली को ही मोबाइल शॉप बना दिया। उसी पर फिट किया डीप फ्रीज़र, मिक्सर और रस मशीन।
अब नेशनल हाईवे पर जहां भी लोग दिखते हैं, वहीं रुक जाती है रूपेन्द्र की दुकान। “Taste on Wheels” बन चुका है उनका ट्रैक्टर।
आज बागपत की जनता रूपेन्द्र के आने का इंतज़ार करती है — “ट्रैक्टर वाला भाई आया क्या?”
Sugarcane Innovation Baghpat- Dehati Science, Desi Swag

रूपेन्द्र ने गन्ने का रस फ्रोजन कर के डीप फ्रीज़र में रखा, ताकि बर्फ मिलाने की जरूरत ही न पड़े। पूरी प्रक्रिया हाइजेनिक है। रस निकालने वाली मशीन भी खुद डिज़ाइन की — पार्ट्स लेने के लिए गुजरात तक गए।
उनके बनाए प्रोडक्ट्स न सिर्फ स्वादिष्ट हैं, बल्कि केमिकल-फ्री और हेल्दी भी हैं। लड्डू से लेकर आइसक्रीम तक, सब कुछ गन्ने के रस से — बिना मिलावट, बिना अफ़सोस।
🏅 Sugarcane Innovation Baghpat-सम्मान भी, समर्थन भी
रूपेन्द्र की इस पहल को जिला प्रशासन ने कई बार सम्मानित किया है। जिला अधिकारी से लेकर कृषि विभाग तक उनकी तारीफ करता नहीं थकता।
उनकी यह कहानी अब युवाओं के लिए मिसाल बन गई है — “समस्या से लड़ो नहीं, उससे रास्ता निकालो।”
समाज को संदेश

आज जब युवा रोजगार के लिए शहरों की ओर भाग रहे हैं, रूपेन्द्र ने गन्ने से ही अपना ब्रांड खड़ा किया है। वो खुद उगाते हैं, खुद बनाते हैं और खुद बेचते हैं।
“किसान सिर्फ खाद डालने वाला नहीं, स्वाद गढ़ने वाला भी हो सकता है” — यही संदेश देती है Sugarcane Innovation Baghpat की यह कहानी।
