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गांव में आवारा सांड( Stray Bull) से दहशत, जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं, बिना FIR हुआ अंतिम संस्कार
लोकेशन-अमरोहा।संवाददाता- जय देव सिंह
💥Stray Bull बना मौत का प्रतीक, 50 साल की महिला की गई जान
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के हसनपुर तहसील के आदमपुर थाना क्षेत्र में स्थित दमगड़ा गांव इस वक्त दहशत में है। वजह – एक आवारा सांड(Stray Bull)जो इंसानों को सींगों पर उठाकर पटक रहा है और सरकार कान में तेल डाले बैठी है। गुरुवार सुबह करीब 4 बजे एक महिला अपने घर के आंगन में चारपाई पर सो रही थीं। तभी आवारा सांड बेधड़क घर में घुस आया और महिला पर जानलेवा हमला कर दिया।
दरवाजे पर न कोई गेट, न कोई रोक-टोक। सांड ने महिला को सींगों पर उठाया और ज़मीन पर पटक-पटककर जान ले ली। महिला की चीखें गांव के शांत माहौल को चीरती रहीं, लेकिन जब तक ग्रामीण दौड़े, तब तक सब खत्म हो चुका था। पति हजारीलाल ने बीच में आकर सांड से पत्नी को बचाने की कोशिश की, लेकिन जान बचाकर ही भागना पड़ा।
🚨Stray Bull से इंसान मरे, प्रशासन कहे – “गाय माता की सेवा”
अब ज़रा गौर कीजिए, प्रशासन की संवेदनशीलता पर। महिला की मौत के बाद न कोई पुलिस आया, न पोस्टमॉर्टम हुआ, न FIR लिखी गई। परिजन रोते-बिलखते रहे, और डर के मारे बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के अंतिम संस्कार कर दिया। क्या यही है आवारा सांड मैनेजमेंट मॉडल? गांव वालों का कहना है कि यह पहली घटना नहीं है – आए दिन सांड खेत बर्बाद कर रहे हैं, बच्चों को दौड़ा रहे हैं और अब जान भी लेने लगे हैं।
ग्रामीणों ने मांग की है कि इस खूंखार सांड को तुरंत पकड़कर गौशाला भेजा जाए। लेकिन प्रशासन का जवाब है – “कार्यवाही होगी”। वही घिसा-पिटा सरकारी जवाब, जो लाश पर भी दोहराया जाता है।
⚖️ Stray Bull का राज चलता रहे, इंसान मरता रहे?
जिस राज्य में गायों की पूजा होती है, वहीं आवारा सांड इंसानों के लिए काल बन चुके हैं। लेकिन सरकार के पास सिर्फ आंकड़े हैं, ज़मीन पर कोई एक्शन नहीं। विद्यावती अपने पीछे सात बच्चों को छोड़ गई हैं – जिनमें से एक बेटी की शादी अभी बाकी है। अब वो बेटी मां के आशीर्वाद के बिना ही ब्याही जाएगी — क्योंकि एक आवारा सांड की आज़ादी इंसान की जान से ज़्यादा अहम है।
अब सांडों को जेल भेजिए, नहीं तो श्मशान तक छोड़ेंगे
यह मामला अब सिर्फ एक महिला की मौत का नहीं है, यह सिस्टम के मुंह पर तमाचा है। आवारा सांड को सड़कों पर छोड़ देना, और फिर मौत होने पर पल्ला झाड़ लेना – यही है वर्तमान पशु-प्रबंधन नीति? अगर इसी तरह चलता रहा, तो अगली खबर किसी मासूम बच्चे या बुजुर्ग की होगी।
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