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भ्रष्टाचार की शिकायत लेकर जा रहे सपाई, लेकिन पुलिस बनी दीवार
SP Workers Stopped in Sambhal —सीएम योगी कार्यक्रम था, और सपा कार्यकर्ता शिकायत लेकर न जाएं यो तो ही नहीं सकता, लेकिन पुलिस उन्हें सीएम तक जाने दे, ये भी नहीं हो सकता।
घटना बहजोई की है, जहां सीएम योगी आदित्यनाथ का सभा स्थल बना था और सपा की “लाल टोपी ब्रिगेड” उसी ओर कूच कर रही थी। हाथ में ज्ञापन, मुंह में नारे, और दिल में सिर्फ़ एक ख्वाहिश — भ्रष्टाचार की पोल सीएम के सामने खोलनी है।
लेकिन… जैसे ही टोपीवालों ने बैरियर तोड़े, पुलिसवालों ने चालान खोल दिए। लोकतंत्र के इस ‘लाल-नीला’ टकराव का वीडियो अब सोशल मीडिया पर झंडे की तरह लहराया जा रहा है।
M Rally Protest: सपा कार्यकर्ताओं ने तोड़े बैरियर, पुलिस ने दिखाई बंदूक नहीं, चालान
सीएम योगी की रैली में पुलिस और सपाइयों के बीच जो नज़ारा दिखा, वो किसी लोकतांत्रिक फिल्म की क्लाइमैक्स सीन से कम नहीं था।
एक-एक कर सपा के कार्यकर्ता बैरियर लांघते हुए सभा स्थल के करीब पहुंच गए। पुलिस ने रोका, लेकिन सपाई कहां रुकने वाले थे।
हुआ क्या? न हाथापाई हुई, न लाठीचार्ज — सीधा चालान ठोंक दिया गया। चार कारों का चालान और सीधा डिप्टी कलेक्टर के सामने ज्ञापन की ठंडी पेशी।

अब सवाल उठता है — क्या विरोध करना जुर्म है? नहीं कोई जुर्म नहीं है, लेकिन सियासी विरोध, ये तो बताने की जरूरत नहीं है…
SP Workers Stopped in Sambhal: हॉट टॉक से गरमा गया माहौल, लाल टोपी बनाम खाकी टोपी
सीएम योगी के कार्यक्रम के दौरान पुलिस और सपाइयों में जमकर झड़प हुई.. यानी जब सियासत की टोपी और सिस्टम की वर्दी आमने-सामने हो जाएं। तो क्या होगा आप समझ ही सकते हैं। पुलिस और सपा कार्यकर्ताओं के बीच हुई ज़ुबानी जंग ने माहौल को गरमा दिया।
सपाइयों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें जबरन रोका, उन्हें मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया और विरोध स्वरूप आने वाली गाड़ियों का चालान काट डाला।
लाल टोपी वालों ने आरोपों की लड़ी बिछा दी — “हम भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हुए, तो पुलिस ने हमें ही भ्रष्ट कह डाला!”
SP Workers Stopped in Sambhal:: क्या मुख्यमंत्री से मिलना अब VIP पास से होगा?
सपाइयों की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण ये था कि जनता की आवाज़ सीएम तक क्यों नहीं पहुंचने दी गई।
जब जनता के नुमाइंदे, चुने हुए कार्यकर्ता भ्रष्टाचार की शिकायत लेकर आएं और उन्हें दरवाज़े पर ही रोक दिया जाए — तो किसके दरबार में फरियाद लगाई जाए?

अब सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं — क्या अब मुख्यमंत्री से मिलने के लिए भी पुलिस की इजाज़त ज़रूरी हो गई है?
Yogi Rally Sambhal: अंदर विकास की घोषणाएं, बाहर सियासी स्क्रिप्ट का प्रदर्शन
योगी की संभल रैली के अंदर मंच से विकास की योजनाएं बरस रही थीं — सड़क, बिजली, रोजगार सबकी घोषणाएं।
और बाहर? बाहर लाल टोपी धारी सपाई विरोध की स्क्रिप्ट लेकर आए थे — बैरियर तोड़ना, पुलिस से भिड़ना और फिर चालान की पर्ची दिखाकर पीड़ित बन जाना।
साफ है, ये सियासी विरोध था — सुनियोजित और टाइमिंग के साथ।
इस बार सिर्फ़ पुलिस नहीं, विरोध भी तैयारी से था।
मगर सवाल अब भी खड़ा है — क्या लोकतंत्र में विरोध का मंच सिर्फ़ सड़क है, या उसका भी कोई “सभास्थल” होना चाहिए?

 
         
         
         
        