Sonbhadra हादसे का जिम्मेदार कौन ?
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र (Sonbhadra) जिले के ओबरा स्थित बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में हुए भीषण हादसे के बाद चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन 72 घंटे बाद समाप्त कर दिया गया। 15 नवंबर को हुए इस हादसे ने पूरे इलाके को दहला दिया था, जिसके बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सीआईएसएफ, स्थानीय पुलिस और ग्रामीणों की मदद से बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया गया।
Sonbhadra में 72 घंटे तक चला रेस्क्यू अभियान
जिलाधिकारी (DM) बद्रीनाथ सिंह ने जानकारी दी कि रेस्क्यू टीमों ने पूरी खदान की दो बार गहन जांच की। मलबे से कुल सात शव बरामद हुए हैं और इसके अलावा कोई घायल या अन्य मृतक नहीं मिला। संतुष्टि के बाद अधिकारियों ने रेस्क्यू ऑपरेशन बंद करने का निर्णय लिया।
एसपी अभिषेक वर्मा ने भी पुष्टि की कि 72 घंटे तक चले इस अभियान का उद्देश्य मलबे के नीचे दबे संभावित अन्य मजदूरों की तलाश करना था, लेकिन अब तक सिर्फ सात ही शव मिले हैं।
कोई गिरफ्तारी नहीं, जांच जारी
हादसे के मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस ने बताया कि घटना के कारणों और जिम्मेदार लोगों की पहचान के लिए जांच तेजी से जारी है।

कब-कैसे हुआ था हादसा ?
15 नवंबर की दोपहर करीब तीन बजे खदान क्षेत्र में एक बड़ा भूस्खलन हुआ। पहाड़ी का एक हिस्सा अचानक टूटकर नीचे गिर गया और पत्थरों का भारी मलबा खदान क्षेत्र में फैल गया। इससे वहां काम कर रहे कई मजदूर मलबे के नीचे दब गए। स्थानीय प्रशासन और राहत दलों ने तत्काल बचाव अभियान शुरू किया, जो तीन दिनों तक लगातार जारी रहा।
Sonbhadra: स्थानीय लोगों में दुख और आक्रोश
हादसे के बाद से ही इलाके में शोक और रोष का माहौल है। लोग मांग कर रहे हैं कि खदानों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।
