
Somnath Jyotirlinga Controversy
Somnath Jyotirlinga Controversy: श्री श्री रविशंकर का दावा, शंकराचार्यों का विरोध। क्या है सच्चाई?
Somnath Jyotirlinga Controversy: भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला माने जाने वाला हिंदू आस्था का प्रतीक सोमनाथ मंदिर एक बार फिर विवादों में है। इस बार ये विवाद किसी दूसरे धर्म के गुरू या मौलवी ने नहीं खुद सनातन के रक्षकों ने पैदा किया है। दरअसल आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने दावा किया है कि उनके पास 1000 साल पहले महमूद गजनवी द्वारा तोड़े गए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के अंश हैं। यह दावा 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के अवसर पर सामने आया, जब रविशंकर ने अपने बेंगलुरु आश्रम में इन अंशों को प्रदर्शित किया। श्री श्री रविशंकर का तब फोड़ा गया बम अब विस्फोट कर रहा है। आखिर ये पूरा मुद्दा क्या है? और किसके दावों में कितना दम है,चलिये इसकी पड़ताल करते हैं।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है, और इस बार विवाद के केंद्र में हैं आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर। एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने दावा किया कि उनके पास “सोमनाथ शिवलिंग का अंश” मौजूद है। उनका यह कथन सामने आते ही शंकराचार्यों, अखाड़ों और प्रमुख संतों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कई धार्मिक नेताओं ने इस बयान को “सनातन परंपरा के खिलाफ” बताया है और इस पर सार्वजनिक माफी की मांग भी की है। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और निजानंद स्वामी ने इसे “आस्था से खिलवाड़” करार दिया है।
Somnath Jyotirlinga Controversy:श्री श्री रविशंकर का दावा: 1000 साल बाद शिवलिंग अंश की वापसी?
Somnath Jyotirlinga Controversy:शंकराचार्यों और संतों का विरोध: क्यों उठ रहे सवाल?

Somnath Jyotirlinga Controversy:रविशंकर के दावे की मंशा: आध्यात्मिकता या विवाद की आग?
श्री श्री रविशंकर की मंशा पर उठते सवाल
श्री श्री रविशंकर इस दावे को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा हो रही है। कई लोग इसे सनातन परंपरा के आध्यात्मिक नेतृत्व पर प्रभुत्व जताने की कोशिश मान रहे हैं। वहीं कुछ आलोचक इसे “स्पॉटलाइट कैप्चर करने की चाल” भी कह रहे हैं। दरअसल रविशंकर का यह दावा ऐसे समय आया है जब देश में ज्ञानवापी, मथुरा-शाही ईदगाह जैसे कई धार्मिक मुद्दों पर बहस चल रही है।
क्या वाकई श्री श्री रविशंकर के पास है शिवलिंग का टुकड़ा?

Somnath Jyotirlinga Controversy:सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर श्री श्री रविशंकर के पास वाकई शिवलिंग का टुकड़ा है, तो वह इसे अब तक छिपाकर क्यों रखे हुए थे? उन्होंने सार्वजनिक रूप से कभी इसका जिक्र नहीं किया। न तो उनकी संस्था ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ ने इस बारे में कोई आधिकारिक वक्तव्य दिया, न ही किसी रिपोर्ट में अब तक इसका उल्लेख रहा है। सवाल ये भी उठता है कि क्या उन्होंने किसी पुरातात्विक अथवा धार्मिक प्राधिकरण से इसकी प्रामाणिकता को जांचा है?रविशंकर का दावा है कि शिवलिंग के अंश चुंबकीय हैं और हवा में तैरते थे। लेकिन, पुरातत्वविदों ने अभी तक इन अंशों की जांच नहीं की। अगर ये अंश प्रामाणिक हैं, तो 1000 साल तक इनका संरक्षण कैसे हुआ? सीताराम शास्त्री ने 21 साल पहले इन्हें अपने चाचा से प्राप्त किया, लेकिन उनके गुरु प्रणवेंद्र सरस्वती को यह कब और कैसे मिला, यह साफ नहीं है।
शिवलिंग अंश का इतिहास: कितना सच, कितना रहस्य?
Somnath Jyotirlinga Controversy:ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, महमूद गजनवी ने 1026 ई. में सोमनाथ मंदिर को लूटा और शिवलिंग को तोड़ दिया। कुछ इतिहासकार, जैसे अल-बिरूनी, लिखते हैं कि शिवलिंग के टुकड़े गजनी में जामा मस्जिद के प्रवेशद्वार पर दबाए गए। लेकिन, अग्निहोत्री पुजारियों ने कुछ टुकड़ों को तमिलनाडु ले जाकर छिपाने का दावा किया। सीताराम शास्त्री के अनुसार, उनके चाचा ने 60 साल तक इन अंशों की पूजा की। लेकिन, अगर ये टुकड़े 1000 साल से थे, तो पहले क्यों नहीं सामने आए? क्या कांची शंकराचार्य के निर्देश इतने गुप्त थे?
रविशंकर से जुड़े पुराने विवाद: विश्वास की आड़ में सवाल

Somnath Jyotirlinga Controversy: सोमनाथ मंदिर का अगला कदम क्या ?
Somnath Jyotirlinga Controversy:क्या यह धार्मिक धरोहर के साथ खिलवाड़ है?
सनातन परंपरा में किसी भी ज्योतिर्लिंग या उसके अंश को निजी रूप से रखना न केवल अपवित्र माना जाता है, बल्कि इसे धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ भी समझा जाता है। इस संदर्भ में रविशंकर के बयान ने एक गंभीर बहस छेड़ दी है: क्या धार्मिक गुरु धार्मिक प्रतीकों के ऐसे प्रयोग के लिए स्वतंत्र हैं? अगर नहीं, तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए? यह सवाल अब धार्मिक क्षेत्र से निकलकर राजनीतिक गलियारों में भी गूंज रहा है।

सोमनाथ मंदिर के शिवलिंग को लेकर श्री श्री रविशंकर का दावा ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, लेकिन शंकराचार्यों और संतों का विरोध इसे विवादास्पद बना रहा है। जानकारों का कहना है कि, इस मामले में वैज्ञानिक और पुरातात्विक सत्यापन जरूरी है ताकि आस्था और तथ्य का संतुलन बना रहे। सोमनाथ मंदिर, जो सनातन धर्म का प्रतीक है, को इस विवाद से बचाने के लिए पारदर्शी कदम उठाए जाने चाहिए।
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सरल एवं सहज भाव से सुन्दर अभिव्यक्ति।