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Solan Shoolini Mela 2025: आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम शूलिनी मेला, 3 दिन का ऐसा उत्सव…हटेगी नहीं नजर
रिपोर्टर: आदित्य श्रीवास्तव, शिमला
Solan Shoolini Mela 2025: हिमाचल के सोलन में 3 दिनों के ऐतिहासिक और धार्मिक शूलिनी माता मेले की श्रद्धा और उत्साह के साथ शुरुआत हुई। इस साल भी इस मेले की शुभ शुरुआत मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने की। यह मेला मां शूलिनी के प्रति लोगों की आस्था, भक्ति और परंपरा का प्रतीक माना जाता है। हर साल जून माह में ये मेला लगता है। जिसमें दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं और मां के इस उत्सव में शामिल होकर भाव-विभोर हो जाते हैं।
पहले दिन शोभायात्रा, दूसरे दिन ठोडा नृत्य पर नजरें
शुक्रवार को शूलिनी मेला का पहला दिन था। मेले की शुरुआत मां शूलिनी की पलकी यात्रा (शोभा यात्रा) से हुई, जिसमें माता की झांकी नगर के मुख्य मार्गों से होकर गुजरी। पलकी यात्रा के दौरान हजारों श्रद्धालु सड़कों के किनारे खड़े होकर मां के दर्शन करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दौरान पूरे शहर में एक भक्तिमय और उत्सव जैसा वातावरण बन जाता है।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने भी पारंपरिक रूप से मां की पूजा-अर्चना की, पलकी को कंधा दिया और पुष्प वर्षा करते हुए शोभा यात्रा में भाग लिया। उनकी उपस्थिति से आयोजन और भी विशेष बन गया। मेला समिति की ओर से इस अवसर पर एक स्मारिका (सुवेनियर) भी जारी की गई, जिसका विमोचन मुख्यमंत्री ने किया।
मेले की शुरुआत से पहले जिला दंडाधिकारी एवं मेला समिति के अध्यक्ष मनमोहन शर्मा ने मुख्यमंत्री का स्वागत और सम्मान किया। मेले के दूसरे दिन परंपराओं और लोक संस्कृति की झलकियां दिखीं। ऐतिहासिक ठोडा नृत्य प्रतियोगिता दूसरे दिन मुख्य आकर्षण रही। इसमें प्रदेश के सिरमौर और शिमला जिलों सहित कुल 6 ठोडा दलों ने भाग लेकर अपनी पारंपरिक युद्ध शैली का प्रदर्शन किया।
200 साल से लगता आ रहा पावन मेला
Solan Shoolini Mela 2025: देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु सोलन पहुंचे हैं…जो मां शूलिनी के दर्शन करने और मेले का हिस्सा बनने आए हैं। यह मेला लगभग 200 सालों से लगता आ रहा है। इस मेले का हर साल लोग बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। 3 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के लिए पूरे नगर को दीपों, फूलों और सजावटी रोशनी से सजाया गया है।
मेले के दौरान लोक संस्कृति और कला को भी मंच मिलता है। रात के समय लोक नृत्य, गीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं का मनोरंजन किया जाता है। यह मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामुदायिक उत्सव भी बन गया है, जो सोलन की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है।

क्या है मां शूलिनी के आशीर्वाद की सच्ची कहानी
Solan Shoolini Mela 2025: सोलन का नाम मां शूलिनी के नाम पर ही रखा गया। हिमाचल का मौजूदा सोलन देश की स्वतंत्रता से पूर्व बघाट रियासत की राजधानी के रूप में जाना जाता था। बघाट इसलिए भी कहते थे क्योंकि रियासत में 12 स्थानों का नामकरण घाट के साथ था। मां शूलिनी मंदिर के पुजारी बताते हैं उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी करीब 200 सालों से माता शूलिनी देवी की पूजा अर्चना करता आ रहा है।
सोलन पर मां शूलिनी की अपार कृपा
Solan Shoolini Mela 2025: पुजारी के मुताबिक माता शूलिनी दुर्गा माता का ही अवतार है। माता का नाम शूलिनी इसलिए पड़ा, क्योंकि माता त्रिशूलधारी हैं। बघाट रियासत के राजा सोलन में बसे थे तो वो मां शूलिनी को अपने साथ ही सोलन लेकर आए थे। कहा जाता है कि माता शूलिनी बघाट रियासत के राजाओं की कुलदेवी रहीं और उनके हर कामों को पूर्ण करती थीं। मान्यता के अनुसार बघाट के राजा अपनी कुल देवी की प्रसन्नता के लिए हर साल मेले का आयोजन करते थे। तब से लेकर आज तक मां शूलिनी की सोलन शहर पर अपार कृपा है। भक्त मानते हैं कि मां शूलिनी के प्रसन्न होने पर क्षेत्र में किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा और महामारी का प्रकोप नहीं होता। खुशहाली आती है और मेले की यह परंपरा आज भी कायम है।
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