Shri Bhagwat Katha: Vrindavan
Shri Bhagwat Katha in Vrindavan
✍️ Written by: Khabrilal.Digital Desk
मीरा माधव निलयन में साध्वी सत्यप्रिया की श्रीमद् भागवत कथा: भक्ति का अमृत और विनम्रता का संदेश
मथुरा की धर्म नगरी वृंदावन, जहां हर कण में राधा-कृष्ण की लीलाएं बसती हैं, वहां वात्सल्य ग्राम के “मीरा माधव निलयन” में श्रीमद् भागवत कथा का पावन आयोजन चल रहा है। कथा की प्रवक्ता, महामंडलेश्वर साध्वी सत्यप्रिया ने तीसरे दिन भक्तों को भक्ति के सागर में गोते लगवाए। नरसिंह अवतार, गजेंद्र मोक्ष, वामन अवतार, समुद्र मंथन, राम अवतार और कृष्ण अवतार की कथाओं का ऐसा जीवंत वर्णन किया कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।
भक्ति की मस्ती में डूबा वात्सल्य ग्राम
साध्वी सत्यप्रिया ने भक्त प्रह्लाद की भक्ति का बखान करते हुए कहा, “जब प्रह्लाद ने नारायण का नाम जपा, तो भगवान को नरसिंह रूप में प्रकट होना पड़ा। गजेंद्र ने जब प्रभु को पुकारा, तो भगवान दौड़े चले आए।” उन्होंने बताया कि भगवान भक्त के भाव के भूखे हैं। जो भक्त सच्चे मन से समर्पण करता है, भगवान उसकी पुकार सुनने को आतुर रहते हैं। “कलयुग में नाम जप और संकीर्तन ही मोक्ष का रास्ता है। प्रभु का नाम लेते ही सारे कष्ट पल में गायब हो जाते हैं,” साध्वी ने जोड़ा, और श्रोताओं की तालियों ने मानो उनकी बात पर मोहर लगा दी।
साध्वी ऋतंभरा का आशीर्वाद: विनम्रता का पाठ

इस पावन अवसर पर साध्वी सत्यप्रिया की गुरु, पद्म भूषण से सम्मानित साध्वी ऋतंभरा ने भी अपनी उपस्थिति से कथा को और दिव्य बना दिया। उन्होंने कहा, “कथा करने और सुनने वाले दोनों ही भगवान की कृपा के पात्र होते हैं। यह अवसर पूर्व जन्मों के पुण्यों से मिलता है।” उन्होंने विनम्रता का महत्व समझाते हुए कहा, “जब भगवान वामन रूप में राजा बली से दान मांगने आए, तो उन्होंने छोटा सा रूप धरकर विनम्रता दिखाई। अहंकार तो विनाश की जड़ है। तूफान में बड़े-बड़े वृक्ष उखड़ जाते हैं, लेकिन विनम्र दूब घास वही की वही रहती है।” साध्वी जी के ये शब्द श्रोताओं के दिलों में गहरे उतर गए।
भगवान भी ‘ऑन-कॉल’! Shri Bhagwat Katha in Vrindavan
साध्वी सत्यप्रिया ने कथा को इतने रोचक अंदाज में सुनाया कि लगता था मानो भगवान विष्णु भक्तों के लिए 24×7 कॉल सेंटर खोले बैठे हैं। बस एक पुकार, और प्रभु नरसिंह बनकर, वामन बनकर, या राम-कृष्ण बनकर हाजिर! भक्त प्रह्लाद ने ‘नारायण’ डायल किया, और भगवान ने हिरण्यकश्यप का ‘कॉल डिस्कनेक्ट’ कर दिया। गजेंद्र ने ‘हेल्पलाइन’ पर प्रभु को याद किया, तो मगरमच्छ की पूंछ पकड़कर भगवान ने उसे मुक्ति का टिकट थमा दिया। और हां, समुद्र मंथन में तो भगवान ने ‘मल्टीटास्किंग’ की मिसाल पेश की—कच्छप बनकर मंदराचल को थामा, मोहिनी बनकर अमृत बांटा, और बीच-बीच में धन्वंतरि बनकर आयुर्वेद का ज्ञान भी दे डाला। अब इसे कहते हैं ‘सुपरमैन’ से भी सुपर भगवान!
भक्ति और विनम्रता का संदेश। Shri Bhagwat Katha in Vrindavan

साध्वी सत्यप्रिया ने कहा कि आज के दौर में लोग मोबाइल और सोशल मीडिया में उलझे रहते हैं, लेकिन असली ‘कनेक्शन’ तो भगवान के नाम से बनता है। “नाम जपने से मन के सारे पाप धुल जाते हैं, और चित्त सात्विक हो जाता है।” साध्वी ऋतंभरा ने भी जोड़ा, “अहंकार छोड़कर, विनम्र भाव से भगवान के चरणों में समर्पण करो, फिर देखो कैसे जीवन सुखमय हो जाता है।”
कथा का प्रभाव: श्रोता हुए भाव-विभोर। Shri Bhagwat Katha in Vrindavan
वात्सल्य ग्राम का माहौल भक्ति और आध्यात्मिकता से सराबोर था। नरसिंह अवतार की कथा सुनकर श्रोताओं की आंखें नम हो गईं, तो गजेंद्र मोक्ष की कथा ने सभी को भगवान की दया का यकीन दिलाया। वामन अवतार की कथा ने विनम्रता का पाठ पढ़ाया, और राम-कृष्ण अवतारों ने भक्ति का रंग और गहरा कर दिया। कथा सुनने आए भक्तों ने कहा, “ऐसा लगता है जैसे हम वृंदावन की गलियों में कृष्ण के साथ रास रचा रहे हों।”
खबरीलाल.डिजिटल की तरफ से सभी भक्तों को सुझाव—अगली बार वृंदावन जाएं, तो वात्सल्य ग्राम की इस कथा में जरूर शामिल हों।
