Shivratri Jalabhishek Saharanpur
Shivratri Jalabhishek Saharanpur: जब कांवड़िए बने ‘शिव के सिपाही’
Shivratri Jalabhishek update
सहारनपुर की फिजाओं में बुधवार को सिर्फ भोलेनाथ का नाम गूंजा। शिवरात्रि के अवसर पर शिवालयों में ऐसा जनसैलाब उमड़ा कि पत्थर की मूर्तियां भी भक्ति में भीग गईं। हरिद्वार से गंगाजल लेकर निकले कांवड़िए जैसे जल नहीं, श्रद्धा का समंदर ले आए हों। कोई नंगे पांव, कोई मस्तक पर गंगाजल की बाल्टी—हर चेहरा शिवमय!
Shivratri Jalabhishek Saharanpur: डाक कांवड़ में भी बेटियां पीछे नहीं
इस बार शिवरात्रि ने एक नई तस्वीर भी दिखाई—गंगाजल लेकर दौड़ते हुए कांवड़िए नहीं, कांवड़िनें भी दिखीं। सहारनपुर पहुंचीं लड़कियां, सिर पर कांवड़, हाथ में गंगाजल, आंखों में शिव का ध्येय—हर क़दम जैसे तपस्वियों के पदचिन्ह हों। ये बेटियां भोलेनाथ को गंगाजल नहीं, अपनी आस्था अर्पित कर रही थीं।
Shivratri Jalabhishek Saharanpur: जब भक्त थमे नहीं, तो प्रशासन कैसे थमता?
चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के इंतज़ाम कुछ यूं थे कि शिवलिंग पर जल से पहले पुलिस की नज़र पड़ रही थी। बड़े अफसर खुद मोर्चा संभाले रहे—कोई लाउडस्पीकर थामे, कोई ड्रोन से निगाहें गड़ाए। भीड़ में आस्था भी थी और अनुशासन भी। मंदिरों के बाहर बैरिकेडिंग, CCTV, और अंदर ‘हर हर महादेव’ के जयकारे।
Shivratri Jalabhishek Saharanpur: अभिषेक में लीन हुए शहर के रग-रग
कोई दूध चढ़ा रहा था, कोई बेलपत्र। कोई लोटे में जल लाया था तो कोई गंगाजल की बोतल में पुण्य भरकर लाया था। भक्ति ऐसी कि मंदिर के पुजारी भी भक्तों की भीड़ में गुम हो जाएं। शहर का हर शिवालय भक्तों से भरा रहा—मानो कैलाश खुद सहारनपुर आ गया हो!
