Shikohabad Waterlogging Protest
Shikohabad Waterlogging Protest: नेता भी अब मछलियों की तरह पानी में बैठने लगे!
Shikohabad Waterlogging Protest Update
शिकोहाबाद की सड़कें इस कदर जलमग्न हैं कि अब नाव खरीदना भी वाजिब लगने लगा है। बुधवार को सपा विधायक मुकेश वर्मा ने जब सड़क के बीच पानी में बैठकर ‘जनता का दर्द’ साझा किया, तो लगता है लोकतंत्र भी घुटनों के बल बैठ गया। हद तो तब हो गई जब कुछ राहगीर विधायक को अल्तिपाल्ति खाते देख ‘गुगल मैप’ से रास्ता पूछने लगे – “भैया, ये जलपरी मंदिर की तरफ जाएगा?”
Nagar Palika की निकम्मी Engineering!, Shikohabad Waterlogging Protest बना आइना!
विधायक मुकेश वर्मा के मुताबिक, वॉटर लॉगिंग प्रोटेस्ट (Shikohabad Waterlogging Protest) किसी ड्रामा का हिस्सा नहीं, बल्कि निकम्मी नगर पालिका के मुंह पर करारा तमाचा है। जब जनता की जेब से टैक्स निकालकर गटर में बहा दिया जाए और अधिकारी अपनी कुर्सी पर सूखे में बैठें, तो जनता का प्रतिनिधि पानी में क्यों न बैठे?
विधायक की ‘डुबकी’ से जागा प्रशासन, पर क्या बहा शर्म भी?
जैसे ही विधायक की तस्वीरें वायरल हुईं, नगर पालिका के अफसरगण पानी में उतरने से पहले चप्पलें उतारकर आए। लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो “हर साल यही नौटंकी होती है। फोटो खिंचवा लो, फिर साल भर कीचड़ में रेंगते रहो।”
वॉटर लॉगिंग प्रोटेस्ट(Shikohabad Waterlogging Protest) के बहाने एक बार फिर सवाल खड़ा हुआ – क्या नगरपालिका अब महज ठेकेदारों और सफेदपोशों का मुनाफा घर बन चुकी है?
स्कूल जाएं या स्विमिंग करें? बच्चों का बैग भीगता है, मगर नेता का ट्वीट सूखा रहता है
थोड़ी सी बारिश में जब स्कूल जाने वाले बच्चों के जूते पानी में बह जाएं और बुज़ुर्ग घर से बाहर निकलने से डरें, तब वॉटर लॉगिंग प्रोटेस्ट (Shikohabad Waterlogging Protest) कोई नाटक नहीं, बल्कि प्रशासनिक असफलता का पोस्टर बन जाता है।
यह विरोध किसी नेता की नौटंकी नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जो हर बारिश में अपने सपनों की नाव डुबा बैठते हैं।
‘काम के बजाय कैमरे में रुचि’ – नगर पालिका की राजनीति का नया मंत्र
नगर पालिका के अफसर आए, फोटो खिंचवाई, और चले गए। पाइप सफाई की बात हुई, लेकिन हकीकत में मुहल्ले वाले अब खुद नाले से पानी खींचने की स्किल सीख चुके हैं। वॉटर लॉगिंग प्रोटेस्ट (Shikohabad Waterlogging Protest) उन जुमलों की पोल खोलता है जो हर चुनाव से पहले ‘ड्रेनज सिस्टम दुरुस्त’ के नाम पर दोहराए जाते हैं।
सोशल मीडिया में वायरल हुआ Shikohabad Waterlogging Protest, मगर समाधान अभी गटर में
इस विरोध की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुईं – #WaterloggedDemocracy, #ShikohabadProtest, #WetLeaderDrySystem जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लेकिन जैसे हर तस्वीर का एक फिल्टर होता है, वैसे ही इस विरोध के पीछे भी सिस्टम की सड़ांध छुपी है।
जनता ने कहा – जल में बैठा विधायक नहीं, भीतर तक डूबा हुआ सिस्टम देखिए!
राहगीरों का कहना है कि अगर जनता हर बार वोट देकर पानी में ही रहनी है, तो अगली बार चुनाव ‘तैराकी प्रतियोगिता’ की तरह हो। नगर पालिका की इंजीनियरिंग इतनी दमदार है कि जल निकासी नहीं, जल संग्रहण केंद्र बन चुका है शिकोहाबाद।
Shikohabad Waterlogging Protest ने एक बार फिर साफ कर दिया कि जनता के वोट से बने सिस्टम अब पानी में बह चुके हैं। विधायक का पानी में बैठना एक प्रतीक है – उस लाचार लोकतंत्र का, जिसे अफसरशाही ने गटर में फेंक दिया है।
अगर अब भी नगर पालिका नहीं जागी, तो अगली बारिश में सिर्फ सड़क नहीं, भरोसा भी बह जाएगा – और इस बार वोटिंग बूथ तक पहुंचने के लिए नाव की ज़रूरत होगी!
