गुरुग्राम की 22 साल की हिंदू लड़की शर्मिष्ठा पनोली ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो बनाया, जिसमें उसने पाकिस्तान के खिलाफ तीखे शब्द कहे। बस, यही उसका “गुनाह” था। कोलकाता के गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में वजाहत खान, रशीदी फाउंडेशन के मालिक, ने उसके खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का इल्ज़ाम लगाकर FIR दर्ज करा दी। कोलकाता पुलिस ने 1500 किलोमीटर दूर से शर्मिष्ठा को गिरफ्तार किया, उसकी जमानत खारिज की, और उसे 2 हफ्तों की जेल में डाल दिया।
शर्मिष्ठा पनोली को बंगाल पुलिस ने किया गिरफ्तार
वजाहत खान: हिंदू अपमान, फिर भी आज़ाद
वजाहत खान, जिसने शर्मिष्ठा पर इल्ज़ाम लगाया, वो खुद हिंदू धर्म का मज़ाक उड़ाता रहा है। उसकी X पोस्ट्स में ज़हर भरा है: कभी शिव पर अभद्र भाषा, और कभी ‘भगवा आतंक’ जैसे जुमलों का खुला उपयोग — ये सब वज़ाहत ख़ान की सोशल मीडिया टाइमलाइन का हिस्सा हैं। क्या ये जानबूझकर हिंदू भावनाओं को आहत करने की कोशिश नहीं है? मगर हैरानी की बात देखिए — इन सभी पोस्ट्स के बावजूद वज़ाहत ख़ान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। ना FIR, ना पूछताछ, ना माफ़ीनामा। क्यों? क्योंकि जब आप ‘सेक्युलरिज़्म’ का नकाब पहनकर नफरत फैलाते हैं, तो आपकी जगह इस सिस्टम में महफूज़ रहती है।
शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तार क्यों? वजाहत पर कार्रवाई कब?
शर्मिष्ठा पनोली की एक वीडियो पर केस दर्ज, लेकिन वज़ाहत की बरसों पुरानी भड़काऊ टिप्पणियां ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’? ऐसा क्यों?वजाहत खान खिलाफ दो शिकायतें दर्ज हैं, लेकिन कोलकाता पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। वजाहत आज़ाद घूम रहा है, जबकि शर्मिष्ठा जेल में आंसू बहाती रही। यह कैसा इंसाफ है?
ममता बनर्जी: तुष्टिकरण की राजनीति?
ममता बनर्जी, जो खुद को सेकुलर कहती हैं, फिर उनकी सरकार में हिंदू भावनाओं का अपमान करने वालों को खुली छूट क्यों दी गई है ? मुर्शिदाबाद हिंसा में 400 हिंदू परिवार बेघर हुए, लेकिन ममता खामोश रहीं। उन्होंने भारत सेवाश्रम संघ और इस्कॉन जैसे हिंदू संगठनों पर हमला बोला, लेकिन वजाहत जैसे लोगों पर चुप्पी साध ली। शर्मिष्ठा के आंसुओं पर भी उनकी सरकार ने मुंह फेर लिया। यहां सवाल उठता है कि, क्या सनातन धर्म की भावनाएं इतनी सस्ती हैं?
महुआ मोइत्रा: काली विवाद और दोहरा रवैया
ममता की “लाडली” महुआ मोइत्रा ने 2022 में कहा, “मां काली मांस खाने वाली और शराब पीने वाली देवी हैं।” इस बयान से हिंदू आहत हुए, FIR दर्ज हुई, लेकिन कोलकाता पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। महुआ ने बीजेपी को “चैलेंज” किया, लेकिन वजाहत के हिंदू-विरोधी पोस्ट्स पर उनकी बेबाकी गायब रही? शर्मिष्ठा के दर्द पर भी महुआ और ममता दोनों की जुबान बंद है। जनता पूछ रही है आखिर शर्मिष्ठा को किस बात के लिए जेल में डाला गया, और अगर शर्मिष्ठा जेल में है तो वजाहत और महुआ आजाद कैसे घूम रहे हैं।
शर्मिष्ठा पनोली गिरफ्तार, वजाहत पर शिकंजा कब?
वजाहत के पोस्ट्स सामने आने पर लोगों ने खूब हंगामा मचाया था, जमकर उसे ट्रोल किया था, उसकी गिरफ्तारी की मांग की थी। बावजूद इसके वजाहत की गिरफ्तारी नहीं की गई। ममता बनर्जी जो शर्मिष्ठा को पाकिस्तान की बुराई करने पर गिरफ्तार करवा लेती हैं, उन्हें अपने देश के हिंदू विरोधियों का बयान क्यों नहीं दिखता। ये ममता बनर्जी का कैसा ‘सेक्युलरिज़्म’ है?
ट्रोलिंग की ट्रैजेडी — जब धर्म के नाम पर चरित्र हनन हुआ
शर्मिष्ठा पनोली का गुनाह क्या था? एक ओपिनियन देना — जिसमें ना किसी का नाम लिया, ना किसी धर्म का सीधा उल्लेख। लेकिन इसके बावजूद सोशल मीडिया पर उसे जिस तरह निशाना बनाया गया, वह किसी डिजिटल लिंचिंग से कम नहीं था। धमकियाँ, चरित्र हनन, और वज़ाहत ख़ान का केस — सब कुछ इतना सुनियोजित लगा कि मानो एक एजेंडा चलाया गया हो। और हैरानी कि बात यह है कि, जो लोग महिला अधिकारों की बात करते हैं, वे इस महिला को बचाने के लिए कहीं नहीं दिखे!
सवाल जो इस सिस्टम से पूछे जाने चाहिए
वज़ाहत ख़ान के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं?
महुआ मोइत्रा आज़ाद क्यों, शर्मिष्ठा दोषी क्यों?
क्या ममता बनर्जी का सेक्युलरिज़्म सिर्फ मुसलमानों तक सीमित है?
क्या महिला की आज़ादी का अधिकार सिर्फ कुछ ‘सेलेक्टेड’ महिलाओं को है?
क्या हिंदू होना इस देश में अब गुनाह बन चुका है?
ये मुद्दा केवल शर्मिष्ठा का नहीं, हिंदू भावनाओं के अपमान का है। वजाहत को ममता का साथ है, महुआ को हिंदू देवताओं का अपमान करने की छूट। लेकिन शर्मिष्ठा के आंसुओं का जवाब कौन देगा? खबरीलाल डीजिटल पर अपनी आवाज़ उठाएं। क्या यह दोहरा मापदंड जायज़ है? कमेंट में बताएं।