
Shaheed Satyawan Singh
झारखंड में नक्सली हमले में शहीद हुए CRPF जवान Shaheed Satyawan Singh का पार्थिव शरीर कुशीनगर के पैतृक गांव पहुंचा। राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई की तैयारी हो रही है। गांव में शोक और गर्व का माहौल है।
कुशीनगर।संवाददाता-जुगनू शर्मा

जिस धरती ने उसे वर्दी पहनकर देश की रक्षा को विदा किया था, आज वही धरती तिरंगे में लिपटे अपने लाल को लौटा लाई है। सीआरपीएफ 134 बटालियन में तैनात शहीद जवान सत्यवान सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक गांव रामपुर सोहरौना (हाटा कोतवाली क्षेत्र) पहुंचा। गांव की गलियों में मातम पसरा है, आंखें नम हैं और दिल गर्व से भरे हुए हैं।
🔥 नक्सली हमले में शहीद हुए थे सत्यवान सिंह
बताया गया है कि सत्यवान सिंह की तैनाती झारखंड-ओडिशा बॉर्डर पर थी, जहां दो दिन पहले एक नक्सली ऑपरेशन के दौरान आरडीएक्स ब्लास्ट में वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घायल अवस्था में उन्हें राउरकेला के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।
साल 2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए सत्यवान सिंह ने 14 वर्षों तक सेवा की। लेकिन अब उनका यह सफर राष्ट्र के लिए बलिदान बनकर खत्म हुआ है।
Shaheed Satyawan Singh: जनसैलाब उमड़ा, गांव हुआ गूंजायमान
शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही गांव पहुंचा, ‘शहीद जवान अमर रहें’, ‘भारत माता की जय’ जैसे नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। ग्रामीण, युवा, महिलाएं—हर कोई तिरंगा लिए अंतिम दर्शन को उमड़ पड़ा। शहीद के सम्मान में गांव की फिज़ा रुक सी गई है।
Shaheed Satyawan Singh:बेटा देगा मुखाग्नि, हो रही तैयारी
शहीद सत्यवान सिंह के 8 वर्षीय बेटे द्वारा उन्हें मुखाग्नि दिए जाने की तैयारी की जा रही है। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की योजना बनाई गई है।
इस मर्मस्पर्शी क्षण के लिए प्रशासन, सेना और गांव के लोग साथ खड़े हैं। घर में सबकी आंखों में गर्व और ग़म का मिला-जुला सैलाब है। पत्नी की आंखें पति की वर्दी की ओर ही टिकी हैं — वो वर्दी जिसे उन्होंने आखिरी बार गले से लगाया था।
अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी
स्थानीय विधायक मोहन वर्मा, नगर अध्यक्ष हाटा, सीआरपीएफ अधिकारियों और जिलाधिकारी/पुलिस अधीक्षक समेत प्रशासन के कई अधिकारी गांव पहुंचे और शहीद को श्रद्धांजलि दी। सीआरपीएफ के जवानों ने अपने साथी को गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम सलामी दी।
शहीद सत्यवान सिंह का बलिदान सिर्फ उनके परिवार या गांव की कहानी नहीं है। ये पूरे देश का कर्ज़ है। हर नागरिक को ये याद दिलाने की ज़रूरत है कि कोई कहीं सीमा पर अपनी जान जोखिम में डालकर हमें सुरक्षित रखे हुए है।