School Van Accident Saharanpur: खेत में पलटी स्कूल वैन
School Van Accident Saharanpur: बच्चों को छोड़ो, भगवान भरोसे स्कूल चलो!
School Van Accident Saharanpur- सहारनपुर ने आज फिर दिखा दिया कि, देहात के मासूम बच्चे स्कूल तक किस भरोसे पहुंचते हैं — न फिटनेस, न नियम, न कोई डर! गांव बाकर माजरा से अंबेहटापीर तक्षशिला स्कूल जा रही पिकअप वैन सड़क से फिसलकर सीधा गन्ने के खेत में पलट गई। शुक्र मनाइए गांव वालों का और ऊपर वाले का — वरना ये खबर तीन घायल बच्चों की नहीं, दर्जनों शवों की हो सकती थी।
ग्रामीण दौड़े, वैन के अंदर फंसे बच्चों को निकाला, चोटिल बच्चों को निजी अस्पताल पहुंचाया — प्रशासन? वो तो अभी भी फाइल पलट रहा होगा!
School Van Accident Saharanpur: मौत के पहिए पर स्कूल की सैर

अब ज़रा (School Van Accident Saharanpur) इस हादसे के पीछे का खेल समझिए — देहात में स्कूलों में बच्चों को ढोने के लिए ऐसी पिकअप वैनें दौड़ रही हैं जिनका फिटनेस सर्टिफिकेट उतना ही पुराना है जितनी स्कूल की बिल्डिंग। ना सीट, ना सेफ्टी बेल्ट, ना ड्राइवर की सही तालीम — बस ठूंस-ठूंस कर बच्चों को भरा और ‘स्कूल वैन’ लिखकर मौत को सड़कों पर उतार दिया।
थाना नकुड क्षेत्र में ऐसी गाड़ियां किसके दम पर चलती हैं? किसे कमीशन जाता है? कौन चुप बैठा है? जवाब कोई देगा नहीं, क्योंकि सवाल बच्चों की जान से जुड़े हैं — तो नेता जी से लेकर RI साहब तक सबकी ज़ुबान सील पैक!
School Van Accident Saharanpur: हादसे के बाद दिखावे का तमाशा

हर बार की तरह इस हादसे (School Van Accident Saharanpur) के बाद वही पुरानी कहानी — पुलिस मौके पर पहुंची, गाड़ी उठाई, ड्राइवर को कोसा, दो लाइन की FIR दर्ज हुई और फिर वही ढाक के तीन पात।
गांव वालों को अब लग रहा है कि बच्चों को भगवान भरोसे स्कूल भेजना पड़ेगा या ट्रैक्टर-ट्रॉली में बैठाकर खुद छोड़ना पड़ेगा। क्योंकि प्रशासन को तो बस चालान काटने से मतलब है, रोकथाम से नहीं।
RI साहब कहते हैं — ‘जांच करेंगे’। लोग पूछते हैं — ‘RI साहब, आपकी जांच स्कूल के बेल बजने तक होगी या फिर अगले हादसे तक?’
School Van Accident Saharanpur: क्या कहता है कानून?

जरा नियम-कानून भी सुन लीजिए — भारत में School Van Safety Rules साफ कहते हैं कि स्कूल वाहन में फिटनेस सर्टिफिकेट, परमिट, फायर एग्जिट, फर्स्ट एड बॉक्स, GPS, स्पीड गवर्नर अनिवार्य हैं। स्कूल वैन में बच्चों की संख्या भी तय है। मगर सहारनपुर में नियम किताबों में हैं — सड़क पर तो बस पिकअप वैन, जीप, टेंपो, जिसे जो मिला उसी में बच्चों को ठूंस दिया गया।
School Van Accident Saharanpur- ये सड़क हादसा बता रहा है कि बच्चों की जिंदगी पर सिस्टम ने ताला डाल रखा है — स्कूल वालों की मजबूरी, ड्राइवरों की मजबूरी और अफसरों की ढील — सब मिलकर मौत का टिकट बनाते हैं।
School Van Accident Saharanpur: सवाल बड़ा, जवाब कौन देगा?

अब सवाल ये है — सहारनपुर के बाकर माजरा जैसे गांवों में कब तक ये खेल चलता रहेगा? क्या पुलिस और RI साहब इतनी फुर्ती दिखाएंगे कि कल कोई वैन खेत में न पलटे?
School Van Accident Saharanpur सिर्फ एक हादसा नहीं, पूरे यूपी देहात का सच है — जहां बच्चों को स्कूल भेजना यानी जान को जोख़िम में डालना।
सरकार और प्रशासन को जागना ही होगा वरना अगली खबर ‘खेत में पलटी पिकअप वैन’ नहीं, ‘कब्रिस्तान पहुंची स्कूल वैन’ हो जाएगी!
School Van Accident Saharanpur: आवाज उठाओ, वरना हादसा इंतजार कर रहा है!
गांव वालों ने तो बच्चों को बचा लिया, लेकिन अगली बार कौन बचाएगा? पेरेंट्स, टीचर्स, स्कूल मैनेजमेंट — सबको अब एकजुट होकर सवाल पूछना होगा — पिकअप वैन क्यों? बिना फिटनेस के क्यों? पुलिस, ARTO, RI — सबकी ज़िम्मेदारी तय करो।
वरना School Van Accident जैसी खबरें पढ़ते रहिए और दुआ करते रहिए कि अगली बार खेत में पलटने वाली वैन आपके बच्चे को न ले जाए!
