School Merger Protest:-गाजीपुर
School Merger Protest: BSA Office बना Teachers का अखाड़ा
गाजीपुर में School Merger Protest अब ताबड़तोड़ रफ्तार पकड़ चुका है। मंगलवार को सैकड़ों शिक्षक अपनी ड्यूटी छोड़ सीधे BSA कार्यालय पर धावा बोल बैठे। बेसिक शिक्षा अधिकारी के आलीशान कमरे के बाहर ‘विद्यालय विलय वापस लो’ के नारे गूंजते रहे। सरकार का आदेश था — ‘छोटे स्कूलों को बड़ा करो’, लेकिन शिक्षकों ने कह दिया — ‘पहले सरकार अपनी नीयत बड़ी करे!’
School Merger Protest: 104 Schools पर सरकार की गिद्धदृष्टि!
School Merger Protest की जड़ वही 104 विद्यालय हैं, जिन्हें सरकार ने कम छात्र संख्या के नाम पर बंद कर समीपवर्ती स्कूलों में मर्ज करने का फरमान सुनाया है। शिक्षकों का कहना है — ‘RTE को मजाक मत बनाओ सरकार! गाँवों में पढ़ाई पहले ही लटक-झूल रही है, अब बच्चों को किलोमीटरों दूर भेजोगे? कौन ज़िम्मेदार होगा उनकी हाजिरी का?’
गाँवों में साइकिलें पंचर हैं, सड़कें गड्ढे में और सरकार कहती है ‘स्कूल विलय’। मज़ाक नहीं है क्या?
School Merger Protest: आंदोलन तीन चरणों में, अब राजधानी की बारी!
School Merger Protest की बागडोर संभाले संघ अध्यक्ष जितेंद्र कुमार यादव ने बताया — पहले गाँव में पंचायत, फिर ट्विटर पर ‘#JusticeForSchoolChildren’, अब BSA ऑफिस पर तालाबंदी! अगर फिर भी सरकार नहीं जागी तो राजधानी लखनऊ में डेरा डालने से भी गुरेज़ नहीं!
महिला शिक्षिकाएँ भी पीछे नहीं रहीं — उन्होंने नारे लगाए, तख्तियाँ उठाईं — “विद्यालय नहीं बिकेगा, बच्चों का हक़ नहीं छिनेगा!” अफसरों ने कान में तेल डाला हुआ था — ना कोई आया, ना किसी ने शिक्षकों को समझाया।
School Merger Protest: Teachers बोले — स्कूल नहीं बंद होने देंगे!

प्रदर्शनकारी शिक्षक बोले — ‘सरकार का निर्णय जमीनी नहीं है। गाँवों में बच्चा स्कूल छोड़ देगा या बीच रास्ते में भटक जाएगा। जो अफसर AC दफ्तर में बैठकर नीति बना रहे हैं, वो कभी बच्चों के साथ खेतों में धूल खाए होते तो समझ जाते!’
आख़िर में चेतावनी ठोक दी गई — ‘अगर आदेश वापस नहीं हुआ तो आंदोलन का स्कूल अब राजधानी में खुलेगा!’
स्कूल मर्जर क्या है?
School Merger Protest: फायदा किसे, नुकसान किसका?
इस School Merger Protest का असली सवाल यही है — किसे फायदा? फायदा तो सरकारी आंकड़ों को होगा — ‘देखो जी! इतने स्कूल मर्ज, इतने मास्टर फ्री’। नेता जी अगली बार माइक पकड़ कर गिना देंगे — ‘गाँव में अब डबल स्मार्ट स्कूल!’ लेकिन जिनके बच्चे अब तक खेत से स्कूल आते थे, वो अब 3 किलोमीटर कैसे जाएँगे? जब गांवों में स्कूल ही नहीं रहेगा तो शिक्षा ‘मर्ज’ हो जाएगी बच्चों के भविष्य के साथ। यही दर्द मास्टरों को सड़क पर खड़ा कर रहा है — भले ही BSA दफ्तर बंद हो जाए, लेकिनि गाँव का स्कूल बंद नहीं होगा — यही कसम खाई गई है।
Written by khabarilal.digital Desk
🎤 संवाददाता:सुनील गुप्ता
📍 लोकेशन: गाजीपुर,यूपी
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