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🔥 Scam: किसानों की आड़ में दलाली का धंधा? स्क्रीनशॉट और ऑडियो ने मचाया बवाल
पीलीभीत की हवा इस वक्त बहुत भारी है। क्योंकि जिस संगठन को किसानों की आवाज़ बनना था, वह अब किसानों की जेब हल्की करने के आरोपों में घिर गया है। Scam का नया चेहरा बना है भानू गुट — और इस बार आरोप किसी विरोधी ने नहीं, बल्कि खुद उनके “मंडल अध्यक्ष” ने लगाए हैं।
नाम है चिंटू ठाकुर। पद मिला तो उन्हें किसानों की सेवा करनी थी, लेकिन उन्होंने सबसे पहले संगठन की “सेवा भावना” को ही एक्सपोज कर दिया। प्रेस के सामने चिंटू ठाकुर ने जो स्क्रीनशॉट और ऑडियो रिकॉर्डिंग रखे, उन्होंने किसानों के दिल से विश्वास ही छीन लिया। ऑडियो में संगठन के बड़े नेता पैसों की मांग करते सुने जा सकते हैं — और स्क्रीनशॉट में ट्रांजैक्शन का सबूत भी है। कहिए, Scam की स्क्रिप्ट तैयार है, पर किरदार नकाब में नहीं।
🎙️ Scam के सबूत: न नकली आवाज़, न एडिटिंग — खालिस दलाली की महक
ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनने वाले दंग रह गए। न कोई शोर, न कोई झिझक — सीधे शब्दों में पैसे की डिमांड। अब तक जिस यूनियन की छवि “धरना दो, हक लो” वाली थी, वो अब “पैसा दो, शांति लो” जैसी लग रही है। चिंटू ठाकुर के मुताबिक, भानू गुट न तो किसानों की लड़ाई लड़ता है, और न ही कोई ईमानदार एजेंडा है — सबकुछ सिर्फ दलाली का खेल है।
“Scam की यूनियन है ये! ये किसानों की नहीं, विभागों की दलाल है!” — मंडल अध्यक्ष की ये लाइनें अब सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही हैं। और ट्रेंड होना भी लाज़मी है, क्योंकि इस खुलासे ने सीधे संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक को कटघरे में ला खड़ा किया है।
🚜 Scam की राजनीति: नेता गरीब किसान, लेकिन मोबाइल में GPay ऐप फुल एक्टिव
भानू गुट का जो स्वरूप टीवी डिबेट में दिखता है — गमछा, धोती, और बुलंद नारे — वो अब डिजिटल ट्रांजैक्शन और स्क्रीनशॉट के जरिए खुल रहा है। किसान आंदोलन के नाम पर गली-गली घूमकर जो संगठन खुद को मसीहा बताता रहा, वही अब 500, 1000, और “बाकी कल” जैसे मैसेजों में लिपटा हुआ मिल रहा है।
किसानों को चाहिए था हक़, और नेताओं को चाहिए था कैश। चिंता की बात ये नहीं कि Scam हुआ, असली चिंता ये है कि कितनी बार और होगा — और कब तक नेता किसानों के नाम पर अपना पेट भरते रहेंगे?
📉 Scam में धराशायी ‘किसान सेवा’ का तमाशा
जो संगठन किसानों की ढाल होना चाहिए था, वो अब खुद उन पर वार करता दिख रहा है। चिंटू ठाकुर के इस एक बयान ने पूरे भानू गुट की छवि को झकझोर दिया है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या अन्य जिलों में भी यही खेल हो रहा है? और क्या “पद” का मतलब सिर्फ “पैसा वसूली केंद्र” बन गया है?
फिलहाल यूनियन की चुप्पी इस बात का संकेत है कि कहीं न कहीं दाल में जरूर कुछ काला है — या शायद पूरी दाल ही काली हो चुकी है!
Scam है, सिस्टम है, और सच्चाई के सामने सब लंगोट ढीले हैं!
अब देखना ये है कि भानू गुट इस घोटाले पर चुप्पी तोड़ेगा या “ये तो विरोधी प्रोपेगेंडा है” कहकर अपना पल्ला झाड़ेगा। लेकिन जनता और किसान अब ज्यादा देर तक चुप नहीं रहेंगे। सवाल तो उठेंगे ही — और इस बार Scam का जवाब सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस से नहीं चलेगा।
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