 
                  दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों पर तनातनी बरकरार… सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों पर फैसला सुरक्षित रखा. बचाव पक्ष बोला पर्याप्त शेल्टर होम नहीं हैं.
New Delhi : 14 अगस्त को देश की सर्वोच्च अदालत Supreme Court की तीन जजों की विशेष बेंच ने Delhi-NCR में आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सुनवाई की और सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की ओर से तर्क दिया कि जो लोग खुद को पशु प्रेमी बताते हैं वो खुद मांसाहारी हैं और यह मुद्दा मानव सुरक्षा से जुड़ा है. खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए. दूसरी तरफ वरिष्ठ वकील Kapil Sibbal ने समाधान की मांग की है… उन्होने कहा कि Stray Dogs को भेजने के लिए पर्याप्त शेल्टर होम उपलब्ध नहीं हैं.
पिछली सुनवाई में क्या हुआ?

इससे पहले 11 अगस्त को Supreme Court की दो जजों की बेंच ने Delhi-NCR में बढ़ते कुत्तों के काटने और रेबीज के मामलों को देखते हुए सभी आवारा कुत्तों को 6-8 सप्ताह में आवासीय क्षेत्रों से हटाकर शेल्टर होम में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने 5,000 कुत्तों को तुरंत हटाने, बंध्याकरण (sterilization), टीकाकरण और शेल्टर होम में रखने का निर्देश दिया था जिसमें CCTV निगरानी और कर्मचारियों की व्यवस्था हो. कोर्ट ने ये भी चेतावनी दी थी कि इस प्रक्रिया में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
कोर्ट के फैसले का विरोध

Supreme Court के आदेश का पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और कुछ NGO ने विरोध किया था और इसे “अव्यावहारिक” और “अमानवीय” बताया था. 13 अगस्त को कॉन्फ्रेंस ऑफ ह्यूमन राइट्स (इंडिया) और कुछ NGO की याचिकाओं के बाद Chief Justice BR Gavai ने मामले की समीक्षा का आश्वासन दिया जिसके बाद इसे तीन जजों की बेंच को सौंपा गया. 14 अगस्त की सुनवाई में कोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि वह मामले को बंद नहीं कर रहा बल्कि 11 अगस्त के आदेश पर अंतरिम स्थगन (Stay) या तत्काल आदेश की आवश्यकता पर विचार कर रहा है.
क्या है विवाद की वजह?
- सार्वजनिक सुरक्षा – दिल्ली में रोजाना लगभग 2,000 कुत्तों के काटने की घटनाएं और रेबीज से होने वाली मौतें.
- पशु कल्याण – कार्यकर्ताओं का कहना है कि शेल्टर होम की कमी और भीड़भाड़ से कुत्तों को नुकसान होगा.
- कानूनी ढांचा – 2023 के एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियम बंध्याकरण और वापस छोड़ने की अनुमति देते हैं, लेकिन कोर्ट ने इसे “अविवेकपूर्ण” माना.
दिल्ली सरकार की योजना

दिल्ली सरकार और MCD ने 70-80% कुत्तों का बंध्याकरण और टीकाकरण करने, 20 नए शेल्टर बनाने और कुत्तों की गणना और माइक्रोचिपिंग की योजना बनाई है. कोर्ट ने 8 सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट मांगी है. ये मामला मानव सुरक्षा और पशु कल्याण के बीच संतुलन की चुनौती को दर्शाता है और अंतिम फैसला इस बहस को नया आयाम दे सकता है.

 
         
         
        